अथ श्रीआदित्य स्तोत्रम् ।।

Chhathe Ghar Me Guru
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अथ श्रीआदित्य स्तोत्रम् ।। Aditya Stotram.

नवग्रहाणां सर्वेषां सूर्यादीनां पृथक् पृथक् ।
पीडा च दुःसहा राजञ्जायते सततं नृणाम् ॥१॥

पीडानाशाय राजेन्द्र नामानि शृणु भास्वतः ।
सूर्यादीनां च सर्वेषां पीडा नश्यति शृण्वतः ॥२॥

आदित्य सविता सूर्यः पूषार्कः शीघ्रगो रविः ।
भगस्त्वष्टाऽर्यमा हंसो हेलिस्तेजो निधिर्हरिः ॥३॥

दिननाथो दिनकरः सप्तसप्तिः प्रभाकरः ।
विभावसुर्वेदकर्ता वेदाङ्गो वेदवाहनः ॥४॥

हरिदश्वः कालवक्त्रः कर्मसाक्षी जगत्पतिः ।
पद्मिनीबोधको भानुर्भास्करः करुणाकरः ॥५॥

द्वादशात्मा विश्वकर्मा लोहिताङ्गस्तमोनुदः ।
जगन्नाथोऽरविन्दाक्षः कालात्मा कश्यपात्मजः ॥६॥

भूताश्रयो ग्रहपतिः सर्वलोकनमस्कृतः ।
सङ्काशो भास्वानदितिनन्दनः ॥७॥

ध्वान्तेभसिंहः सर्वात्मा लोकनेत्रो विकर्तनः ।
मार्तण्डो मिहिरः सूरस्तपनो लोकतापनः ॥८॥

जगत्कर्ता जगत्साक्षी शनैश्चरपिता जयः ।
सहस्ररश्मिस्तरणिर्भगवान्भक्तवत्सलः ॥९॥

विवस्वानादिदेवश्च देवदेवो दिवाकरः ।
धन्वन्तरिर्व्याधिहर्ता दद्रुकुष्ठविनाशनः ॥१०॥

चराचरात्मा मैत्रेयोऽमितो विष्णुर्विकर्तनः ।
कोकशोकापहर्ता च कमलाकर आत्मभूः ॥११॥

नारायणो महादेवो रुद्रः पुरुष ईश्वरः ।
जीवात्मा परमात्मा च सूक्ष्मात्मा सर्वतोमुखः ॥१२॥

इन्द्रोऽनलो यमश्चैव नैरृतो वरुणोऽनिलः ।
श्रीद ईशान इन्दुश्च भौमः सौम्यो गुरुः कविः ॥१३॥

शौरिर्विधुन्तुदः केतुः कालः कालात्मको विभुः ।
सर्वदेवमयो देवः कृष्णः कायप्रदायकः ॥१४॥

य एतैर्नामभिर्मर्त्यो भक्त्या स्तौति दिवाकरम् ।
सर्वपापविनिर्मुक्तः सवर्रोगविवर्जितः ॥१५॥

पुत्रवान् धनवान् श्रीमाञ्जायते स न संशयः ।
रविवारे पठेद्यस्तु नामान्येतानि भास्वतः ॥१६॥

पीडाशान्तिर्भवेत्तस्य ग्रहाणां च विशेषतः ।
सद्यः सुखमवाप्नोति चायुर्दीर्घं च नीरुजम् ॥१७॥

।। इति श्रीभविष्यपुराणे आदित्यस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

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