आपकी कुंडली में अखण्ड साम्राज्य योग।।

Akhand Samrajya Yoga
Akhand Samrajya Yoga

आपकी कुंडली में अखण्ड साम्राज्य योग।। Akhand Samrajya Yoga.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, हमारे वैदिक ज्योतिष के अनुसार बारह राशियों के सत्ताईस विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहा जाता है । जिन्हें अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी आदि नामों से जाना जाता है । फलकथन में चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है ।।

हमारे वैदिक ज्योतिष में बारह राशियाँ और इन बारह राशियों में भ्रमण करने वाले नव ग्रह । इन नवों ग्रहों में सूर्य आत्मा का कारक, चन्द्रमा मन का कारक, मंगल धैर्य का कारक, बुध वाणी का कारक, गुरु ज्ञान का कारक, शुक्र वीर्य का एवं शनि को संवेदना का कारक अथवा प्रतीक माना गया है ।।

इन ग्रहों का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और कैसे पड़ता है ये तो हमने अपने कल के लेख में आपलोगों को बताया था । प्राचीन काल से हमारा ज्योतिष विज्ञान इस सौर मण्डल में स्थित ग्रहों कि गति, दिशा एवं स्थिति तथा साथ ही मानव जीवन पर इनके प्रभाव के बारे में बताता आ रहा है ।।

मित्रों, क्योंकि हमारी पृथ्वी भी हमारे सौर मण्डल की एक सदस्या है । यह अनवरत सूर्य की परिक्रमा करती रहती है । पृथ्वी में आकर्षण शक्ति भी है तथा सूर्य के निकट होने के वजह से इसमें ताप, तेज़ और प्रकाश भी सदैव विद्यमान रहता है ।।

इसी के वजह से शरीर धारी प्राणियों में प्राण का संचार होता है । ठीक इसी प्रकार अर्थात सूर्य के समान ही अन्य ग्रहों का प्रभाव भी पृथ्वी तथा पृथ्वी वासियों पर निरन्तर पड़ता है । मानव जीवन में सुख-दुःख, भय-क्रोध, अमीरी-गरीबी इन्हीं ग्रहों-नक्षत्रों-तारों के वजह से होता है ।।

मित्रों, आज हम कुछ ग्रह स्थितियों का वर्णन करेंगे जिससे मनुष्य के जीवन में अखण्ड राज्य एवं साम्राज्य योग का निर्माण होता है । किसी भी कुण्डली में लाभेश, नवमेश अथवा धनेश इनमें से कोई एक भी ग्रह यदि चन्द्र लग्न से अथवा लग्न से केन्द्र स्थान में स्थित हो ।।

साथ ही यदि गुरू द्वितीय, पंचम या एकादश भाव का स्वामी होकर उसी प्रकार केन्द्र में स्थित हो तो अखण्ड साम्राज्य योग का निर्माण होता है । इस योग में जन्म लेने वाले मनुष्य को स्थायी साम्राज्य एवं विपुल धन-सम्पदा की प्राप्ति होती है ।।

मित्रों, यदि किसी पुरूष का दिन में जन्म हो और तीनों लग्न विषम राशियों में हो तथा किसी स्त्री का जन्म रात्रि में हो और तीनों लग्न सम राशियों में हो तो “महाभाग्य योग” बनता है ।।

इस योग में जन्म लेने वाला जातक महाभाग्यशाली एवं अतुलनीय धनवान होता है । जब तीन या तीन से अधिक ग्रह अपनी उच्च राशि या स्वराशि में होते हुए केन्द्र में स्थित हों तो सम्पूर्ण राजयोग का निर्माण होता है ।।

मित्रों, जब कोई ग्रह नीच राशि में स्थित होकर वक्री और शुभ स्थान में स्थित हो तो सम्पूर्ण राजयोग का निर्माण होता है । किसी कुण्डली में तीन या चार ग्रहों को दिग्बल प्राप्त हो तो सम्पूर्ण राजयोग का निर्माण होता है ।।

चन्द्रमा किसी केन्द्र में स्थित हो और गुरू की उस पर द्रष्टि हो तो सम्पूर्ण राजयोग का निर्माण होता है । नवमेश व दशमेश का राशि परिवर्तन हो अथवा नवमेश नवम में एवं दशमेश दशम में हो या फिर नवमेश और दशमेश नवम में या दशम में एक साथ हो तो सम्पूर्ण राजयोग का निर्माण होता है ।।

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1 COMMENT

  1. Kundli me agar purush ki kundli me lagn me sam rashi ho aur surya, chandra visham rashi me ho to kya tab bhi mahabhagya yog ka kuch phal prapt hoga?

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