अथ अट्टाल सुन्दर अष्टकम् ।।

तत्काल मनोवाँछित सर्वश्रेष्ठ लक्ष्मी दिलाने वाला यह भगवान शिव के इस अट्टालवीर सुन्दर अष्टक स्तोत्र है । इस स्तोत्र का परायण करने वाला व्यक्ति अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण के मुख से इसे सुनने वाला व्यक्ति भी तत्काल मनोवाँछित सर्वश्रेष्ठ लक्ष्मी प्राप्त करता है ।। यथा:- अट्टालवीरश्रीशम्भोरष्टकं वरमिष्टदम् । पठतां शृण्वतां सद्यस्तनोतु परमां श्रियम् ॥९॥

 

अथ अट्टाल सुन्दर अष्टकम् ।। Attala Sundara Ashtakam.

 

विक्रमपाण्ड्य उवाच:-

कल्याणाचलकोदण्डकान्तदोर्दण्डमण्डितम् ।
कबलीकृतसंसारं कलयेऽट्टालसुन्दरम् ॥१॥

कालकूटप्रभाजालकळङ्कीकृतकन्धरम् ।
कलाधरं कलामौळिं कलयेऽट्टालसुन्दरम् ॥२॥

कालकालं कलातीतं कलावन्तं च निष्कळम् ।
कमलापतिसंस्तुत्यं कलयेऽट्टालसुन्दरम् ॥३॥

कान्तार्धं कमनीयाङ्गं करुणामृतसागरम् ।
कलिकल्मषदोषघ्नं कलयेऽट्टालसुन्दरम् ॥४॥

कदम्बकाननाधीशं कांक्षितार्थसुरद्रुमम् ।
कामशासनमीशानं कलयेऽट्टालसुन्दरम् ॥५॥

सृष्टानि मायया येन ब्रह्माण्डानि बहूनि च ।
रक्षितानि हतान्यन्ते कलयेऽट्टालसुन्दरम् ॥६॥

स्वभक्तजनसन्ताप पापापद्मङ्गतत्परम् ।
कारणं सर्वजगतां कलयेऽट्टालसुन्दरम् ॥७॥

कुलशेखरवंशोत्थभूपानां कुलदैवतम् ।
परिपूर्णं चिदानन्दं कलयेऽट्टालसुन्दरम् ॥८॥

अट्टालवीरश्रीशम्भोरष्टकं वरमिष्टदम् ।
पठतां शृण्वतां सद्यस्तनोतु परमां श्रियम् ॥९॥

।। इति श्रीहालास्यमाहात्म्ये विक्रमपाण्ड्यकृतं अट्टालसुन्दराष्टकम् ।।

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