चन्द्रमा द्वारा निर्मित कुछ अतुलनीय धनदायक योग।। Chandra And Atulniya Dhan Yoga.
हैल्लो फ्रेंड्सzzz.
मित्रों, नवग्रहों में चन्द्रमा को सर्वाधिक शुभ ग्रह माना गया है । चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का सबसे नजदीकी ग्रह भी है अत: इसका प्रभाव भी हम मनुष्यों पर जल्दी होता है ।।
जन्म कुण्डली में चन्द्र जिस राशि में बैठा होता है वही व्यक्ति का राशि माना जाता है । चन्द्र राशि का महत्व लग्न के समान ही होता है । फलादेश करते समय लग्न कुण्डली के समान ही चन्द्र कुण्डली का भी प्रयोग करना चाहिये ।।
मित्रों, वैसे चन्द्रमा कई प्रकार के योगों का भी निर्माण करता है । जिनमें से कुछ योग शुभ फल देते हैं तथा कुछ अशुभ फलदायी भी होते हैं ।।
#Chandra And Atulniya Dhan Yoga
आज हम इसी विषय पर विस्तृत चर्चा करने जा रहे हैं । चन्द्रमा द्वारा निर्मित योगों में सर्वाधिक चर्चित योग “गजकेशरी योग” है । जिसपर सर्वप्रथम आइये हम कुछ विशेष बातें करते हैं ।।
मित्रों, वैसे तो बृहत्पाराशर होराशास्त्रम् के आधार पर मैंने बहुत पहले ही विस्तार से “गजकेशरी योग” के विषय में लिख रखा है । आप ब्लॉग के सर्च बॉक्स में गजकेशरी योग लिखकर सर्च कर सकते हैं ।।
फिर भी आज इस योग के विषय में कुछ और बातें बताते हैं । चन्द्रमा द्वारा निर्मित शुभ योगों में गजकेशरी योग काफी जाना-पहचाना नाम है । यह योग गुरू चन्द्र के सम्बन्ध से बनता है ।।
मित्रों, जब चन्द्रमा से गुरु किसी जन्म कुण्डली में केन्द्र स्थान में यानी 1, 4, 7 एवं 10 में हो अथवा गुरू चन्द्र की युति इन भावों में हो तो गजकेशरी योग बनता है ।।
सामान्यतया इस योग से प्रभावित व्यक्ति ज्ञानी होता हैं । ऐसे जातकों में विवेक तथा दया की भावना होती है । आमतौर पर इस योग वाले व्यक्ति उच्च पद पर कार्यरत होते हैं । अपने गुणों एवं कर्मों के कारण मृत्यु के पश्चात् भी इनकी ख्याति बनी रहती है ।।
मित्रों, दूसरा चन्द्रमा से निर्मित होनेवाला योग है “सुनफा योग” । जन्म कुण्डली में जिस भाव में चन्द्र होता है उससे दूसरे घर में कोई ग्रह बैठा हो तो सुनफा योग बनता है ।।
#Chandra And Atulniya Dhan Yoga
इस योग में राहु केतु एवं सूर्य का विचार नहीं किया जाता है यानी चन्द्र से दूसरे घर में इन ग्रहों के होने पर सुनफा योग नहीं माना जाता है ।।
मित्रों, इस योग में चन्द्रमा से दूसरे घर में शुभ ग्रह हों तो योग उच्च स्तर का होता है । एक शुभ तथा दूसरा अशुभ ग्रह हों तो इसे मध्यम दर्जे का माना जाता है । परन्तु यदि दोनों अशुभ ग्रह हों तो निम्न स्तर का सुनफा योग बनता है ।।
यह योग जिस स्तर का होता है उसी के अनुरूप व्यक्ति को इसका लाभ मिलता है । जिनकी कुण्डली में यह योग होता है वह सरकारी क्षेत्र से लाभ प्राप्त करते हैं तथा ऐसे जातक उच्च कोटि के धनवान होते हैं ।।
मित्रों, तीसरा “अनफा योग” होता है जो चन्द्रमा के द्वारा निर्मित होता है । सुनफा योग की भांति ही अनफा योग में भी सूर्य को गौण माना जाता है यानी सूर्य से इस योग का विचार नहीं किया जाता है ।।
अनफा योग कुण्डली में तब बनता है जब जन्म कुण्डली में चन्द्र से बारहवें घर में कोई ग्रह बैठा होता है । ग्रह अगर शुभ हो तो योग प्रबल होता है, चन्द्र से बारहवें घर में अशुभ ग्रह होने पर योग कमज़ोर होता है ।।
इस योग से प्रभावित व्यक्ति उदार एवं शांत प्रकृति का होता है । नृत्य, संगीत एवं दूसरी कलाओं में इनकी अत्यधिक रूचि होती है । सुख-सुविधाओं में रहते हुए भी इस जातक का वृद्धावस्था में मन विरक्त हो जाता है तथा योग एवं साधना इसे पसंद आती है ।।
मित्रों, “दुरूधरा योग” भी इसी श्रेणी में आता है । चन्द्र की स्थिति से दुरूधरा योग तब बनता है जब चन्द्र जिस भाव में हो उस भाव से दोनों तरफ कोई ग्रह बैठा हो ।।
#Chandra And Atulniya Dhan Yoga
यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि दोनों तरफ में से किसी ओर सूर्य नहीं होना चाहिए । अगर चन्द्र के दोनों तरफ शुभ ग्रह होंगे तो योग अधिक शक्तिशाली होता है ।।
मित्रों, एक ग्रह शुभ दूसरा अशुभ हो तो मध्यम दर्जे का योग बनता है तथा इसी प्रकार दोनों तरफ अशुभ ग्रह यदि हों तो योग निम्न स्तर का हो जाता है ।।
वैसे दुरूधरा योग के विषय में यह कहा जाता है कि इससे प्रभावित व्यक्ति अत्यन्त समृद्धशाली होता है । इन्हें भूमि एवं भवन का सुख सहज ही प्राप्त हो जाता है ।।
मित्रों, चन्द्रमा के संयोग से कुछ अशुभ योगों का भी निर्माण होता है, जैसे “केमद्रुम योग” । यह योग जन्मपत्री में तब बनता है जब चन्द्रमा के दोनों तरफ के भाव में कोई ग्रह ही नहीं हो ।।
इस योग के विषय में माना गया है कि इससे प्रभावित व्यक्ति का मन अस्थिर रहता है । असामाजिक कार्यों में इस जातक का मन लगता है । तथा इसके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी बना रहता है ।।
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