अथ श्री चन्द्रमा अष्टाविंशति नाम स्तोत्रम् ।। Chandrama Ashtavinshati Nama Stotram.
अथ विनियोगः ।।
अस्य श्रीचन्द्राष्टाविंशतिनामस्तोत्रस्य गौतम ऋषिः, सोमो देवता, विराट छन्दः, चन्द्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।।
चन्द्रस्य श्रृणु नामानि शुभदानि महीपते ।
यानि श्रृत्वा नरो दुःखान्मुच्यते नात्र संशयः ॥१॥
सुधाकरश्च सोमश्च ग्लौरब्जः कुमुदप्रियः ।
लोकप्रियः शुभ्रभानुश्चन्द्रमा रोहिणीपतिः ॥२॥
शशी हिमकरो राजा द्विजराजो निशाकरः ।
आत्रेय इन्दुः शीतांशुरोषधीषः कलानिधिः ॥३॥
जैवातृको रमाभ्राता क्षीरोदार्णवसम्भवः ।
नक्षत्रनायकः शम्भुशिरश्चूडामणिर्विभुः ॥४॥
तापहर्ता नभोदीपो नामान्येतानि यः पठेत् ।
प्रत्यहं भक्तिसंयुक्तस्तस्य पीडा विनश्यति ॥५॥
तद्दिने च पठेद्यस्तु लभेत्सर्वं समीहितम् ।
ग्रहादीनां च सर्वेषां भवेच्चन्द्रबलं सदा ॥६॥
॥ इति श्रीचन्द्राष्टाविंशतिनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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