मकर संक्रान्ति को करें यह दान एवं उपाय।। Makar Sankranti Parv.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, मकर संक्रांति भगवान सूर्य की उपासना का पर्व होता है। सूर्यदेव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे ही मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति पूरे देश में धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह संक्रांति का पर्व उमंग, हर्ष, उत्साह और हमारी संस्कृति का प्रतीक है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं।।
इस दिन के बाद से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। वहीं इस दिन से मांगलिक एवं शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी शनिवार को है। इसके साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाएंगे। इस वर्ष 15 जनवरी को मकर (तिल) संक्रांति मनाई जाएगी। पौष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी दिन-शनिवार को भगवान सूर्य का राशि परिवर्तन होगा और वे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे।।
मित्रों, आज 29 वर्षों बाद इस मकर संक्रांति पर सूर्य-शनि की युति का दुर्लभ संयोग बन रहा है। आज ब्रह्म और आनंदादि योग भी है। ब्रह्म योग शांति का प्रतीक है तो आनंदादि योग मनुष्य की असुविधाओं को दूर करता है। संक्रांति के समय ब्रह्म योग के साथ ही रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का योग है। मेदिनीय संहिता के अनुसार यदि मेष, वृषभ, कर्क, मकर और मीन राशि में संक्रांतियां होती हैं तो वे सुखदायी होती हैं।।
इस वर्ष मकर संक्रांति वृषभ राशि में घटित होने से सुखदायक रहेगी। फलप्रदीप में कहा गया है, कि यदि संक्रांति बैठे अवस्था में प्रवेश करती है तो धन-धान्य की वृद्धि एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है। संक्रांति का प्रवेश रात में हो रहा है इसलिए उत्तम माहौल रहेगा। मृगशिरा नक्षत्र में होने से ‘मंदाकिनी संज्ञा रहेगी। शनिवार दिन होने से यह संक्रांति सुख प्रदान करने वाली होगी।।
सूर्यदेव के एक माह बाद धनु से 14 जनवरी की रात में मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास की समाप्ति हो जाएगी। अगले दिन 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। सूर्य के उत्तरायण होते ही विवाहादि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। विवाह का प्रथम मुहूर्त 15 जनवरी को है। सूर्य जब धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं।।
इस वर्ष सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 8.49 बजे हो रहा है। परंतु स्नान-दान समेत पर्व के विधान 15 जनवरी को पूरे किए जाएंगे। कारण यह है, कि शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त के बाद सूर्य की मकर राशि में संक्रांति होने पर पुण्यकाल अगले दिन ही मान्य होता है। इसलिए इस वर्ष संक्रान्ति का पुण्यकाल 15 जनवरी को प्रात: से दोपहर 12.49 बजे तक रहेगी।।
आज के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं। इसलिए ही इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। बहुत सी जगहों पर इसे ‘खिचड़ी’ और ‘उत्तरायण’ भी कहते हैं। दक्षिण भारत में इसे पोंगल कहा जाता है, जिसका अर्थ भी खिचड़ी ही होता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास का समापन हो जाता है। इसके बाद शुभ और मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू हो जाते हैं।।
मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त सूर्य के संक्रांति समय से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल होता है। परंतु सूर्यास्त के बाद संक्रांति होने पर पुण्यकाल अगले दिन ही मान्य होता है। इसलिए इस वर्ष संक्रान्ति का पुण्यकाल 15 जनवरी को प्रात: से दोपहर 12.49 बजे तक होगी। संक्रांति पर तिलदान करने से संकट दूर होते हैं और पापों का शमन होता है। सूर्य की राशि परिवर्तन से रात्रि छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं और मौसम में भी बदलाव नजर आता है।।
इसके पहले भी कई बार 12 और 13 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई जा चुकी है। एक बार स्वामी विवेकानंद के जन्म पर 12 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई गयी थी। जब भी कभी सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्यास्त अथवा अर्द्ध रात्रि के बाद होता है तब पुण्यकाल और मकर संक्रांति उसके अगले दिन होता है और उसी के अनुसार दान पुण्य किया जाना चाहिए।।
मकर संक्रांति के साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाये हैं। इस दिन स्नान दान का खास महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना अत्यंत शुभ फलदायक माना गया है। सूर्यदेव को सभी नौ ग्रहों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य न्याय के देवता शनि देव के पिता हैं। सूर्यदेव किसी भी जातक को सरकारी नौकरी दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में यश एवं प्रतिष्ठा का कारक भी सूर्य ही होते हैं।।
जो सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए संक्रान्ति को बेहद खास माना गया है। इस बार संक्रांति का वाहन सिंह एवं उपवाहन गज (हाथी) होगा। इस वर्ष 2022 में श्वेत वस्त्र धारण किए संक्रांति का आगमन श्वेत पाटली कंचुकी धारण किए बालावस्था में कस्तूरी लेपन कर गदा आयुध (शस्त्र) लिए स्वर्णपात्र में अन्न भक्षण करते हुए आग्नेय दिशा को दृष्टिगत किए पूर्व दिशा की ओर गमन करते हो रहा है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह शुभ स्थिति में होता है वह उच्चपद प्राप्त करता है। साथ ही सूर्य के प्रभाव से उसकी ख्याति और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है। सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी ग्रह भी हैं। सूर्य की दशा 6 वर्ष होती है एवं सूर्य का रत्न माणिक्य माना जाता है।।
सूर्य की प्रिय वस्तुएं गाय, गुड़, और लाल वस्त्र आदि हैं। तांबा और सोना को सूर्य की प्रिय धातु माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं, यह अत्यंत शुभ फलदायक साबित होते हैं। शास्त्रों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। रविवार के दिन गेहूं और गुड़ गाय को खिलाने या किसी ब्राहमण को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और साथ ही सूर्य शुभ एवं प्रभावी होता है।।
विष्णु पुराण के अनुसार रविवार के दिन सूर्य देव को आक का एक फूल श्रद्धा पूर्वक अर्पित करने से मनुष्य को 10 अशर्फियों के दान का फल मिलता है। इतना ही नहीं इस फूल को नियमित चढ़ाने से व्यक्ति करोड़पति बन सकता है। भगवान सूर्य को खुश करने के लिए रात के समय कदंब और मुकुल के पुष्प अर्पित करना श्रेयस्कर माना जाता है। सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए बेला का फूल ही एक ऐसा फूल है जिसे दिन या रात किसी वक्त चढ़ा सकते हैं।।
इसके अलावा कुछ फूल ऐसे भी हैं, जिसे सूर्यदेव को कदापि नहीं चढ़ाना चाहिए। ये पुष्प हैं गुंजा, धतूरा, अपराजिता और तगर आदि। मकर संक्रांति के दिन नदियों, सरोवरों तथा समुद्र के किनारे मेले आदि का आयोजन होता है। लोग पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्यदेव को अर्ध्य अर्पित कर सूर्योपासना करते हैं और खिचड़ी तथा तिल के व्यंजनों का सेवन करते हैं।।
इस दिन विभिन्न स्थानों में पतंग महोत्सव विशेषकर गुजरात में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। आज के समय में गुजरात के गांधीनगर एवं अहमदाबाद में इंटर्नेशनल पतंगोत्सव का आयोजन होता है। मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से गरीबों एवं ब्राह्मणों को दान करना श्रेयस्कर माना जाता है।।
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