पाँचवाँ “पद्म” नामक कालसर्प योग ।।

Panchang 08 December 2021

पाँचवाँ “पद्म” नामक कालसर्प योग ।। 5. Padma Namak KaalSarpa Dosha.

कालसर्प दोष के सभी भेदों में से पांचवे ”पद्म कालसर्प दोष” को उदाहरण सहित एवं कुंडली प्रस्तुत करते हुए समझाने का प्रयास कर रहे है शायद आपलोगों को अच्छी तरह समझ में आये ।।

राहु पंचम व केतु एकादश भाव में तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग बनता है। इसके कारण जातक के विद्याध्ययन में कुछ व्यवधान उपस्थित होता है । परंतु कालान्तर में वह व्यवधान समाप्त हो जाता है । उन्हें संतान प्राय: विलंब से प्राप्त होती है, या संतान होने में आंशिक रूप से व्यवधन उपस्थित होता है । जातक को संतान की प्राय: चिंता बनी रहती है । जातक का स्वास्थ्य कभी-कभी असामान्य हो जाता है ।।

Padma Namak KaalSarpa Dosha

इस योग के कारण दाम्पत्य जीवन सामान्य होते हुए भी कभी-कभी अधिक तनावपूर्ण हो जाता है । परिवार में जातक को अपयश मिलने का भी भय बना रहता है । जातक के मित्रगण स्वार्थी होते हैं और वे सब उसका पतन कराने में सहायक होते हैं । जातक को तनावग्रस्त जीवन व्यतीत करना पड़ता है । इस योग के प्रभाव से जातक के गुप्त शत्रु भी होते हैं । वे सब समय-समय पर उसे नुकसान पहुंचाते रहते हैं ।।

उसके लाभ मार्ग में भी आंशिक बाध उत्पन्न होती रहती है एवं चिंता के कारण जातक का जीवन संघर्षमय बना रहता है । जातक द्वारा अर्जित सम्पत्ति को प्राय: दूसरे लोग हड़प लेते हैं । जातक को व्याधियां भी घेर लेती हैं । इलाज में अधिक धन खर्च हो जाने के कारण आर्थिक संकट उपस्थित हो जाता है । जातक वृध्दावस्था को लेकर अधिक चिंतित रहता है एवं कभी-कभी उसके मन में संन्यास ग्रहण करने की भावना भी जागृत हो जाती है ।।

लेकिन इतना सबकुछ होने के बाद भी एक समय ऐसा आता है कि यह जातक आर्थिक दृष्टि से बहुत मजबूत होता है, समाज में मान-सम्मान मिलता है और कारोबार भी ठीक हो जाता है । यदि यह जातक अपना चाल-चलन ठीक रखें, मध्यपान आदि न करें और अपने मित्र की सम्पत्ति पर बुरी नजर न रखे, तो उपरोक्त कालसर्प दोष का प्रतिकूल प्रभाव लागू नहीं होता हैं ।।

दोष निवारण के कुछ सरल उपाय:-

१.शुभ मुहूर्त में मुख्य द्वार पर चाँदी का स्वस्तिक एवं दोनों ओर धातु से मिर्मित नाग चिपकाना चाहिए ।।

२.शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से व्रत प्रारंभ कर १८ शनिवारों तक व्रत करें और काला वस्त्रधारण कर १८ या ३ अक्षरों वाला राहु के बीज मंत्र का जाप करें । फिर एक बर्तन में जल दुर्वा और कुशा लेकर पीपल की जड़ में चढ़ाएं । भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, समयानुसार रेवड़ी तिल के बने मीठे पदार्थ सेवन करें और यही वस्तुएं दान भी करें । रात में घी का दीपक जलाकर पीपल की जड़ में रख दें और नाग पंचमी का व्रत भी अवश्य करें ।।

३.नित्य प्रति हनुमान चालीसा का ११ बार पाठ करें तथा हर शनिवार को लाल कपड़े में आठ मुट्ठी भिंगोया चना व ग्यारह केले सामने रखकर हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और उन केलों को बंदरों को खिला दें और प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में बूंदी के लड्डु का भोग लगाएं और हनुमान जी की प्रतिमा पर चमेली के तेल में घुला सिंदूर चढ़ाएं और साथ ही श्री शनिदेव का तैलाभिषेक भी करें ।।

Padma Namak KaalSarpa Dosha

ऐसा करने से पद्म काल सर्प दोष के समस्त दोषों की शांति हो जाती है जातक को गृहस्थ जीवन में शान्ति मिलती है ।।

४.श्रावण के महीने में प्रतिदिन स्नानोपरांत ११ माला ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करने के उपरांत शिवजी को बेलपत्र व गाय का दूध तथा गंगाजल चढ़ाएं और सोमवार का व्रत भी करें ।।

५.श्रावण मास में ३० दिनों तक महादेव का अभिषेक कर शिवलिंग पर शहद का लेप करके ”ॐ नम: शिवाय” का सुविधानुसार जप करें ।।

इस प्रकार के छोटे-छोटे उपायों से इस प्रकार के दोषों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शान्ति तथा व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होती है ।।

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।।। नारायण नारायण ।।।

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