तुला, वृश्चिक एवं धनु लग्न की कुण्डली में विदेश यात्रा के योग ।। Tula, Vrishchik And Dhanu Lagna Ki Kundali Me Videsh Yatra ke yoga
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz.
मित्रों, जन्मकुंडली के द्वादश भावों में से प्रमुखतया, अष्टम भाव, नवम, सप्तम, बारहवां भाव विदेश यात्रा से संबंधित होता है । तृतीय भाव से भी लघु यात्राओं की जानकारी प्राप्त की जाती है ।।
अष्टम भाव समुद्री यात्रा का प्रतीक माना जाता है । सप्तम तथा नवम भाव लंबी विदेश यात्राएं, विदेशों में व्यापार, व्यवसाय एवं प्रवास के द्योतक माने गये हैं ।।
इसके अतिरिक्त लग्न तथा लग्नेश की शुभाशुभ स्थिति भी विदेश यात्रा संबंधी योगों को प्रभावित करती है । इसके पहले मैंने मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह एवं कन्या लग्न की कुण्डलियों में विदेश यात्रा के योगों के विषय में विस्तृत वर्णन किया है ।।
आइये आज हम तुला लग्न की कुण्डली में विदेश यात्रा के योग किस प्रकार निर्मित होते हैं? यह विस्तार से जानने का प्रयत्न करते हैं ।।
तुला लग्न की कुंडली में-
मित्रों, तुला लग्न की कुंडली में नवमेश बुध उच्च का होकर बारहवें भाव में स्वराशि अथवा मूल त्रिकोण राशि में स्थित हो और साथ ही राहु से प्रभावित हो तो राहु की दशा अंतर्दशा में विदेश यात्रा होती है ।।
यदि चतुर्थेश एवं नवमेश का परस्पर संबंध हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है । यदि नवमेश या दशमेश का परस्पर संबंध या युति या परस्पर दृष्टि संबंध हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है ।।
चतुर्थ स्थान में मंगल एवं दशम स्थान में गुरु उच्च का होकर स्थित हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है । यदि लग्न में शुक्र एवं सप्तम में चंद्रमा हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है ।।
वृश्चिक लग्न की कुण्डली में-
मित्रों, अब वृश्चिक लग्न की कुण्डली में देखते हैं विदेश यात्रा के योग । वृश्चिक लग्न में पंचम भाव में अकेला बुध हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो शीघ्र ही विदेश यात्रा होती है ।।
वृश्चिक लग्न में चंद्रमा लग्न में हो, मंगल नवम स्थान में स्थित हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है । वृश्चिक लग्न में यदि सप्तमेश शुभ ग्रहों से दृष्ट होकर द्वादश स्थान में स्थित हो तो जातक विवाह के बाद विदेश यात्रा करता है ।।
यदि वृश्चिक लग्न में शुक्र अष्टम स्थान में हो या नवम स्थान में गुरु चंद्रमा की युति हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है ।।
वृश्चिक लग्न में लग्नेश सप्तम भाव में स्थित हो और शुभ ग्रहों से युक्त हो या दृष्ट हो तो कई बार विदेश यात्रा होती है तथा जातक विदेश में ही बस जाता है ।।
धनु लग्न की कुण्डली में-
मित्रों, आइये अब धनु लग्न की बात कर लेते हैं । धनु लग्न में अष्टम स्थान में कर्क राशि का चंद्रमा हो तो जातक कई बाद विदेश यात्रा करता है ।।
धनु लग्न में द्वादश स्थान में मंगल, शनि आदि पाप ग्रह बैठे हों तो विदेश यात्रा का योग बनता है । धनु लग्न में नवमेश नवम भाव में स्थित हो, बलवान हो एवं चतुर्थेश से दृष्टि संबंध बनाता हो, युत हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है ।।
धनु लग्न में अष्टम भाव में चंद्रमा, गुरु की युति हो, नवमेश नवम भाव में हो तो विदेश यात्रा का प्रबल योग बनता है । धनु लग्न में बुध और शुक्र की महादशा अक्सर विदेश यात्रा करवाती है ।।
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