पञ्चांग 01 अक्टूबर 2025 दिन बुधवार।।

Panchang 01 October 2025
Panchang 01 October 2025

बालाजी वेद, वास्तु एवं ज्योतिष केन्द्र।।

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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 01 अक्टूबर 2025 दिन बुधवार।।

मित्रों, तारीख 01 अक्टूबर 2025 दिन बुधवार को अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। आज महानवमी का परम पावन व्रत है। नवमी को माता सिद्धिदात्री देवी की पूजा-आराधना से भक्तों को शीघ्र ही मनोवांछित सिद्धियों की प्राप्ति सहज ही हो जाती है। आज नवमी को उग्रचंडी माता की पूजा-आराधना के उपरान्त नारियल एवं नींबु आदि की बलि अवश्य चढ़ाना चाहिए। आज नवमी तिथि के अंदर ही होमादी कर-करा लेना चाहिए। क्योंकि आज ही विजया दशमी भी हो रहा है। आज अपरान्ह काल में शमी एवं अपराजिता के पौधों की पूजा भी की जाएगी। आज शस्त्र एवं राजचिन्हों के पूजन आदि क्रिया भी सम्पन्न की जाएगी। आज ही सायंकाल में नवरात्र व्रत का पारण एवं दुर्गा विसर्जन भी किया जायेगा। क्योंकि गज वाहन पर माताजी की विदाई अत्यन्त ही शुभ फलदायी एवं सुवृष्टि का योग लेकर आनेवाला है। अतः आज ही विजया दशमी के लगभग सभी कार्यक्रम सम्पन्न हो जायेंगे। आप सभी सनातनियों को “महानवमी व्रत” की हार्दिक शुभकामनायें।।

हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।

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वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).

पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।

नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।

Panchang 01 October 2025

आज का पञ्चांग 01 अक्टूबर 2025 दिन बुधवार।।
Aaj ka Panchang 01 October 2025.

विक्रम संवत् – 2082.

संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – कालयुक्त.

शक – 1946.

अयन – याम्यायनम्.

गोल – सौम्य.

ऋतु – वर्षा.

मास – अश्विन.

पक्ष – शुक्ल.

गुजराती पंचांग के अनुसार – अश्विन शुक्ल पक्ष.

Panchang 01 October 2025

तिथि – नवमी 19:01 PM बजे तक उपरान्त दशमी तिथि है।।

नक्षत्र – पुर्वाषाढा 08:07 AM तक उपरान्त उत्तराषाढा नक्षत्र है।।

योग – शोभन 01:03 AM तक उपरान्त अतिगण्ड योग है।।

करण – बालव 06:40 AM तक उपरान्त कौलव 19:01 PM तक उपरान्त तैतिल करण है।।

चन्द्रमा – धनु राशि पर 14:27 PM तक उपरान्त मकर राशि पर।।

सूर्य – कन्या राशि एवं हस्त नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।

मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 06:30:15

मुम्बई सूर्यास्त – सायं 18:24:41

वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 06:06:26

वाराणसी सूर्यास्त – सायं 17:54:35

राहुकाल (अशुभ) – दोपहर 12:28 बजे से 13:57 बजे तक।।

विजय मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12:16 बजे से 12:40 बजे तक।।

Panchang 01 October 2025

नवमी तिथि विशेष – नवमी तिथि को काशीफल (कोहड़ा एवं कद्दू) एवं दशमी को परवल खाना अथवा दान देना भी वर्जित अथवा त्याज्य होता है। नवमी तिथि एक उग्र एवं कष्टकारी तिथि मानी जाती है। इस नवमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा जी हैं। यह नवमी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह नवमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। नवमी तिथि के दिन लौकी खाना निषेध बताया गया है। क्योंकि नवमी तिथि को लौकी का सेवन गौ-मांस के समान बताया गया है।।

नवमी तिथि में माँ दुर्गा कि पूजा गुडहल अथवा लाल गुलाब के फुल करें। साथ ही माता को पूजन के क्रम में लाल चुनरी चढ़ायें। पूजन के उपरान्त दुर्गा सप्तशती के किसी भी एक सिद्ध मन्त्र का जप करें। इस जप से आपके परिवार के ऊपर आई हुई हर प्रकार कि उपरी बाधा कि निवृत्ति हो जाती है। साथ ही आज के इस उपाय से आपको यश एवं प्रतिष्ठा कि भी प्राप्ति सहजता से हो जाती है।।

आज नवमी तिथि को इस उपाय को पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा से करने पर सभी मनोरथों कि पूर्ति हो जाती है। नवमी तिथि में वाद-विवाद करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण एवं मद्यपान आदि क्रूर कर्म किये जाते हैं। जिन्हें लक्ष्मी प्राप्त करने की लालसा हो उन्हें रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए, यह नरक की प्राप्ति कराता है।।

नवमी तिथि को जन्म लेने वाला व्यक्ति भाग्यशाली एवं धर्मात्मा होता है। इस तिथि का जातक धर्मशास्त्रों का अध्ययन कर शास्त्रों में विद्वता हासिल करता है। ये ईश्वर में पूर्ण भक्ति एवं श्रद्धा रखते हैं। धनी स्त्रियों से इनकी संगत रहती है तथा इसके पुत्र गुणवान होते हैं।।

Panchang 01 October 2025

मित्रों, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं। जिनका उल्लेख भागवत पुराण में भी मिलता है। इसके अलावा मार्कंडेय पुराण एवं ब्रह्ववैवर्त पुराण में भी वर्णित है। इसके अलावा इस दोनों पुराणों में और भी अनेक प्रकार की सिद्धियों का वर्णन है मिलता है।।

ये सिद्धियाँ जिन्होंने भी इस संसार में पायी है, वो इस संसार में भगवान की तरह पूजे गये हैं। परन्तु इस सिद्धियों की प्राप्ति हेतु लगभग इन्सान का सबकुछ खो गया है तब इन सिद्धियों की प्राप्ति हुई है। लेकिन कुछ लोगों को इन सिद्धियों से साक्षात्कार सहज ही हो गया है। जिन्हें सहज ही इन सिद्धियों की प्राप्ति हुई है वो माता दुर्गा के नवम रूप माता सिद्धिदात्री के उपासक रहे हैं।।

जी हाँ आज शारदीय नवरात्रा की नवमी तिथि है और माता सिद्धिदात्री का दिन है। यही माता सभी सिद्धियों की स्वामिनी हैं और इनकी पूजा से ही भक्तों को इन सिद्धियों की प्राप्ति सहज ही हो जाती है। माता दुर्गा की नवम शक्ति का ही नाम सिद्धिदात्री है और यही माता अपने उपासकों को सहज ही सम्पूर्ण सिद्धियों को देनेवाली हैं। सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली माता इन्हीं को माना गया है।।

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व इन आठ सिद्धियों को भगवान शिव ने इन्हीं माता की कृपा से प्राप्त किया था। इन्हीं की अनुकम्पा से भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर बने थे। इसी कारण भगवान शिव संसार में अर्द्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए। माता सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं और इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर आसीन होती हैं।।

इनकी दाहिनी नीचे वाली भुजा में चक्र, ऊपर वाली भुजा में गदा और बांयी तरफ नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प शोभायमान होता है। नवरात्रि पूजन के नवें दिन इनकी पूजा की जाती है। आज के दिन भगवती माता सिद्धिदात्री का ध्यान-पूजन-अर्चन और बन्दन करने से भक्त का “निर्वाण चक्र” जाग्रत हो जाता है।।

मां दुर्गा शेरावाली मईया जगत के कल्याण हेतु नव रूपों में प्रकट हुई और इन नव रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री का। यह देवी प्रसन्न होने पर सम्पूर्ण जगत की रिद्धि-सिद्धि अपने भक्तों को प्रदान करती हैं। देवी सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है देवी ने सिद्धिदात्री का यह रूप भक्तों पर अपनी कृपा बरसाने के लिए धारण किया था। देवता, ऋषि-मुनि, असुर, नाग और मनुष्य सभी मां के भक्त हैं।।

इनकी भक्ति जो भी हृदय से करता है मां उसी पर अपना नेह लुटाती हैं। सिद्धियां हासिल करने के उद्देश्य से जो साधक भगवती सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं उन्हें नवमी के दिन निर्वाण चक्र का भेदन करना चाहिए। दुर्गा पूजा में इस तिथि को विशेष रूप से नवरात्री उपवास और पूजन के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति के उद्देश्य से हवन किया जाता है। हवन से पूर्व सभी देवी दवाताओं एवं माता की पूजा करनी चाहिए।।

हवन करते समय सभी देवी दवताओं के नाम से हवि अर्थात आहुति देनी चाहिए। सभी आवाहित देवी-देवताओं की आहुति के बाद माता के नाम अथवा नवार्ण मन्त्र से आहुति देनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र रूप हैं अत: आप सप्तशती के सभी श्लोकों से आहुति दे सकते हैं। समयाभाव में आप देवी के बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” से कम से कम 108 बार हवन कर सकते हैं।।

जिस प्रकार पूजा के क्रम में भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा सबसे अंत में होती है उसी प्रकार अंत में इनके नाम से आहुति देकर सपरिवार आरती एवं क्षमा प्रार्थना करें। हवन में जो भी प्रसाद आपने चढ़ाया है उसे बाटें और जब हवन की अग्नि ठंढ़ी हो जाए तो इसे पवित्र जल में विसर्जित कर दें। यह भष्म रोग, संताप एवं ग्रह बाधा से आपकी रक्षा करता है एवं मन से सभी भयों को दूर कर देता है।।

जैसा कि पहले भी हमने बताया है, कि नवरात्रि के इन दिनों में माँ दुर्गा, माँ शारदा एवं माता महालक्ष्मी जी की पूजा बड़े धूम-धाम से पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इन दिनों में लगभग सभी सनातनी लोग देवी माँ का उपवास रखते हैं और विधिपूर्वक ढंग से आराधना एवं पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी माँ कि प्रशन्नता प्राप्त करने के लिए उपवास रखें जाते हैं।।

इससे देवी माँ की कृपा सदा ही बनी रहती है और आदि शक्ति की कृपा से ही इस संसार रूपी भव सागर को पार किया जा सकता है। सात दिनों तक उपवास रख कर आठवें दिन अष्टमी को कन्याओं का भोज करवाया जाता है। कई लोग नवमी पर भी कन्याओं को भोजन करवाते हैं क्योंकि दुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है। जिन्हें शतावरी या नारायणी भी कहा जाता है और नव दिनों की तपस्या का सम्पूर्ण फल भी यही देती हैं।।

शतावरी बल बुद्धि एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि मानी जाती है और इस औषधि को हृदय की गति तेज करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान कर माता भक्तों को को निहाल कर देती हैं। आज के पहले माता के अन्य अष्ट स्वरूपों की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना करते हैं।।

इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक-पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। माता सिद्धिदात्री की सेवा जो मनुष्य नियमपूर्वक करता है, उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। संसार के दु:खों से पीड़ित व्यक्ति को आज माता सिद्धिदात्री देवी की आराधना अवश्य करनी चाहिए।।

“समृद्धि तथा सिद्धियों को देनेवाली माता सिद्धिदात्री का विशिष्ट भोग।।” आज के इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए इस लिंक को क्लिक करें:

समृद्धि तथा सिद्धियों को देनेवाली माता सिद्धिदात्री का विशिष्ट भोग।।

Panchang 01 October 2025

पूर्वाषाढा नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव:- पूर्वाषाढा में जन्म लेने वाला जातक थोडा नकचढ़ा और उग्र स्वभाव के होने बावजूद कोमल हृदयी और दूसरों से स्नेह रखने वाला होता है। आप जीवन में सकारत्मक विचारधारा से आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य प्राप्त करते हैं। आपका व्यक्तित्व दूसरों पर हावी रहता है परन्तु आप एक संवेदनशील व्यक्ति हैं जो दूसरों की मदद के लिए सदैव तैयार रहतें है।।

अपने इन्ही गुणों के कारण आप को बहुत अधिक प्रेम एवं सम्मान भी मिलता है। परन्तु अपनी चंचल बुद्धि के कारण आप अधिक वफादार नहीं होते हैं। और कभी कभी अनैतिक कार्यों में भी लिप्त हो जाते हैं। कुल मिलकर आप एक जटिल व्यक्ति हैं जिसे समझाना मुश्किल है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक बुद्धिजीवी होते हैं और अपनी मेहनत और सत्यनिष्ठा के कारण आगे बढ़ते हैं। जीवन में कई बार जहाँ आपको असंभावित व्यक्तियों से मदद मिलती है वहीँ करीबी और मित्रों से धोखा।।

आप बेहद हिम्मती व्यक्ति होंगे परन्तु कभी कभी निर्णायक स्तिथि में पहुँचने के लिए किसी दूसरे का मार्गदर्शन आपके लिए आवश्यक हो जाता है। किसी निर्णय पर पहुंचकर आपको हिलाना संभव नहीं है। इसी कारण आप कभी कभी जिद्दी भी समझे जाते हैं। आपको अपने कार्यों में किसी का हस्तक्षेप कतई पसंद नहीं है। फिर चाहे आप कितने भी गलत क्यों न हों।।

यदि पूर्वाषाढा में जन्मे जातक व्यवसाय में हो तो अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के चुनाव में अधिक सतर्क रहें। क्योंकि उनकी सफलता इन्ही करमचारियों पर निर्भर करती है। वैसे आपके लिए मेडिकल, कला, दर्शन शास्त्र और विज्ञान से सम्बंधित क्षेत्र सर्वोत्तम होता हैं। आपका जिद्दी और कठोर स्वभाव ही आपके लिए जीवन में रुकावटें लेकर आता है। 32 वर्ष तक आप संघर्षरत रहेंगे और 50 वर्ष तक आते-आते आप अपने करियर में चमकते हैं।।

जीवन में माता-पिता का सहयोग ना के बराबर रहता है। परन्तु भाई बहनों के प्रेम और सहयोग के कारण आप सफलता प्राप्त करते हैं। व्यवसायिक दाईत्व के कारण आपको अपने जन्म स्थल से दूर जाना पड़ सकता है। आपका विवाह थोडा विलम्ब से होता है। परन्तु एक अच्छे जीवन साथी के कारण आपका दांपत्य जीवन सुखमय एवं आनंददायक हो जाता है। आपका अपनी पत्नी और ससुराल पक्ष से बेहद लगाव रहेगा।।

आपकी संतान बुद्धिमान एवं आपका नाम रोशन करने वाली होगी। पूर्वाषाढा में जन्मी जातिकायें धार्मिक, शीलवान और बहुत ही नम्र स्वभाव की होती हैं। झूठ से नफरत करने वाली एवं ईश्वर में पूर्ण आस्था रखने वाली होती है। दया भाव एवं दान पुण्य करना इनके स्वभाव में ही होता है। पूर्वाषाढा में जन्मे जातकों की ऊँचाई औसतन सामान्य व्यक्ति से अधिक होती है। इसीलिए इन्हें कमर और कुल्हे का दर्द, टी बी, मधुमेह, रक्त विकार और कैंसर जैसी बीमारियाँ हो सकती है।।

प्रथम चरण:- पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है। इसीलिए इस नक्षत्र पर शुक्र का प्रभाव रहता है। इसी वजह से जातक प्रेम करने वाला तथा जीवन को जीने की कला जानने वाला होता है। पूर्वाषाढा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी सूर्य हैं। दोनों ग्रह परस्पर शत्रु होते हुए भी तेजस्वी हैं। इसलिए इस चरण में जन्मा जातक अपनी जाती का तेजस्वी एवं श्रेष्ठ व्यक्ति होता है। गुरु की दशा शुभ फल देती है। सूर्य की दशा में जातक का सम्पूर्ण भाग्योदय होता है तथा शुक्र की दशा सामान्य जाती है।।

द्वितीय चरण:- पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है। इसके द्वितीय चरण का स्वामी बुध हैं। गुरु एवं शुक्र दोनों आचार्य एवं बुद्धि प्रधान ग्रह हैं। परस्पर शत्रु होते हुए भी तेजस्वी हैं। बुध और शुक्र की मित्रता के कारण व्यक्ति राजा तुल्य पराक्रमी एवं बुद्धिशाली होता है। गुरु की दशा उत्तम फल देती है। सूर्य की दशा में जातक का सम्पूर्ण भाग्योदय होता है। बुध की दशा भी श्रेष्ठ फल देती है तथा शुक्र की दशा सामान्य जाती है।।

तृतीय चरण:- पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है। इसके तृतीय चरण का स्वामी भी शुक्र हैं। शुक्र के वजह से जातक तेजस्वी होता हैं। इसलिए इस चरण में जन्मा जातक प्रिय, मीठी एवं हितकर वाणी बोलने वाला होता है। गुरु की दशा शुभ फल देती है। शुक्र की दशा में जातक का सम्पूर्ण भाग्योदय होता है। शुक्र की दशा कभी भी अशुभ फल नहीं देती है।।

चतुर्थ चरण:- पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है। इसके चतुर्थ चरण का स्वामी मंगल हैं। दोनों ग्रह गुरु और शुक्र परस्पर शत्रु ग्रह हैं। मंगल से भी शुक्र की शत्रुता होती है। इसलिए इस चरण में जन्मा जातक संघर्ष करता हुआ धनी होगा। गुरु की दशा शुभ फल देती है। सूर्य की दशा में जातक का सम्पूर्ण भाग्योदय होता है। मंगल की दशा विदेशों की यात्रा या तीर्थ यात्रा कराएगी शुक्र की दशा सामान्य जाती है।।

Panchang 01 October 2025

आज बुधवार के दिन यह सावधानी अवश्य रखें:- बुधवार को बालों से संबंधित कोई भी वस्तु न खरीदें, टूथ ब्रश आदि भी नहीं खरीदना चाहिए। बुधवार के दिन दूध की खीर या अन्य कोई व्यंजन जिसमें दूध जलने की संभावना हो नहीं बनाना चाहिए। अगर हो सके तो आज के दिन दूध न उबालें। बुधवार के दिन किसी को उधार पैसे न दें। इससे आपको धन संबंधित परेशानी हो सकती है।।

आज बुधवार के दिन ये विशेष उपाय करें – बुधवार गणपति, गजानन, विघ्नहर्ता श्री गणेशजी का दिन है। इसलिये आज के दिन इनकी पूजा का विशेष महत्त्व होता है। आज के दिन गणपति की पूजा के उपरान्त मोदक, बेशन के लड्डू एवं विशेष रूप से दूर्वादल का भोग लगाना चाहिये इससे मनोकामना की सिद्धि तत्काल होती है।।

अगर आपकी कुण्डली में बुध अच्छा हो तो इन कार्य क्षेत्र में आपको सफलता सहजता से मिल सकती है। बुधवार को भी इन कामों को करना चाहिए। जिससे आपके जीवन में सफलता प्राप्त हो जाएगी।।

ज्योतिष, शेयर, दलाली जैसे कार्यों के लिए भी यह दिन शुभ माना गया है। सिंदूर का तिलक या टीका लगाएं। इस दिन पूर्व, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में यात्रा कर सकते हैं। इस दिन धन जमा करने से धन में बरकत होती है। माता दुर्गा के मंदिर जाना चाहिए। इस दिन किसी कन्या को साबुत बादाम भी दान में देना चाहिए।।

बुधवार का विशेष – बुधवार के दिन तेल मर्दन अथवा मालिश करने से माता लक्ष्मी प्रशन्न होती हैं और धनलाभ होता है – (मुहूर्तगणपति)।।

बुधवार को क्षौरकर्म (बाल दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से धन एवं पूण्य का लाभ होता है।। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।

दिशाशूल – बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो, यात्रा करनी ही हो तो धनिया, तिल की वस्तु, ईलायची अथवा पिस्ता खाकर यात्रा कर सकते है।।

Panchang 01 October 2025

मित्रों, बुधवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति मधुर वाणी बोलने वाले होते हैं। इस तिथि के जातक पठन पाठन में रूचि रखते हैं और ज्ञानी होते हैं। ऐसे लोगों का लेखन में अत्यधिक रूचि होती है और अधिकांशत: इसे अपनी जीवका का साधन भी बना लेते हैं। ये जिस विषय का चयन करते हैं उसके अच्छे जानकार होते हैं। इनके पास धन तो होता है परंतु ऐसे लोग धोखेबाज भी होते हैं।।

ऐसे जातक सामन्य रंग-रूप, बुद्धिमान, लेखक, पत्रकार, प्रकाशक एवं द्विस्वभाव के होते हैं। किसी एक कार्य को न कर अनेक कार्य में जुटे होते हैं। वैसे शान्तिप्रिय रहना इनका स्वभाव होता है। अधिकांशतः मार्केटिंग के क्षेत्र में ऐसे लोगों को उत्तम सफलता मिलती है। बुधवार को जन्म लेने वाले हमेशा असमंजस के शिकार रहते हैं। वह एक समय कई कार्यों पर हाथ आजमाने की कोशिश करते हैं, कई बार सफलता मिल भी जाती है और कई बार गिरते भी हैं।।

इनमें छल-कपट नहीं होता और कई बार तो ये दूसरों की गलतियां खुद पर तक ले लेते हैं। इनको लेखन, पत्रकारिता, प्रकाशन, बैंकिंग और मार्केटिंग के क्षेत्र में अपना किस्मत आजमाना चाहिये। इन क्षेत्रों में इन्हें अच्छी सफलता की संभावना होती है। इनके लिये बुधवार एवं शुक्रवार का दिन भाग्यवर्धक होता है तथा 3 और 6 इनका लकी नम्बर होता है।।

आज का सुविचार – मित्रों, यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा “आप” शब्द का, उसके बाद “हम” शब्द का और सबसे कम “मैं” शब्द का प्रयोग करना चाहिए। इस संसार में कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा।।

Panchang 01 October 2025

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समृद्धि तथा सिद्धियों को देनेवाली माता सिद्धिदात्री का विशिष्ट भोग।।

मकर राशि वालों के मृत्यु का योग।। Makar Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“तुला राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी।। Tula Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“मिथुन राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी। Mithun Rashi Walo Ki Mrityu.

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Panchang 01 October 2025

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