स्त्रियों के अंगों पर चिन्हों के लक्षण।।

Rahu Me Rahu Ki Antardasha
Rahu Me Rahu Ki Antardasha

स्त्रियों के अंगों पर चिन्हों के लक्षण एवं शनि के दुष्प्रभावों की शान्ति का उपाय।। Dushprabhavo ki shanti ka upay.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, शारीरिक चिह्नों अर्थात शरीर पर बने चिन्हों के आधार पर स्त्री एवं पुरूष के लक्षण अलग-अलग बताए गए हैं। पुरूष के अंगों पर जहां शंख, पक एवं चक्र जैसे चिह्न शरीर के दाएं अंग में शुभ बताए गए हैं, वहीं स्त्री जातक में ये चिह्न बाएं अंग में शुभ माने गए हैं।।

स्त्री जातक के ललाट, आंख, गाल, कंधे, हाथ, वक्ष, उदर एवं पांव के बाएं भागों में तिल को शुभ माना जाता है। अंगों की स्फुरण के मामले में भी स्त्री के बाएं अंगों में स्फुरण को भी शुभ बताया गया है।।

हस्तरेखा शास्त्र में भी ऎसा माना जाता है, कि पुरूष का बायां हाथ उसे अपने पूर्व जन्मों के कर्मानुसार मिलता है, जबकि दायां हाथ इस जीवन के भाग्य और कर्म का लेखा जोखा रखता है।।

वहीँ ठीक इसके उलट स्त्री जातक के बाएं हाथ को अधिक महत्त्व दी जाती रही है। बदलते जमाने के अनुसार अब कुछ ज्योतिषी कामकाजी या खुद निर्णय लेने वाली स्त्रयों के दाएं हाथ का भी निरीक्षण करने लगे हैं।।

चलिए अब जाते-जाते आज शनिवार है तो शनिदेव से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण टिप्स दे देते हैं। शनि ग्रह की शान्ति का सरल उपाय। इस मन्त्र का अधिकाधिक जप या इस मन्त्र से हर शनिवार को हवन करने से शनि के दुष्प्रभाव की सहज हो जाती है – ऊँ षां षीं षूं स: शनि देवाय नम: स्वाहा:।।

शनिवार को सूर्यास्त के पश्चात स्टील की कटोरी में जल रखकर किसी भी दिशा में 7 माला शनि मंत्र का जाप कर लें। उसके पश्चात जल स्वयं पी लें। साढ़े साती चलते रहने पर कांसे की कटोरी में कड़वा तेल डालकर अपना प्रतिबिम्ब देखकर शनि मन्दिर में शनि प्रतिमा पर चढ़ा दें।।

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