गुरु के साथ अन्य ग्रहों की युति का फल ।। Guru Ke sath Anya Grahon Ki Yuti Ka fal.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, आज बिना किसी भूमिका के हम बात करेंगे गुरु के साथ अन्य ग्रहों के सम्बन्धों के विषय में और उनके शुभाशुभ फल के विषय में । गुरु के साथ सूर्य के मिलने से जीव और आत्मा का संगम हो जाता है ।।
ज्योतिष शास्त्रानुसार गुरु जीव है और सूर्य आत्मा है । जिस जातक की कुंडली में जिस भाव में यह दोनों बैठे होते हैं वह भाव जीवात्मा के रूप में माना जाता है ।।
जातक राज्य मान्य, धर्म के विषय में निष्ठावान, मित्रों एवं धन से परिपूर्ण, धार्मिक कार्यों को करने वाला होता है । यह जातक अध्ययन प्रिय तथा अधिक प्रसिद्धि पाने वाला होता है । सरकार से भी लाभ सम्भावित होता है ।।
मित्रों, गुरु अगर चन्द्रमा के साथ हो तो जातक में माता के भाव जाग्रत रहते है । जातक के जीवन में माता-पिता का साथ बना रहता है । ऐसा जातक अपने ज्ञान को जनता में बांटना चाहता है ।।
गुरु के साथ मंगल के बैठने से कानून में पुलिस का साथ हो जाता है । धर्म में पूजा-पाठ और इसी प्रकार की क्रियायें शामिल हो जाती है ।।
जातक बुद्धिमान, शिल्पशास्त्र का ज्ञाता, वेदज्ञ, वाग्विलास, भाषण में कुशल (लच्छेदार तथा प्रभावशाली ढंग से भाषण देनेवाला), प्रधान होता है । इसको घोड़ों से या वाहनों से अधिक प्रेम होता है ।।
गुरु के साथ बुध हो तो जातक के अन्दर वाचालता आ जाती है । वह धर्म और न्याय के पद पर आसीन हो जाता है । उसके अन्दर भावानुसार कानूनी ज्ञान भी हो जाता है ।।
जातक नृत्य, वादन कला, साहित्य आदि में रुचि रखने वाला, धैर्यवान, पंडित एवं ज्ञानी होता है । जातक सुशील, सुखी एवं व्यवहारकुशल होता है । फिर भी इसके पिता को आयु, स्वास्थ्य, धन की हानि सम्भावना बनी रहती है ।।
कुण्डली में गुरु अगर शुक्र के साथ हो तो आध्यात्मिकता से भौतिकता की ओर झुकाव होने लगता है । वह कानून तो जानता है लेकिन कानून को भौतिकता में देखना चाहता है ।।
वह धर्म को तो मानता है लेकिन भौतिक रूप में सजावट आदि के द्वारा अपने इष्ट को देखना चाहता है । जातक मनोहर, अटूट धन वाला, आस्तिक, धर्मविषयक प्रमाणों का ज्ञाता, अध्ययनप्रिय, बुद्धिमान, ज्ञानी तथा अपनी विद्या द्वारा आजीविका का निर्वाह करने वाला एवं विनम्र तथा गुणवान होता है ।।
गुरु के साथ शनि के मिलने से जातक के अन्दर एक प्रकार से ठंडी वायु का संचरण शुरु हो जाता है । जातक धार्मिक होता है कार्य करता है लेकिन कार्य फ़ल के लिये अपनी तरफ़ से जिज्ञासा को जाहिर नहीं कर पाता है ।।
जिसे जो भी कुछ दे देता है वापस नहीं ले पाता है । जिसके कारण उसे दुख और दर्द की अधिक मीमांसा करने की आदत होती है ।।
परन्तु ऐसा जातक उत्तम रीति से आजीविका निर्वाह करने वाला, शूरवीर एवं यशस्वी होता है । नगर का अधिपति या सेना का मुखिया होता है । न्याय का पक्षधर, गम्भीर प्रकृति एवं गहन स्वभाव वाला होता है ।।
गुरु राहु का साथ होने से जातक धर्म और धार्मिक प्रकरणों में न्याय आदि के लिये अपनी शेखी बघारने के अलावा और उसे कुछ नहीं आता है ।।
यह कानून तो जानता है, लेकिन कानून के अन्दर झूठ और फ़रेब का सहारा लेने की उसकी आदत होती है । वह धर्म को मानता है, लेकिन अन्दर से पाखंड का सहारा लेने का भी उसका आदत हो जाता है ।।
केतु के साथ मिलकर वह धर्माधिकारी के रूप मे काम करता है । कानून को जानने के बाद वह कानूनी अधिकारी बन जाता है अन्य ग्रह की युति में जैसे मंगल के साथ हो तो जातक कानून के साथ में दंड देने का अधिकारी भी बन जाता है ।।
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