प्रथम भाव में स्थित सूर्य का शुभाशुभ फल।। Lagnasth Surya Ka Fal.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, कुण्डली के प्रथम भाव में स्थित सूर्य बड़ा ही शुभफलदायी माना जाता है । क्योंकि सूर्य आत्मा का कारक ग्रह माना जाता है, जबकि प्रथम भाव भी आत्मा का कारक माना गया है ।।
आपकी कुण्डली के प्रथम भाव में स्थित सूर्य इस बात का संकेत करता है, कि आपका स्वभाव स्पष्ट और उदार होगा । आपके छोटे भाई और बहन भाग्यशाली होंगे वो अच्छे मित्रों वाले और पद प्रतिष्ठा वाले होंगे ।।
मित्रों, आपकी मां धार्मिक विचारों वाली और तीर्थयात्रायें करने वाली होंगी । आपके बच्चों की शिक्षा का स्तर अच्छा होगा । वे दूर देश में भी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं । सरकार से आपके संबंध भी अच्छे रहेंगे ।।
लग्न में बैठा सूर्य बताता है, कि सत्ता से जुडे और शक्तिशाली लोगों से आपके अच्छे रिश्ते रहेंगे । आप अपने पिता का आदर करने वाले व्यक्ति हैं एवं उनकी आज्ञा मानने वाले एक आज्ञाकारी पुत्र हैं ।।
आपका जीवन साथी अच्छे खानदान से होगा । आप स्वभाव से ईमानदार और धार्मिक होंगे अथवा नैतिकता के दॄष्टिकोण से आपका बर्ताव भी उचित रहेगा । लेकिन लग्न में स्थित सूर्य आपके स्वभाव में आक्रामकता को भी दर्शाता है ।।
इतना ही नहीं, लग्नस्थ सूर्य वाले जातकों में कभी-कभी विवेक हीनता, अलस्य, क्षमाहीनता, घमंड एवं धर्यहीनता भी देखी जाती है । हांलाकि यह आपमें महत्वाकांक्षा और प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराने के गुण भी देता है ।।
लग्न में स्थित सूर्य आपको तेजस्वी और लम्बा तो बनाता है लेकिन साथ ही गंजापन और दुर्बलता भी दे सकता है । आप सिर या आंखों की समस्या से पीडित हो सकते हैं । परन्तु आपका बाकी स्वास्थ्य अच्छा रहेगा ।।
जिनकी कुण्डली में लग्न में सूर्य होता है, हो सकता है कि बाल्यावस्था में उनका स्वास्थ्य कुछ हद तक उदासीन रहे परन्तु बाद में ठीक रहता है । आपकी कुछ कमाई पशुओं के माध्यम से भी हो सकती है और बच्चों की संख्या कम ही रहती है ।।
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