छठा “महापद्म” नामक कालसर्प योग ।। 6.Mahapadma KaalSarpa Dosha
कालसर्प दोष के सभी भेदों में से छठे ”महापद्म नामक कालसर्प दोष” को उदाहरण सहित एवं कुंडली प्रस्तुत करते हुए समझाने का प्रयास कर रहे है शायद आपलोगों को अच्छी तरह समझ में आये ।।
राहु छठे भाव में और केतु बारहवे भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित हों तो महापद्म नाम का कालसर्प योग बनता है । इस योग में जातक शत्रु विजेता होता है, क्योंकि इस सूत्र – त्रिषटे राहोर्बलम = अर्थात किसी भी त्रिषडाय में राहू बलवान होता है, तथा शुभफल दायक होता है ।।
ऐसा जातक विदेशों से व्यापार में लाभ कमाता है लेकिन बाहर ज्यादा रहने के कारण उसके घर में शांति का अभाव रहता है ।।
इस योग के जातक को एक ही चिज मिल सकती है धन या सुख । इस योग के कारण जातक यात्रा बहुत करता है उसे यात्राओं में सफलता भी मिलती है परन्तु कई बार अपनों द्वारा धोखा खाने के कारण उनके मन में निराशा की भावना जागृत हो जाती है एवं वह अपने मन में शत्रुता पालकर रखने वाला भी होता है ।।
ऐसे जातक का चरित्र भी बहुत संदेहास्पद हो जाता है । उसके धर्म की हानि होती है । वह समय-समय पर बुरा स्वप्न देखता है । उसकी वृध्दावस्था कष्टप्रद होती है । इतना सब कुछ होने के बाद भी जातक के जीवन में एक अच्छा समय आता है और वह एक अच्छा दलील देने वाला वकील अथवा तथा राजनीति के क्षेत्र में सफलता पाने वाला नेता हो जाता है ।।
दोष निवारण के कुछ सरल उपाय:-
१.श्रावणमास में ३० दिनों तक शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करें ।।
२.शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से शनिवार व्रत आरंभ करना चाहिए । यह व्रत १८ बार करें । काला वस्त्र धारण करके १८ अक्षर का वैदिक मन्त्र या ३ अक्षर का राहु के बीज मंत्र की एक माला जपें । तदन्तर एक बर्तन में जल, दुर्वा और कुश लेकर पीपल की जड़ में डालें । भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी समयानुसार रेवड़ी, भुग्गा, तिल के बने मीठे पदार्थ सेवन करें और यही दान में भी दें । रात को घी का दीपक जलाकर पीपल की जड़ के पास रख दें ।।
३.इलाहाबाद (प्रयाग) में संगम पर या फिर किसी भी पवित्र नदी में नाग-नागिन की विधिवत पूजन कर दूध के साथ में प्रवाहित करें एवं तीर्थराज प्रयाग में संगम स्थान में तर्पण श्राध्द भी एक बार अवश्य करें ।।
४.मंगलवार एवं शनिवार को रामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का 108 बार पाठ श्रध्दापूर्वक करें ।।
इस प्रकार के छोटे-छोटे उपायों से इस प्रकार के दोषों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शान्ति तथा व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होती है ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।