मेष लग्न में बारहों घरों में सूर्य का फल।।

Mesh Lagn me Surya
Mesh Lagn me Surya

मेष लग्न की कुंडली द्वादश भावों में सूर्य का शुभाशुभ फल।। Mesh Lagn Kundali me Surya (Sun).

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, हमारे वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना गया है। सूर्य को देव ग्रह कहा जाता है जो दृश्य हैं, जिसे हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं। सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल एवं आँखों के कारक कहे जाते हैं। मेष लग्न की कुंडली में सूर्य पंचम भाव का स्वामी होने से एक कारक ग्रह बनता है। अतः ऐसी स्थिति में सूर्य जिस भाव में जाएगा और जिस भाव को देखेगा उन भावों से सम्बंधित फलों को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा और उसमें बढ़ोतरी करेगा।।

मेष लग्न की कुंडली में अगर सूर्य बलवान (डिग्री से भी ताकतवर) होकर शुभ स्थित हो तो शुभ फ़ल अधिक प्राप्त होते हैं। इस लग्न कुंडली में सूर्य डिग्री में ताकतवर न हों तो इनके शुभ फलों में कमी आती है। साथ ही महत्वपूर्ण बात यह है, कि कुंडली के 6, 8, 12 भावों में जाने से योगकारक ग्रह भी अपना शुभत्व लगभग खो देते हैं। अत: ऐसे में शुभ ग्रह भी अशुभ परिणाम देने के लिए बाध्य हो जाते हैं।।

केवल विपरीत राज योग की स्थिति में ही 6, 8, 12 वें भावों में स्थित ग्रह शुभ फल प्रदान करने की स्थिति में होते हैं। इस लग्न कुंडली में सूर्य पंचम भाव का स्वामी है। ऐसे में यहाँ विपरीत राजयोग का निर्माण होता ही नहीं है। सूर्य 6, 8, 12 वें भाव में स्थित हो तो अशुभ फल प्रदान करते है। अन्य ग्रहों की भांति सूर्य के भी नीच राशिस्थ होने पर अधिकतर फल अशुभ ही प्राप्त होते हैं। कोई भी निर्णय लेने से पूर्व सूर्य का बलाबल देखना न भूलें।।

मेष लग्न।। प्रथम भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya pratham bhav me ।।

मेष राशि में सूर्य उच्च होते हैं। यदि लग्न में सूर्य हो तो जातक ऊर्जावान और गर्वीला होता है। कुशल निर्णय लेने में दक्ष, बुद्धिमान और समाज में प्रतिष्ठित होता है।।

मेष लग्न।। द्वितीय भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya dwitiya bhav me ।।

ऐसे जातक को धन, परिवार-कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है। रोबीली वाणी होती है। अपनी ऊर्जा, प्रभाव एवं निर्णय क्षमता से सभी मुश्किलों को पार कर लेता है।।

मेष लग्न।। तृतीय भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya tritiy bhav me ।।

ऐसे जातक बहुत परिश्रमी होते हैं। जातक का भाग्य उसका साथ देता है। छोटे भाई का योग बनता है। धर्म को विज्ञान की तरह देखता है। परन्तु इनके पिता से इनका मतभेद बना रहता है।।

मेष लग्न।। चतुर्थ भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya chaturth bhav me ।।

चतुर्थ भाव में सूर्य हो तो जातक को भूमि, भवन, वाहन एवं माता का पूर्ण सुख मिलता है। काम काज भी बेहतर स्थिति में होता है। विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है। जातक का माता से लगाव बहुत होता। परन्तु माता से वैचारिक मतभेद बना रहता है।।

मेष लग्न।। पंचम भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya pancham bhav me ।।

पंचमस्थ सूर्य पुत्र का योग बनता है। अचानक लाभ की स्थिति भी बनती है। बड़े भाइयों बहनों से संबंध मधुर रहते हैं। ऐसा जातक रोमांटिक होता है। साथ ही ऐसा जातक बहुत बुद्धिमान भी होता है।।

मेष लग्न।। षष्टम भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya shashtm bhav me ।।

षष्ठस्थ सूर्य की महादशा में संतान को अथवा सन्तान से कष्ट होने का योग बनता है। साथ ही कोर्ट-कचहरी, केस-मुक़दमा तथा हॉस्पिटल में खर्चा होता है। दुर्घटना का भी भय सदैव बना रहता है।।

मेष लग्न।। सप्तम भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya saptam bhav me ।।

सप्तम भाव में सूर्य के नीच राशिस्थ होने की वजह से जातक का वैवाहिक जीवन कष्टमय होता है। पति-पत्नी दोनों घमंडी और झगड़ालू प्रवृत्ति के होते हैं। परन्तु व्यवसाय एवं साझेदारों से लाभ मिलता है।।

मेष लग्न।। अष्टम भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya ashtam bhav me ।।

सूर्य के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है। सूर्य की महादशा में टेंशन बनी रहती है। दिमाग काम नहीं करता अथवा बुद्धि साथ नहीं देती है।।

मेष लग्न।। नवम भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya navam bhav me ।।

नवमस्थ सूर्य के वजह से जातक उत्तम संतान युक्त, आस्तिक एवं पितृ भक्त होता है। ऐसा जातक विदेश यात्रा अवश्य करता है।।

मेष लग्न।। दशम भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya dasham bhav me ।।

दशमस्थ सूर्य जातक को भूमि, भवन, वाहन एवं माता का पूर्ण सुख देता है। ऐसा जातक समाज में प्रतिष्ठित होता है। सरकारी नौकरी का योग भी बनाता है। यदि सरकारी नौकरी में हो तो सूर्य की महादशा में पदोन्नति होने की संभावना बनती है। काम काज बहुत अच्छा चलता है।।

मेष लग्न।। एकादश भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya ekaadash bhav me ।।

एकादश भाव में सूर्य स्थित हो तो बड़े भाई बहनों का स्नेह बना रहता है। सुन्दर पुत्र की प्राप्ति का योग बनता है। सूर्य की महादशा में अचानक धन लाभ की संभावना भी बनती है।।

मेष लग्न।। द्वादश भाव में सूर्य।। Mesh Lagan ।। Surya dwadash bhav me ।।

द्वादश भाव में बैठा सूर्य पेट की बीमारी देता है अथवा उसकी संभावना बनी रहती है। मन सदैव परेशान रहता है। कोर्ट-कचहरी, केस-मुक़दमा तथा हॉस्पिटल में खर्चा होता है। दुर्घटना का भय भी बना रहता है।।

मित्रों, यहाँ वर्णित व्याख्यान एक अनुमान है, सूर्य के फलादेश में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि हो सकता है। बलाबल की उचित जानकारी प्राप्त करने के लिए सूर्य की डिग्री, षड्बल एवं नवमांश का निरिक्षण अवश्य करें। सूर्य यदि ३, ६, ८, १२वें भाव में से कहीं स्थित हो तो माणिक्य रत्न कदापि धारण न करें। किसी योग्य विद्वान से कुंडली विश्लेषण आवश्य करवाएं तत्पश्चात उपाय करें।।

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