राज्यस्तरीय सम्मान दिलाता है चन्द्रमा।।

भगवान शिव की आराधना करना, मोती धारण करना, दो मोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें । कुण्डली के छठवें भाव में चन्द्रमा हो तो दूध या पानी का दान नहीं करना चाहिये ।।

Moon Rajyog Deta Hai
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राज्यस्तरीय सम्मान, यश एवं प्रतिष्ठा का भागी तथा अक्षुष्ण कीर्ति देता है चन्द्रमा।। Moon Rajyog Deta Hai.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, आज सोमवार है, तो आज चन्द्रमा से सम्बन्धित लेख आप सभी के लिये प्रस्तुत है । चन्द्रमा से होने वाली कुछ परेशानियों एवं उस से जुड़े कुछ सरल उपाय के विषय में आज हम बात करेंगे । सामान्यतया चन्द्रमा माता और मनं का कारक ग्रह माना गया है ।।

यह कर्क राशि का स्वामी ग्रह है और जल तत्व प्रधान ग्रह माना जाता है । किसी भी जन्मकुण्डली में चन्द्रमा जब अशुभ हो तो जातक की माता को कष्ट एवं स्वास्थ्य को खतरा होता है ।।

इसके अशुभ होने पर घर में पालतू पशु जो दूध देने होते हैं, उनकी मृत्यु भी सम्भव होती है । जातक की स्मरण शक्ति कमजोर अथवा क्षीण होने लगती है । घर में पानी की कमी होने लगती है या नलकूप, कुएँ आदि सूखने लगते हैं ।।

मानसिक तनाव, घबराहट एवं मन में तरह-तरह की शंकायें आने लगती है । अथवा मनं में एक अनिश्चित प्रकार का भय एवं शंका सदैव बनी रहती है तथा जातक को जैसे सदैव सर्दी लगी रहती है ।।

मित्रों, ऐसे जातक के मन में ज्यादातर नकारात्मक विचारों का बार-बार आना । किसी भी काम में पूर्णतः मन का न लगना, एक अनजानी सी बेचैनी को महशुश करना इस प्रकार की परेशानियाँ बनी रहती है ।।

परन्तु कुण्डली में चन्द्रमा यदि शुक्ल पक्ष का अथवा शुभ हो तो जातक को बहुत कुछ दे सकता है । जैसे चन्द्रमा यदि पञ्चम भाव पर दृष्टिनिक्षेप करे तो जातक को पुत्र अधिक होते हैं ।।

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चन्द्रमा यदि कारक होकर उच्च राशि का, स्वराशि का, शुभ ग्रहों से युक्त और दुष्ट हो तो अपनी दशा-अंतर्दशा में जातक को पशुधन विशेषत: दूध देने वाले पशुओं से लाभान्वित करवाता है ।।

इसकी दशा में जातक यश एवं प्रतिष्ठा का भागी होकर अपनी कीर्ति को अक्षुष्ण बना लेता है । कन्या-रत्न की प्राप्ति या कन्या के विवाह जैसा उत्सव और मंगल कार्य संपन्न करवाता है । गायन-वादन आदि ललित कलाओं में जातक की रुचि बढती है एवं स्वास्थ्य सुख तथा घन-घान्य की वृद्धि होती है ।।

मित्रों, आप्तजनों द्वारा कल्याण होता है तथा राज्यस्तरीय सम्मान मिलता है । यदि चन्द्रमा नीच राशि का, पाप ग्रहों से युक्त अथवा प्राण योग में हो तथा त्रिक स्थानस्थ हो तो अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक को आलस्य, माता को कष्ट, चित्त में भ्रम और भय, परस्त्री रमण के कारण अपयश तथा प्रत्येक कार्य में विफलता देता है ।।।

जल में डूबने की आशंका रहती है, शीत ज्वर, सर्दी-जुकाम अथवा धातु विकार जैसी पीड़ायें भी भोगनी पड़ती है । मंगल यदि कारक होकर उच्च राशि, स्वराशि, मित्र राशि अथवा शुभ प्रभाव से युक्त होकर शुभ स्थान में स्थित हो और चन्द्रमा की महादशा में दशाभुक्ति करे तो जातक को परमोत्साही बना देता है ।।

सेना में नौकरी दिलवाना और यदि सेना या पुलिस में पहले से ही हो तो उसे उच्च पद दिलवाता है । इष्ट-मित्रों से लाभ मिलता है, कवित्व अथवा लेखन के व्यवसाय की उन्नति होती है ।।

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मित्रों, यदि अशुभ क्षेत्री अथवा नीच राशि का मंगल हो तो उसके दशाकाल में जातक क्रूर कर्मों से विशेष ख्याति अर्जित करता है । शत्रुओं को समूल नष्ट करने में ऐसा जातक सक्षम हो जाता है ।।

यह मंगल अवस्था-भेद से जातक को अनेक अशुभ फल भी देता है । जैसे धनधान्य एवं पैतृक सप्पत्ति का नाश, बलात्कार के केस से कारावास होना तथा जातक का क्रोधावेग बढ़ जाना आदि ।।

माता पिता एवं इष्ट मित्रों से वैचारिक वैमनस्यता बढ़ जाती है । तरह-तरह के दुर्घटनाओं के योग बनने लगते हैं । जातक का रक्तविकार, रक्तचाप, रक्तपित्त आदि से परेशानी अथवा बिजली से झटका लगना आदि जैसे अशुभ घटनाओं का घटित होना आम बात हो जाता है ।।

इन सभी कारणों से जातक का शरीर कृश हो जाता है तथा नकसीर फूटना जैसी व्याधियों की चिकित्सा पर धन का अकारण व्यय होता है । यदि चन्द्रमा की महादशा में राहु की अन्तर्दशा आये तो ये समय शुभ फलदायक नहीं होती ।।

दशा के आरम्भ काल में कुछ शुभ फल अवश्य प्राप्त होते हैं । यदि राहु किसी कारक ग्रह से युक्त हो तो कार्य-सिद्धि भी होती है । जातक तीर्थाटन करता है या किसी उच्चवर्गीय व्यक्ति से उसे धन लाभ भी मिलता है ।।

इस दशाकाल में जातक पश्चिम दिशा में यात्रा करे तो विशेष लाभान्वित होता है । परन्तु अशुभ राहु की अंतर्दशा में जातक की बुद्धि मलिन हो जाती है । विद्यार्थी हो तो परीक्षा में अनुत्तीर्ण होते रहता है और अगर उत्तीर्ण भी हो तो बिना किसी श्रेणी के उत्तीर्ण भर होता है ।। Moon can give you a state level honor and respect

किसी भी कार्य अथवा व्यवसाय की हानि करवाता है, शत्रु से पीड़ा होती हैं तथा परिजनों को भी कष्ट मिलता है । जातक अनेक आधि-व्याधियों और जीर्ण ज्वर, काला ज्वर, प्लेग, मन्दाग्नि एवं जिगर सम्बन्धी रोगों से घिर जाता है ।।

मित्रों, इस प्रकार यदि चन्द्रमा शुभ हो तो हर प्रकार की प्रतिष्ठा, राजकीय विभागों से सम्मान दिलाता है । अतुलनीय धन से लेकर मानसिक विकारों एवं हर प्रकार के रोगों से बचाव भी करता है ।।

परन्तु यदि चन्द्रमा शुभ न हो तो जातक को बहुत सी परेशानियों का सामना अकारण करना पड़ता है । इन परेशानियों से बचने का उपाय ये हैं कि जातक को सोमवार का व्रत करना चाहिये । अपनी माता के साथ ही अन्य मातृतुल्य बुजुर्ग स्त्रियों की सेवा करना ।। Balaji

भगवान शिव की आराधना करना, मोती धारण करना, दो मोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें । कुण्डली के छठवें भाव में चन्द्रमा हो तो दूध या पानी का दान नहीं करना चाहिये ।।

सोमवार को सफ़ेद वास्तु जैसे दही, चीनी, चावल एवं सफ़ेद वस्त्र आदि दक्षिणा के साथ दान करना चाहिये । ऐसे जातक को {ॐ सों सोमाय नमः} इस मन्त्र का कम-से-कम एक माला अर्थात १०८ बार नित्य जप करना चाहिये ।। Moon can give you a state level honor and respect

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