मोती रत्न कब, किस मात्रा में एवं किस रंग का पहनना चाहिए? Moti Ratna Kyon Dharan Kare.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, सबसे पहले हम बात करते हैं, कि कोई भी रत्न क्यों धारण करना चाहिये । बात यह है, कि हमारे शरीर में एक ओरा होती है । यह नौ रंगों से प्रभावित होती हैं । इन्हीं नौ रंगों का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है ।।
आपने वर्षा के दिनों में इंद्रधनुष आकाश मंडल में देखा होगा । वहीं रंग हमारे शरीर के इर्द-गिर्द होते हैं । यह नव ग्रहों का प्रतिक भी माना जाता है । यही नव रंग नव ग्रहों का हमारे शरीर में ओर के रूप में विद्यमान होता है ।।
मित्रों, अगर मोती की बात करें तो मोती कि उत्पत्ति ईश्वर की दंत पंक्तियां नक्षत्र-मालिका की तरह आकाश तक फैली थीं । जो समुद्र आदि स्थानों में जा पड़ीं वही मोती के रूप में परिवर्तित हो गईं ।।
मोती सफेद, काला, पीला, लाल तथा आसमानी एवं अनेक रंगों में पाया जाता है । यह समुद्र से सीपों से प्राप्त किया जाता है ।।
मित्रों, मोती रत्न चन्द्र देवता को बलवान बनाने के लिये धारण किया जाता है । इसका रंग सफ़ेद से लेकर हल्का पीला रंग तक का होता है । इस रत्न को धारण करने से मानसिक शांति तथा विविध प्रकार की सुख सुविधाये प्राप्त होती है ।।
चन्द्रमा को मोती पहन कर शक्तिशाली बनाया जा सकता है । यह मोती 2, 4 या 6 रत्ती की चांदी की अंगूठी में शुक्ल-पक्ष सोमवार रोहिणी नक्षत्र में धारण करना चाहिए ।।
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