पञ्चांग 05 अप्रैल 2025 दिन शनिवार।।

Panchang 05 april 2025
Panchang 05 april 2025

बालाजी वेद, वास्तु एवं ज्योतिष केन्द्र।।

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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 05 अप्रैल 2025 दिन शनिवार।।

मित्रों, तारीख 05 अप्रैल 2025 दिन शनिवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। आज दुर्गाष्टमी अथवा महाष्टमी का पावन व्रत है। आज के विषय में लिखा है:- श्रीभवान्युत्पत्ति: अर्थात:- आज देवी माता श्रीभवानी की उत्पत्ति का दिन है अर्थात आज अष्टमी को महाष्टमी इसलिये कहा जाता है, की आज ही भवानी माता की उत्पत्ति हुई थी। आज माता महागौरी देवी का दर्शन एवं पूजन का अति ही महत्त्व बताया गया है। महानिशा पूजा भी आज ही की जायेगी। आज निशीथव्यापिनी अष्टमी है। आज माता अन्नपूर्णा की परिक्रमा और बलिदान आदि का भी दिन है। आज बंगाल में अशोकाष्टमी व्रत एवं अशोककलिकाप्रशन एवं ब्रह्मपुत्र में स्नान का भी बहुत महत्त्व बताया गया है। आज जम्मू में बहुफोर्ट मेला का आयोजन एवं हरिद्वार में मनसादेवी की मेला का भी मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। आज स्वामी लीलाशाह जी की जन्म जयन्ती भी है। आप सभी सनातनियों को “दुर्गाष्टमी अथवा महाष्टमी के पावन व्रत” की हार्दिक मंगलकामनाएँ।।

हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।

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।। पधारने हेतु भागवत प्रवक्ता – स्वामी धनञ्जय महाराज की ओर से आपका ह्रदय से धन्यवाद। आप का आज का दिन मंगलमय हो। अपने गाँव, शहर अथवा सोसायटी में भागवत कथा के आयोजन हेतु कॉल – 93753+8850 करें या इस लिंक को क्लिक करें।।

वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).

पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।

नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।

Panchang 05 april 2025

आज का पञ्चांग 05 अप्रैल 2025 दिन शनिवार।।
Aaj ka Panchang 05 april 2025.

विक्रम संवत् – 2082.

संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – कालयुक्त.

शक – 1946.

अयन – उत्तरायण.

गोल – दक्षिण.

ऋतु – बसन्त.

मास – चैत्र.

पक्ष – शुक्ल.

गुजराती पंचांग के अनुसार – चैत्र शुक्ल पक्ष.

Panchang 05 April 2025

तिथि – अष्टमी 19:27 PM बजे तक उपरान्त नवमी तिथि है।।

नक्षत्र – आर्द्रा 05:21 PM तक उपरान्त पुनर्वसु नक्षत्र है।।

योग – अतिगंड 20:03 PM तक उपरान्त सुकर्मा योग है।।

करण – विष्टि 07:45 AM तक उपरान्त बव 19:27 PM तक उपरान्त बालव करण है।।

चन्द्रमा – मिथुन राशि पर 23:25 PM तक उपरान्त कर्क राशि पर।।

सूर्य – मीन राशि एवं रेवती नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।

मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 06:29:30

मुम्बई सूर्यास्त – सायं 18:52:12

वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 05:49:39

वाराणसी सूर्यास्त – सायं 18:11:32

राहुकाल (अशुभ) – सुबह 09:35 बजे से 11:08 बजे तक।।

विजय मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12.29 बजे से 12.53 बजे तक।।

Panchang 05 April 2025

अष्टमी तिथि विशेष – अष्टमी को नारियल एवं नवमी को काशीफल (कोहड़ा एवं कद्दू) त्याज्य होता है। अष्टमी तिथि बलवती एवं व्याधि नाशक तिथि मानी जाती है। इस तिथि के देवता भगवान शिव जी माने जाते हैं। इसलिये इस तिथि को भगवान शिव का दर्शन एवं पूजन अवश्य करना चाहिए।।

कच्चा दूध, शहद, काला तिल, बिल्वपत्र एवं पञ्चामृत शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। घर में कोई रोगी नहीं होता एवं सभी मनोकामनाओं की सिद्धि तत्काल होती है। जया नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल एवं कृष्ण दोनों पक्षों में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है।।

मंगलवार को छोड़कर बाकि किसी दिन की भी अष्टमी शुभ मानी गयी है परन्तु मंगलवार की अष्टमी शुभ नहीं होती। इसलिये इस तिथि में भगवान शिव के पूजन से हर प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है। इस तिथि को अधिकांशतः विष्णु और वैष्णवों का प्राकट्य हुआ है, इसलिये भगवान शिव और भगवान नारायण दोनों का पूजन एक साथ करके आप अपनी सम्पूर्ण मनोकामनायें पूर्ण कर सकते हैं।।

मित्रों, अष्टमी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह व्यक्ति धर्मात्मा होता है। मनुष्यों पर दया करने वाला तथा हरेक प्रकार के गुणों से युक्त गुणवान होता है। ये कठिन से कठिन कार्य को भी अपनी निपुणता से पूरा कर लेते हैं। इस तिथि के जातक सत्य का पालन करने वाले होते हैं यानी सदा सच बोलने की चेष्टा करते हैं। इनके मुख से असत्य तभी निकलता है जबकि किसी मज़बूर को लाभ मिले।।

Panchang 05 April 2025

मित्रों, जगतजननी, जगदम्बा, माता दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की पूजा-उपासना का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और तत्काल फलदायिनी एवं सिद्धिदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी पापों का क्षय हो जाता है और पूर्वकृत पाप भी विनष्ट हो जाते हैं। माता के भक्तों को भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं आते। वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।।

मित्रों, माता महागौरी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी। जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इन्हें स्वीकार किया। कहा जाता है, कि स्वयं शिव जी ने इनके शरीर को गंगा-जल से धोया था। कहते हैं, कि तब माता का स्वरुप विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण का हो गया था और तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।।

माता महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवता, ऋषि तथा मनुष्य सभी देवी के इसी रूप की प्रार्थना इस मन्त्र से करते हैं। “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।” माता महागौरी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है, कथा के अनुसार एक बार की बात है, कि एक शेर काफी भूखा था। वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां माता देवी उमा शिव को पति रूप में प्राप्ति हेतु तपस्या कर रही थीं।।

देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया और देवी जब तपस्या से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आ गयी। तब माता ने उसे अपना सवारी बना लिया क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए माता गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।।

अष्टमी के दिन सुहागिनी महिलाओं को अपने सुहाग की दीर्घायु एवं सफलता के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करना चाहिये। सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में माता महागौरी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर माता महागौरी के यंत्र की स्थापना करें। मां सौंदर्य प्रदान करने वाली देवी हैं। हाथ में श्वेत पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। मां का गौर वर्ण है, इस गौर वर्ण की तुलना शंख, चन्द्रमा और कुंद के पुष्प से की गयी है।।

इनकी आयु आठ वर्ष की मानी जाती है यथा – ‘अष्टवर्षा भवेद् गौरी।’ इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं तथा इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल विराजमान है। ऊपरवाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है। नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है।।

माता अपने भक्तों के भीतर पल रही बुराइयों को मिटाकर उनको सद्बुद्धि एवं ज्ञान प्रदान करती है। मां महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और उसके भीतर श्रद्धा, विश्वास एवं निष्ठा की भावनायें प्रबल होती है। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए अथवा अभाव में 2 कन्याओं की भी पूजा की जा सकती है। कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से कम होनी चाहिये।।

भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा एवं उपहार भी देनी चाहिए। माता महागौरी की आराधना करने से भक्तजनों को जीवन की सही राह का ज्ञान होता है। जिस राह पर चलने से जीव का कल्याण होना निश्चित हो जाता है। तथा व्यक्ति अपने जीवन को सार्थक बना लेता है। जो भी साधक नवरात्रि में माता के इस रूप की आराधना करते हैं माँ उनके समस्त पापों का नाश करती है। अष्टमी के दिन व्रत रहकर मां की पूजा करने और उन्हें भोग लगाकर मां का प्रसाद ग्रहण करने से व्यक्ति के अन्दर के सारे दुष्प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।।

आठवें दिन का भोग – जैसा की आप जानते हैं, आठवां दिन या अष्टमी देवी महागौरी को समर्पित होता है। इस दिन भक्तजन श्रद्धा से देवी माँ को नारियल प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। आठवीं शक्ति “माँ महागौरी” हैं भगवान शिव के कहने पर माँ महाकाली ने तपस्या कर ब्रह्मदेव सें अपने लिए गौर वर्ण का वरदान माँगा था। माँ महागौरी को नारियल, खिचड़ी एवं खीर का भोग भी बहुत ही प्रिय है।।

आज माता महागौरी को कहीं-कहीं नारियल के आलावा हलवे का भोग भी लगाया जाता है। बाद में उस नारियल को किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को दक्षिणा सहित दान कर दिया जाता है। नवरात्र के आठवें दिन हवन करना चाहिये जिसमें कंडे (गाय के गोबर के उपले) जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा आदि से हवन करना चाहिये। हो सके तो नवरात्रे के दसों दिन कुँवारी कन्याओं को भोजन करायें।।

संभव न हो तो कम-से-कम अष्टमी के दिन तो अवश्य ही करवाना चाहिये क्योंकि इस दिन इसका विशेष महत्व होता है। कन्या भोजन के बिना नवरात्रि का उपवास एवं पूजन सब अधुरा माना जाता है। अन्य ग्रंथों में नवरात्रि के अवसर पर कन्या पूजन एवं कन्या भोज को अत्यंत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। नवरात्रियों में देवी मां के सभी साधक कन्याओं को मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं। सनातन धर्म के लोगों में सदियों से ही कन्या पूजन और कन्या भोज कराने की परंपरा चली आ रही है।।

अखण्ड सौभाग्य एवं सफलता हेतु आज माता महागौरी की पूजा एवं विशिष्ट भोग।। इस लिंक पर पूरा पढ़ें:

Panchang 05 April 2025

पुनर्वसु नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव:- पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति बेहद मिलनसार और दूसरों से प्रेमपूर्वक व्यवहार रखने वाले होते हैं। परन्तु बहुत कम लोग आपके स्नेहपूर्वक व्यवहार को समझ पाते हैं और प्रायः आपके व्यवहार को कायरता से जोड़ देतें हैं। आपके गुप्त शत्रुओं की संख्या अधिक होती है। आपको अधिक संतान की प्राप्ति भी होती है परन्तु उनका आपस में या आप के साथ व्यवहार सौहार्दपूर्ण नहीं होता है।।

सहयोगी, पडोसी या ससुराल पक्ष में आप के प्रति षड़यंत्र बनते रहते हैं। पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे जातकों को सबसे अधिक भय अपने निकटतम मित्रों से होता है। क्योंकि जीवन में कभी न कभी आप अपने मित्रों द्वारा ही विश्वासघात के शिकार होते हैं। आप स्वभाव से शांत प्रकृति के व्यक्ति होंगे। परन्तु आप देखने में सुन्दर और सुशील होते हैं। अपने दानी स्वभाव के कारण मित्रों और समाज में अधिक लोकप्रिय होते हैं।।

आजीवन धन और बल से युक्त रहते हैं। आपको समाज में मान-प्रतिष्ठा की कमी नहीं रहती। आप सहनशील एवं अपने भाई-बहनों से प्रेम करने वाले होते हैं। ईश्वर में पूर्ण आस्था एवं लोक-परलोक का विचार सदैव आपके मन में रहता है। इसलिए आप सदा ही सात्विक आचरण का समर्थन करते हैं। आप स्वभाव से सुन्दर एवं सात्विक आचरण वाले होंगे। आप खांसी, निमोनिया, सुजन, फेफड़ों में दर्द एवं कान से सम्बंधित रोग होने की संभावनायें होती है।।

प्रथम चरण:- पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी गुरु है। इसके प्रथम चरण का स्वामी मंगल हैं। मंगल और बृहस्पति दोनों मित्र ग्रह हैं। फलस्वरूप ऐसा जातक अपने जीवन में अनेकों सुख भोगता है। लग्नेश बुध की दशा शुभ फल देगी। शनि की दशा में भाग्योदय होगा। बृहस्पति की दशा में गृहस्थ एवं नौकरी का सुख मिलेगा।।

द्वितीय चरण:- पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी गुरु है। इसके द्वितीय चरण का स्वामी शुक्र हैं। बृहस्पति देवगुरु हैं तथा शुक्राचार्य दैत्यों के आचार्य हैं। अतः दोनों आचार्यों, बृहस्पति एवं शुक्र से सम्बन्ध रखने वाला जातक विद्वान् होगा। लग्नेश बुध की दशा माध्यम फल देगी। बृहस्पति की दशा में जातक का भाग्योदय होगा।।

तृतीय चरण:- पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी गुरु है। इसके तृतीय चरण का स्वामी बुध हैं। जो परस्पर विरोधी हैं। अतः पुनर्वसु नक्षत्र के तृतीय चरण में पैदा होने वाला जातक आजीवन रोगी होगा और कोई न कोई बीमारी उसे जीवन भर परेशान करेगी। बृहस्पति एवं बुध की दशाएं नेष्ट फल देंगी।।

चतुर्थ चरण:- पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी गुरु है। इसके चतुर्थ चरण का स्वामी चन्द्र हैं। पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में पैदा होने वाला जातक धन बल से युक्त, कवी ह्रदय, संगीत प्रेमी, कम प्रयत्न से अधिक लाभ कमाने वाला परन्तु स्वभाव से कामुक होता है। इस नक्षत्र पर मंगल का होना जातक को स्वार्थी बना देता है और गुरु की उपस्तिथि में जातक समाज के सम्मानजनक पदों पर आसीन होता है।।

Panchang 05 April 2025
शनिवार को जूते-चप्पल, लोहे की बनी वस्तुयें, नया अथवा पुराना भी वाहन नहीं खरीदना चाहिये एवं नए कपड़े न खरीदना और ना ही पहली बार पहनना चाहिये।।
शनिवार का विशेष – शनिवार के दिन तेल मर्दन “मालिश” करने से हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती हैं – (मुहूर्तगणपति)।।
शनिवार को क्षौरकर्म (बाल दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से आयुष्य की हानि होती है। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।

शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पीपल के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी ग्रह दोषों की निवृति हो जाती है।।

दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो अदरख एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।।
Panchang 05 April 2025

जिस व्यक्ति का जन्म शनिवार को होता है उस व्यक्ति का स्वभाव कठोर होता है। ये पराक्रमी एवं परिश्रमी होते हैं तथा इनके ऊपर दु:ख भी आये तो ये उसे भी सह लेना जानते हैं। ये न्यायी एवं गंभीर स्वभाव के होते हैं तथा सेवा करना इन्हें काफी पसंद होता है।।

शनिवार को जन्म लेनेवाले जातक कुछ सांवले रंग के, साहसी, मैकेनिक अथवा चिकित्सक होते हैं। इनमें से कुछ अपने कार्य में सुस्त भी होते हैं, जैसे देर से जागना, देर तक सोना भी इनकी आदतों में शुमार होता है। पारिवारिक जिम्मेदारियां भी शुद्ध रहती है इसलिये ये एक मेहनतकश इंसान होते हैं। सफलता के मार्ग में रूकावटों का भी सामना करना पड़ता है।।

शनिवार को जन्मलेनेवाले जातकों के स्वभाव में साहस लक्षित होता है। सफलता के मार्ग में लाख रुकावटें आए, लेकिन ये इसे पार करके ही रहते हैं। ऐसे लोग अधिकांशतः सांवले रंग के होते हैं। इन जातकों को अपने कैरियर के लिये डॉक्टपर, इंजीनियर तथा मैकेनिक के क्षेत्र का चयन करना चाहिये। इनका शुभ अंक 3, 6 और 9 तथा इनका शुभ दिन शनिवार और मंगलवार होता है।।

आज का सुविचार – मित्रों, रात लम्बी और काली हो सकती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता कि सुबह होगी ही नहीं। ठीक उसी तरह असफलता का दौर लम्बा हो सकता है, लेकिन इसका यह मतलब ये कतई नहीं होता कि आपको अब कभी सफलता मिलेगी ही नहीं।।

Panchang 05 April 2025

शनि देव मेहरबान हों तो इंजीनियर और चार्टर्ड एकाउंटेंट बनाते है।।…. आज के इस पुरे लेख को पढ़ने के लिये इस लिंक को क्लिक करें…. वेबसाईट पर पढ़ें:  & ब्लॉग पर पढ़ें:

अखण्ड सौभाग्य एवं सफलता हेतु आज माता महागौरी की पूजा एवं विशिष्ट भोग।। इस लिंक पर पूरा पढ़ें:

मकर राशि वालों के मृत्यु का योग।। Makar Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“तुला राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी।। Tula Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“मिथुन राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी। Mithun Rashi Walo Ki Mrityu.

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