पञ्चांग 06 अप्रैल 2025 दिन रविवार।।

Panchang 06 April 2025
Panchang 06 April 2025

बालाजी वेद, वास्तु एवं ज्योतिष केन्द्र।।

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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 06 अप्रैल 2025 दिन रविवार।।

मित्रों, तारीख 06 अप्रैल 2025 दिन रविवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। आज अष्टमी व्रत के पारण का भी दिन है। आज पुनर्वसु के योग होने से रामनवमी व्रत भी सभी के लिए प्रशस्त बताया गया है। मध्यान्ह काल में राम जी के जन्म का उत्सव मनाया जायेगा। आज अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि के दर्शन का भी अति महत्त्व बताया गया है। आज दुर्गानवमी है आज बलिदान का भी दिन है। आज नवमी के हवन का भी दिन है। आज माता सिद्धिदात्री देवी के दर्शन पूजन का भी दिन है। आज स्वामीनारायण जी (गुजरात) की जन्म जयन्ती भी है। आज जैन लोगों का पुष्पांजलि के समापन का भी दिन है। आज सर्वार्थसिद्धियोग भी है। आज यायीजययोग भी है। आप समस्त सनातनियों को “दुर्गानवमी एवं श्रीरामनवमी ” की हार्दिक शुभकामनायें।।

हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।

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वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).

पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।

नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।

Panchang 06 April 2025

आज का पञ्चांग 06 अप्रैल 2025 दिन रविवार।।
Aaj ka Panchang 06 April 2025.

विक्रम संवत् – 2082.

संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – कालयुक्त.

शक – 1946.

अयन – उत्तरायण.

गोल – दक्षिण.

ऋतु – बसन्त.

मास – चैत्र.

पक्ष – शुक्ल.

गुजराती पंचांग के अनुसार – चैत्र शुक्ल पक्ष.

Panchang 06 April 2025

तिथि – नवमी 19:24 PM बजे तक उपरान्त दशमी तिथि है।।

नक्षत्र – पुनर्वसु 05:32 PM तक उपरान्त पुष्य नक्षत्र है।।

योग – सुकर्मा 18:55 PM तक उपरान्त धृति योग है।।

करण – बालव 07:20 AM तक उपरान्त कौलव 19:24 PM तक उपरान्त तैतिल करण है।।

चन्द्रमा – कर्क राशि पर।।

सूर्य – मीन राशि एवं रेवती नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।

मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 06:28:39

मुम्बई सूर्यास्त – सायं 18:52:29

वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 05:48:53

वाराणसी सूर्यास्त – सायं 18:12:52

राहुकाल (अशुभ) – सायं 17:20 बजे से 18:53 बजे तक।।

विजय (शुभ) मुहूर्त – दोपहर 12.29 PM से 12.53 बजे तक।।

Panchang 06 April 2025

नवमी तिथि विशेष – नवमी तिथि को काशीफल (कोहड़ा एवं कद्दू) एवं दशमी को परवल खाना अथवा दान देना भी वर्जित अथवा त्याज्य होता है। नवमी तिथि एक उग्र एवं कष्टकारी तिथि मानी जाती है। इस नवमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा जी हैं। यह नवमी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह नवमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। नवमी तिथि के दिन लौकी खाना निषेध बताया गया है। क्योंकि नवमी तिथि को लौकी का सेवन गौ-मांस के समान बताया गया है।।

नवमी तिथि में माँ दुर्गा कि पूजा गुडहल अथवा लाल गुलाब के फुल करें। साथ ही माता को पूजन के क्रम में लाल चुनरी चढ़ायें। पूजन के उपरान्त दुर्गा सप्तशती के किसी भी एक सिद्ध मन्त्र का जप करें। इस जप से आपके परिवार के ऊपर आई हुई हर प्रकार कि उपरी बाधा कि निवृत्ति हो जाती है। साथ ही आज के इस उपाय से आपको यश एवं प्रतिष्ठा कि भी प्राप्ति सहजता से हो जाती है।।

आज नवमी तिथि को इस उपाय को पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा से करने पर सभी मनोरथों कि पूर्ति हो जाती है। नवमी तिथि में वाद-विवाद करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण एवं मद्यपान आदि क्रूर कर्म किये जाते हैं। जिन्हें लक्ष्मी प्राप्त करने की लालसा हो उन्हें रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए, यह नरक की प्राप्ति कराता है।।

नवमी तिथि को जन्म लेने वाला व्यक्ति भाग्यशाली एवं धर्मात्मा होता है। इस तिथि का जातक धर्मशास्त्रों का अध्ययन कर शास्त्रों में विद्वता हासिल करता है। ये ईश्वर में पूर्ण भक्ति एवं श्रद्धा रखते हैं। धनी स्त्रियों से इनकी संगत रहती है तथा इसके पुत्र गुणवान होते हैं।।

Panchang 06 April 2025

मित्रों, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं। जिनका उल्लेख भागवत पुराण में भी मिलता है। इसके अलावा मार्कंडेय पुराण एवं ब्रह्ववैवर्त पुराण में भी वर्णित है। इसके अलावा इस दोनों पुराणों में और भी अनेक प्रकार की सिद्धियों का वर्णन है मिलता है।।

ये सिद्धियाँ जिन्होंने भी इस संसार में पायी है, वो इस संसार में भगवान की तरह पूजे गये हैं। परन्तु इस सिद्धियों की प्राप्ति हेतु लगभग इन्सान का सबकुछ खो गया है तब इन सिद्धियों की प्राप्ति हुई है। लेकिन कुछ लोगों को इन सिद्धियों से साक्षात्कार सहज ही हो गया है। जिन्हें सहज ही इन सिद्धियों की प्राप्ति हुई है वो माता दुर्गा के नवम रूप माता सिद्धिदात्री के उपासक रहे हैं।।

जी हाँ आज शारदीय नवरात्रा की नवमी तिथि है और माता सिद्धिदात्री का दिन है। यही माता सभी सिद्धियों की स्वामिनी हैं और इनकी पूजा से ही भक्तों को इन सिद्धियों की प्राप्ति सहज ही हो जाती है। माता दुर्गा की नवम शक्ति का ही नाम सिद्धिदात्री है और यही माता अपने उपासकों को सहज ही सम्पूर्ण सिद्धियों को देनेवाली हैं। सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली माता इन्हीं को माना गया है।।

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व इन आठ सिद्धियों को भगवान शिव ने इन्हीं माता की कृपा से प्राप्त किया था। इन्हीं की अनुकम्पा से भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर बने थे। इसी कारण भगवान शिव संसार में अर्द्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए। माता सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं और इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर आसीन होती हैं।।

इनकी दाहिनी नीचे वाली भुजा में चक्र, ऊपर वाली भुजा में गदा और बांयी तरफ नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प शोभायमान होता है। नवरात्रि पूजन के नवें दिन इनकी पूजा की जाती है। आज के दिन भगवती माता सिद्धिदात्री का ध्यान-पूजन-अर्चन और बन्दन करने से भक्त का “निर्वाण चक्र” जाग्रत हो जाता है।।

मां दुर्गा शेरावाली मईया जगत के कल्याण हेतु नव रूपों में प्रकट हुई और इन नव रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री का। यह देवी प्रसन्न होने पर सम्पूर्ण जगत की रिद्धि-सिद्धि अपने भक्तों को प्रदान करती हैं। देवी सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है देवी ने सिद्धिदात्री का यह रूप भक्तों पर अपनी कृपा बरसाने के लिए धारण किया था। देवता, ऋषि-मुनि, असुर, नाग और मनुष्य सभी मां के भक्त हैं।।

इनकी भक्ति जो भी हृदय से करता है मां उसी पर अपना नेह लुटाती हैं। सिद्धियां हासिल करने के उद्देश्य से जो साधक भगवती सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं उन्हें नवमी के दिन निर्वाण चक्र का भेदन करना चाहिए। दुर्गा पूजा में इस तिथि को विशेष रूप से नवरात्री उपवास और पूजन के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति के उद्देश्य से हवन किया जाता है। हवन से पूर्व सभी देवी दवाताओं एवं माता की पूजा करनी चाहिए।।

हवन करते समय सभी देवी दवताओं के नाम से हवि अर्थात आहुति देनी चाहिए। सभी आवाहित देवी-देवताओं की आहुति के बाद माता के नाम अथवा नवार्ण मन्त्र से आहुति देनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र रूप हैं अत: आप सप्तशती के सभी श्लोकों से आहुति दे सकते हैं। समयाभाव में आप देवी के बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” से कम से कम 108 बार हवन कर सकते हैं।।

जिस प्रकार पूजा के क्रम में भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा सबसे अंत में होती है उसी प्रकार अंत में इनके नाम से आहुति देकर सपरिवार आरती एवं क्षमा प्रार्थना करें। हवन में जो भी प्रसाद आपने चढ़ाया है उसे बाटें और जब हवन की अग्नि ठंढ़ी हो जाए तो इसे पवित्र जल में विसर्जित कर दें। यह भष्म रोग, संताप एवं ग्रह बाधा से आपकी रक्षा करता है एवं मन से सभी भयों को दूर कर देता है।।

जैसा कि पहले भी हमने बताया है, कि नवरात्रि के इन दिनों में माँ दुर्गा, माँ शारदा एवं माता महालक्ष्मी जी की पूजा बड़े धूम-धाम से पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इन दिनों में लगभग सभी सनातनी लोग देवी माँ का उपवास रखते हैं और विधिपूर्वक ढंग से आराधना एवं पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी माँ कि प्रशन्नता प्राप्त करने के लिए उपवास रखें जाते हैं।।

इससे देवी माँ की कृपा सदा ही बनी रहती है और आदि शक्ति की कृपा से ही इस संसार रूपी भव सागर को पार किया जा सकता है। सात दिनों तक उपवास रख कर आठवें दिन अष्टमी को कन्याओं का भोज करवाया जाता है। कई लोग नवमी पर भी कन्याओं को भोजन करवाते हैं क्योंकि दुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है। जिन्हें शतावरी या नारायणी भी कहा जाता है और नव दिनों की तपस्या का सम्पूर्ण फल भी यही देती हैं।।

शतावरी बल बुद्धि एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि मानी जाती है और इस औषधि को हृदय की गति तेज करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान कर माता भक्तों को को निहाल कर देती हैं। आज के पहले माता के अन्य अष्ट स्वरूपों की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना करते हैं।।

इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक-पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। माता सिद्धिदात्री की सेवा जो मनुष्य नियमपूर्वक करता है, उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। संसार के दु:खों से पीड़ित व्यक्ति को आज माता सिद्धिदात्री देवी की आराधना अवश्य करनी चाहिए।।

“समृद्धि तथा सिद्धियों को देनेवाली माता सिद्धिदात्री का विशिष्ट भोग।।” आज के इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए इस लिंक को क्लिक करें:

Panchang 06 April 2025

पुष्य नक्षत्र  के जातकों का  गुण एवं स्वभाव:- यदि आपका जन्म पुष्य नक्षत्र में हुआ है तो आपमें नित नए काम करने की प्रवृत्ति बनी रहेगी। हर बार नए काम की खोज और परिवर्तन आपसे अधिक परिश्रम भी कराएगा। कठिन परिश्रम करने पर भी आपको सफलता आसानी से नहीं मिलेगी और फल प्राप्ति में अक्सर देरी हो जाती है। परन्तु आपको निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपकी बुद्धि बहुत तेज़ है और आगे बढ़ने के रास्ते भी खोज लेती है। आपके स्वभाव में भावुकता अधिक होने के कारण किसी भी कार्य की गहराई तक आप नहीं पहुँच पाते हैं।।

अधिक भावुकता के कारण आप एक अच्छे और सच्चे प्रेमी होते हैं। किसी भी सम्बन्ध को बीच में छोड़ना आपकी प्रकृति में नहीं है। आप किसी से प्रेम करेंगे तो पूरे तन मन धन से उसके हो जायेंगे। इसी प्रकार आप दोस्ती भी निभाएंगे। मित्रों को सहयोग देने में आप कभी पीछे नहीं हटते और न ही अपने स्वार्थ की चिंता करते है। आप स्वभाव से चंचल होंगे तथा जलप्रिय होने के कारण आपको तैरना भी बहुत पसंद होगा।।
 
पुष्य नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति सचेत रहता है और अथक प्रयासों द्वारा शीघ्र ही अपनी मंजिल पा लेता है। आप अति साहसी किन्तु अति भावुक भी होते हैं। तीव्र बुद्धिशाली और बुद्धि के मामलों में आप किसी पर विश्वास नहीं करते। वाकपटुता एवं बातों ही बातों में सामने वाले को मोहित करके अपना काम निकलवाना आपको आपको भली भाँती आता है।।

चन्द्रमा की चाँदनी आपको बहुत अधिक आकर्षित करती है। कल्पनाशील होने के कारण आप एक अच्छे लेखक, सुन्दर कवी, महान दार्शनिक एवं उच्च कोटि के साहित्यकार एवं भविष्यवक्ता भी हो सकते हैं। आप मन से शांत एवं धार्मिक स्वभाव के होंगे। अपने क्षेत्र के पंडित एवं विद्वान् होने के साथ-साथ भाग्यशाली और धनि भी होंगे। पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है परन्तु इसके गुण गुरु तुल्य बताये गये है। ईश्वर में पूर्ण आस्था, भाई बहनों से स्नेहपूर्ण सम्बन्ध एवं अपने से बड़ो का आदर सम्मान आपके स्वभाव में होगा।।

पुष्य नक्षत्र में जन्मी महिलाएं भी बहुत धार्मिक विचारों वाली होती हैं। हर प्रकार के कार्यों में रूचि दिखाना इनके स्वभाव में होता है। यह विशाल ह्रदय वाली तथा दयाभाव रखने वाली होती हैं। पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक हमेशा अभ्यासी पाए जाते हैं। इनको फेफड़ों एवं छाती से सम्बंधित रोग, कफ, पीलिया आदि होने की संभावनायें होती है।।

प्रथम चरण:- पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी सूर्य देवता हैं। पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा व्यक्ति भाग्यशाली होता है एवं यात्राओं द्वारा धन अर्जित करता है। अपनी प्रतिभा के कारण उच्च वाहन, विशाल भवन, पद एवं प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है।।

द्वितीय चरण:- पुष्य नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी बुध हैं। पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण में जन्मा व्यक्ति एक से अधिक स्रोतों से धन अर्जित करता है। अपनी वाक्पटुता के कारण पक्ष विपक्ष दोनों से ही मधुर सम्बन्ध बना कर रखता है।।

तृतीय चरण:- पुष्य नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी शुक्र देवता हैं। पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्मा व्यक्ति विद्यावान होता है। उच्च शिक्षा प्राप्त कर कई शैक्षणिक उपाधियाँ प्राप्त करता है। ऐसा जातक जिस भी कार्य में हाथ डालता है उसे सफलता अवश्य मिलती है।।

चतुर्थ चरण:- पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल देवता हैं। पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मा व्यक्ति धार्मिक स्वभाव वाला होता है। अतः जातक धार्मिक और परोपकारी कार्यों में पूर्ण रूचि दिखाते हैं। ऐसा जातक जिस भी कार्य में हाथ डालता है उसे सफलता अवश्य मिलती है।।

Panchang 06 April 2025

मित्रों, आज रविवार को सुबह भगवान सूर्य को ताम्बे के एक लोटे में लाल चन्दन, गुड़ और लाल फुल मिलाकर अर्घ्य इस मन्त्र से प्रदान करें। अथ मन्त्रः- एही सूर्य सहस्रांशो तेजो राशे जगत्पते। अनुकम्प्य मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।। अथवा गायत्री मन्त्र से भी सूर्यार्घ्य दे सकते हैं।।

इसके बाद आदित्यह्रदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिये। भोजन में मीठा भोजन करना चाहिये नमक का परित्याग करना अत्यन्त श्रेयस्कर होता है। इस प्रकार से किया गया रविवार का पूजन आपको समाज में सर्वोच्च प्रतिष्ठा एवं अतुलनीय धन प्रदान करता है। क्योंकि सूर्य धन और प्रतिष्ठा का कारक ग्रह है।।

दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।।
रविवार का विशेष – रविवार के दिन तेल मर्दन करने से ज्वर (बुखार लगता) होता हैं – (मुहूर्तगणपति)।।
रविवार को क्षौरकर्म (बाल, दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से बुद्धि और धर्म की हानि होती है। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।

विशेष जानकारी – मित्रों, रविवार के दिन, चतुर्दशी एवं अमावस्या तिथियों में तथा श्राद्ध एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास नहीं करना चाहिये। साथ ही तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना भी शास्त्रानुसार मना है अर्थात ये सब नहीं करना चाहिये।।

Panchang 06 April 2025

रविवार ध्रुव प्रकृति का दिन माना जाता है। रविवार भगवान सूर्य का दिन होता है। यह भगवान विष्णु का दिन भी माना जाता है। वैदिक सनातन धर्म में इसे सर्वश्रेष्ठ वार माना गया है। अच्छा स्वास्थ्य व तेजस्विता पाने के लिए रविवार के दिन उपवास रखना चाहिए। प्रचलन से सप्ताह का पहला वार सोमवार को माना जाता है क्योंकि रविवार को छुट्टी का नाम घोषित है। परंतु सही मायने में तो रविवार सप्ताह का प्रथम वार ही है। परंतु रविवार को कुछ ऐसे कार्य जिसे यदि आप करते हैं तो इससे आपन नुकसान उठाना पड़ सकता है।।

रविवार के दिन पश्चिम और वायव्य दिशा में यात्रा न करें। इन दिशाओं में यात्रा करना जरूरी हो तो रविवार को दलिया, घी या पान खाकर या इससे पहले पांच कदम पीछे चलकर ही इस दिशा में जाएं क्योंकि इस दिन खासकर पश्चिरम में दिशा का शूल माना जाता है। रविवार को तांबे से निर्मित चीजों को बेचने से बचना चाहिए। तांबे के अलावा सूर्य से संबंधित अन्य धातु या वस्तुएं भी ना बेचें।।

रविवार के दिन नीले, काले, कत्थई और ग्रे कलर के कपड़े नहीं पहनना चाहिए। काले या नीले से मिलते जुलते कपड़े तो कदापि ना पहनें। रविवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है। खास कर सूर्यास्त के बाद तो नमक बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए।।

रविवार को दिन में सहवास करना और मांस एवं मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शनि से संबंधित पदार्थों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। आमतौर पर लोग रविवार को ही बाल कटाते हैं परंतु इस दिन बाल कटाने से सूर्य कमजोर होता है। इस दिन शरीर में तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह सूर्य का दिन होता है और तेल शनि का होता है।।

Panchang 06 April 2025

मित्रों, रविवार सप्ताह का प्रथम दिन होता है, इसके अधिष्ठात्री देव सूर्य को माना जाता है। इस दिन जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह व्यक्ति तेजस्वी, गर्वीले और पित्त प्रकृति के होते है। इनके स्वभाव में क्रोध और ओज भरा होता है तथा ये चतुर और गुणवान होते हैं। इस दिन जन्म लेनेवाले जातक उत्साही और दानी होते हैं तथा संघर्ष की स्थिति में भी पूरी ताकत से काम करते हैं।।

रविवार को जन्म लेनेवाले जातक सुन्दर एवं गेंहूए रंग के होते हैं। इनमें तेजस्विता का गुण स्वाभाविक ही होता है। महत्वाकांक्षी होने के साथ ही प्रत्येक कार्य में जल्दबाजी करते है और सफल भी होते हैं। उत्साह इनमें कूट-कूट कर भरा होता है तथा ये परिश्रम से कभी भी घबराते नहीं हैं। ये हर कार्य में रूचि लेने वाले होते हैं परन्तु ये लोग समय के पाबंद नहीं होते। ये जातक अपना करियर किसी भी क्षेत्र में अपने कठिन परिश्रम से बनाने की क्षमता रखते हैं। इनका शुभ दिन रविवार तथा शुभ अंक 7 होता है।।

आज का सुविचार – मित्रों, गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना। क्योंकि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं। दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना किसी स्वार्थ के प्यार करते हैं। कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों में डालकर।।

Panchang 06 April 2025

सूर्य की महादशा में मंगल विजय और बुध कुष्ठ रोग देता है ।।…. आज के इस पुरे लेख को पढ़ने के लिये इस लिंक को क्लिक करें…. वेबसाईट पर पढ़ें:  & ब्लॉग पर पढ़ें:

“समृद्धि तथा सिद्धियों को देनेवाली माता सिद्धिदात्री का विशिष्ट भोग।।” आज के इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए इस लिंक को क्लिक करें:

मकर राशि वालों के मृत्यु का योग।। Makar Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“तुला राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी।। Tula Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“मिथुन राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी। Mithun Rashi Walo Ki Mrityu.

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Panchang 06 April 2025

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