पञ्चांग 10 अगस्त 2025 दिन रविवार।।

Panchang 21 September 2025
Panchang 21 September 2025

बालाजी वेद, वास्तु एवं ज्योतिष केन्द्र।।

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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 10 अगस्त 2025 दिन रविवार।।

मित्रों, तारीख 10 अगस्त 2025 दिन रविवार को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। आज अशुन्याशुन्य द्वितीया व्रत है। आज भगवान श्रीविष्णु का माता लक्ष्मी के सहित सुन्दर शय्या पर पूजन एवं शयन करवाना चाहिए। आज का व्रत इस प्रकार करना चाहिए:- दिनभर मौन व्रत रखकर सायंकाल में स्नान के उपरान्त भगवान श्रीविष्णु एवं माता लक्ष्मी को सुन्दर शय्या पर स्थापित करके उनका विधिवत पूजन करना चाहिए। उसके उपरान्त शयन करवाना चाहिए। ऐसा करने से अक्षय धन एवं पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। आज यायिजययोग एवं द्विपुष्कर योग भी है। यह पक्ष पंद्रह दिनों का है, क्योंकि षष्ठी तिथि का क्षय हो रहा है। इस मास में दही का त्याग करना चाहिए। परन्तु छाछ एवं मट्ठा आदि का निषेध नहीं होता है। अगर भाद्रपद मास में सूर्य देवता अपनी राशी बदलें और उ दिन वर्षा हो तो रोग एवं अश्विन मास में भय व्याप्त होता है। आप समस्त सनातनियों को “अशुन्याशुन्य व्रत” की हार्दिक शुभकामनायें।।

हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।

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वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).

पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।

नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।

Panchang 10 August 2025

आज का पञ्चांग 10 अगस्त 2025 दिन रविवार।।
Aaj ka Panchang 10 August 2025.

विक्रम संवत् – 2082.

संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – कालयुक्त.

शक – 1946.

अयन – याम्यायनम्.

गोल – सौम्य.

ऋतु – वर्षा.

मास – भाद्रपद.

पक्ष – कृष्ण.

गुजराती पंचांग के अनुसार – श्रावण कृष्ण पक्ष.

Panchang 10 August 2025

तिथि – प्रतिपदा 12:11 PM बजे तक उपरान्त द्वितीया तिथि है।।

नक्षत्र – धनिष्ठा 13:53 PM तक उपरान्त शतभिषा नक्षत्र है।।

योग – सौभाग्य 02:16 AM तक उपरान्त शोभन योग है।।

करण – कौलव 12:11 PM तक उपरान्त तैतिल 23:25 PM तक उपरान्त गर करण है।।

चन्द्रमा – मकर राशि पर 02:12 AM तक उपरान्त कुम्भ राशि पर।।

सूर्य – कर्क राशि एवं आश्लेषा नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।

मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 06:17:35

मुम्बई सूर्यास्त – सायं 19:08:53

वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 05:29:53

वाराणसी सूर्यास्त – सायं 18:31:52

राहुकाल (अशुभ) – सायं 17:33 बजे से 19:10 बजे तक।।

विजय (शुभ) मुहूर्त – दोपहर 12.32 PM से 12.56 बजे तक।।

Panchang 10 August 2025

प्रतिपदा तिथि विशेष – प्रतिपदा तिथि को कद्दू एवं कूष्माण्ड का दान एवं भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। प्रतिपदा तिथि वृद्धि देनेवाली अर्थात किसी भी कार्य को अथवा कार्यक्षेत्र को बढ़ाने वाली तिथि मानी जाती है। साथ ही प्रतिपदा तिथि सिद्धिप्रद अर्थात कोई भी कार्य को निर्विघ्नता पूर्वक चरम तक पहुंचाने अर्थात सिद्धि तक पहुंचाने वाली तिथि भी मानी जाती है। इस प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देवता को बताया गया है। यह प्रतिपदा तिथि नन्दा नाम से विख्यात मानी जाती है।।

मित्रों, इस प्रतिपदा तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 0 डिग्री से 12 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 181 से 192 डिग्री अंश तक होता है। प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्निदेव माने गए हैं। यदि प्रतिपदा तिथि रविवार या मंगलवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा प्रतिपदा तिथि शुक्रवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय शुभ कार्य करने की सलाह दी जाती है। सनातनी पञ्चांगों के अनुसार भाद्रपद माह की प्रतिपदा शून्य होती है। वहीं शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में भगवान शिव का पूजन नहीं करना चाहिए क्योंकि शिव का वास श्मशान में होता है। दूसरी ओर कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा में शिव का पूजन करना  चाहिए।।
 
कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को जन्मा जातक धनी एवं बुद्धिमान होगा। उन पर माता की विशेष कृपा दृष्टि बनी रहती है। जातक चंद्रमा के बलवान होने के कारण मानसिक रूप से भी बलवान होते हैं। वहीं दूसरी ओर शुक्ल पक्ष प्रतिपदा में जन्मा जातक बुरी लोगों की संगति में पड़कर बुरी आदतों के शिकार हो सकते हैं। उनके द्वारा किए गए कार्य कभी कभार उनके परिवार को ही हानि पहुंचा सकते हैं। शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि में विवाह, यात्रा, उपनयन, चौल कर्म, वास्तु कर्म व गृह प्रवेश आदि मॉगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। इसके विपरीत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा में आप शुभ कार्य कर सकते हैं।

मित्रों, यह प्रतिपदा तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ  फलदायिनी मानी जाती है। आज प्रतिपदा तिथि को अग्निदेव से धन प्राप्ति के लिए एक अत्यंत ही प्रभावी उपाय कर सकते हैं। आज प्रतिपदा तिथि को इस अनुष्ठान से अग्निदेव से अद्भुत तेज प्राप्त करने के लिए भी आज का यह उपाय कर सकते हैं। साथ ही आज किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति भी इस अनुष्ठान के माध्यम से अग्निदेव से करवायी जा सकती हैं। इसके लिए आज अग्नि घर पर ही प्रज्ज्वलित करके गाय के शुद्ध देशी घी से (ॐ अग्नये नम: स्वाहा) इस मन्त्र से हवन करना चाहिये।।

मित्रों, ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म प्रतिपदा तिथि में होता है वह व्यक्ति अनैतिक कार्यों में संलग्न रहने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति कानून के विरूद्ध जाकर काम करने वाला भी होता है। ऐसे लोगों को मांस मदिरा काफी पसंद होता है अर्थात ये तामसी भोजन के शौकीन होते हैं। आम तौर पर इनकी दोस्ती ऐसे लोगों से होती है जिन्हें समाज में सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता अर्थात बदमाश और ग़लत काम करने वाले लोग।।

Panchang 10 August 2025

धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातकों का गुण एवं स्वभाव:- धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मा जातक सभी गुणों से संपन्न होकर जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा पाता है। आप स्वभाव से बहुत ही नरम दिल एवं संवेदनशील व्यक्ति होते हैं। आप दानी और अध्यात्मिक व्यक्ति हैं परन्तु अपनी इच्छाओं के विरुद्ध जाना आपके बस में नहीं होता है। आपका रवैया अपने प्रियजनों के प्रति बेहद सुरक्षात्मक होता है। परन्तु फिर भी आप दूसरों के लिए जिद्दी और गुस्सैल ही रहते हैं।।

आप एक ज्ञानी व्यक्ति होंगे जो किसी भी आयु में ज्ञान अर्जन करने में संकोच नहीं करेंगे। अपने इसी गुण के कारण आप किसी भी प्रकार के कार्य को निपुणता के साथ पूर्ण करने में सक्षम रहते हैं। आप संवेदनशील तो हैं परन्तु कमज़ोर नहीं हैं। आप मानवता में विश्वास रखने वाले व्यक्ति होंगे जो दूसरों को कडवे वचन कभी नहीं बोल सकते। धनिष्ठा नक्षत्र का जातक कभी विरोध की भावना नहीं रखते परन्तु अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को कभी भूलते भी नहीं।।

आप सही समय आने पर अपने तरीके से बदला लेते हैं। अत्यधिक ज्ञान और तीक्ष्ण बुद्धि के कारण आप जीवन में नयी ऊचाईयों को छूते हैं। अधिकतर घनिष्ठा के जातकों को इतिहास या विज्ञान के क्षेत्रों में कार्यरत देखा गया है। रिसर्च और वकालत के क्षेत्रों में आप तरक्की करते हैं। घनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक किसी भी बात को छुपा कर रखने में सक्षम होते हैं। यह अपने भेद जल्दी ही किसी को नहीं बताते।।

आप अपने कार्य के प्रति बेहद सजग एवं वफादार होते हैं। अपने जीवन के 24 वर्ष के बाद आपको अपने करियर में स्थिरता मिलेगी। आप अपने कार्य को लगन और निष्ठापूर्वक करने में विश्वास रखते हैं। परन्तु व्यवसायिक कार्यक्षेत्र में अपने अधिनस्त कर्मचारियों से आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। धनिष्ठा के जातकों का जीवन बचपन से ही सभी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होता है।।

आप अपने भाई बहनों से बेहद लगाव रखते हैं। समाज और परिवार में आप का स्थान अति सम्मानीय होता है। परन्तु जीवन में कई बार आपको अपने रिश्तेदारों द्वारा परेशानी और रुकावटें झेलनी पड़ती हैं। आपको अपने पूर्वजों की धन सम्पदा भी प्राप्त होती है। आपको अपने जीवन में ससुराल पक्ष से अधिक सहयोग प्राप्त नहीं होता है और न ही आपके सम्बन्ध उनसे मधुर होते हैं। परन्तु एक गुणी एवं सुयोग्य पत्नी के कारण आपका दांपत्य जीवन ठीक चलता है।।

धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मी जातिकाओं को साज श्रृंगार में अधिक रूचि होती है। परन्तु जीवन में धन की कमी को झेलने के कारण इनमें सन्यासियों जैसी प्रवृत्ति जन्म ले लेती है। धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मी जातिकाओं का वैवाहिक जीवन दुःख एवं अनेक प्रकार के कष्टों से भरा होता है। धनिष्ठा नक्षत्र के जातक किसी से भी नहीं घबराते हैं। ऐसे जातकों के हाथ पैर की हड्डी टूटना, रक्तचाप अथवा ह्रदय से सम्बंधित रोग होने की आशंका होती है।।

प्रथम चरण:- धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल है, वहीं इसका राशि स्वामी शनि है। इस धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी सूर्य हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा जातक लम्बी आयु वाला होता है। धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी सूर्य शनि का शत्रु है। परन्तु मंगल का मित्र है अतः सूर्य की दशा अशुभ फल देगी शनि की दशा में जातक को उत्तम स्वस्थ्य एवं धन की प्राप्ति होती है। मंगल की दशा में जातक को भौतिक उपलब्धियां प्राप्त होंगी।।

द्वितीय चरण:- धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल है, वहीं इसका राशि स्वामी शनि है। इस धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी बुध हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मे जातक की गिनती समाज के विद्वानों में होती है। धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी बुध शनि का शत्रु है और मंगल का भी शत्रु है। अतः बुध की दशा जातक को अपेक्षित फल नहीं दे पाती परन्तु शनि की दशा उत्तम फलदायी होती है।।

तृतीय चरण:- धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल है, वहीं इसका राशि स्वामी शनि है। इस धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी शुक्र हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण में जन्मा जातक थोडा डरपोक होता है। धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र शनि का शत्रु है और मंगल का भी शत्रु है। अतः शुक्र की दशा जातक को अपेक्षित फल नहीं देगी परन्तु शनि की दशा-अन्तर्दशा उत्तम फलदायी होगी।।

चतुर्थ चरण:- धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल है, वहीं इसका राशि स्वामी शनि है। इस धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी मंगल हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मा जातक महान नारी का पति होता है। धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है और नक्षत्र स्वामी भी मंगल है। अतः मंगल की दशा जातक को राजयोग प्रदान करती है। शनि की दशा में जातक को उत्तम स्वस्थ्य एवं धन की प्राप्ति होगी।।

Panchang 10 August 2025

मित्रों, आज रविवार को सुबह भगवान सूर्य को ताम्बे के एक लोटे में लाल चन्दन, गुड़ और लाल फुल मिलाकर अर्घ्य इस मन्त्र से प्रदान करें। अथ मन्त्रः- एही सूर्य सहस्रांशो तेजो राशे जगत्पते। अनुकम्प्य मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।। अथवा गायत्री मन्त्र से भी सूर्यार्घ्य दे सकते हैं।।

इसके बाद आदित्यह्रदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिये। भोजन में मीठा भोजन करना चाहिये नमक का परित्याग करना अत्यन्त श्रेयस्कर होता है। इस प्रकार से किया गया रविवार का पूजन आपको समाज में सर्वोच्च प्रतिष्ठा एवं अतुलनीय धन प्रदान करता है। क्योंकि सूर्य धन और प्रतिष्ठा का कारक ग्रह है।।

दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।।
रविवार का विशेष – रविवार के दिन तेल मर्दन करने से ज्वर (बुखार लगता) होता हैं – (मुहूर्तगणपति)।।
रविवार को क्षौरकर्म (बाल, दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से बुद्धि और धर्म की हानि होती है। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।

विशेष जानकारी – मित्रों, रविवार के दिन, चतुर्दशी एवं अमावस्या तिथियों में तथा श्राद्ध एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास नहीं करना चाहिये। साथ ही तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना भी शास्त्रानुसार मना है अर्थात ये सब नहीं करना चाहिये।।

Panchang 10 August 2025

रविवार ध्रुव प्रकृति का दिन माना जाता है। रविवार भगवान सूर्य का दिन होता है। यह भगवान विष्णु का दिन भी माना जाता है। वैदिक सनातन धर्म में इसे सर्वश्रेष्ठ वार माना गया है। अच्छा स्वास्थ्य व तेजस्विता पाने के लिए रविवार के दिन उपवास रखना चाहिए। प्रचलन से सप्ताह का पहला वार सोमवार को माना जाता है क्योंकि रविवार को छुट्टी का नाम घोषित है। परंतु सही मायने में तो रविवार सप्ताह का प्रथम वार ही है। परंतु रविवार को कुछ ऐसे कार्य जिसे यदि आप करते हैं तो इससे आपन नुकसान उठाना पड़ सकता है।।

रविवार के दिन पश्चिम और वायव्य दिशा में यात्रा न करें। इन दिशाओं में यात्रा करना जरूरी हो तो रविवार को दलिया, घी या पान खाकर या इससे पहले पांच कदम पीछे चलकर ही इस दिशा में जाएं क्योंकि इस दिन खासकर पश्चिरम में दिशा का शूल माना जाता है। रविवार को तांबे से निर्मित चीजों को बेचने से बचना चाहिए। तांबे के अलावा सूर्य से संबंधित अन्य धातु या वस्तुएं भी ना बेचें।।

रविवार के दिन नीले, काले, कत्थई और ग्रे कलर के कपड़े नहीं पहनना चाहिए। काले या नीले से मिलते जुलते कपड़े तो कदापि ना पहनें। रविवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है। खास कर सूर्यास्त के बाद तो नमक बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए।।

रविवार को दिन में सहवास करना और मांस एवं मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शनि से संबंधित पदार्थों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। आमतौर पर लोग रविवार को ही बाल कटाते हैं परंतु इस दिन बाल कटाने से सूर्य कमजोर होता है। इस दिन शरीर में तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह सूर्य का दिन होता है और तेल शनि का होता है।।

Panchang 10 August 2025

मित्रों, रविवार सप्ताह का प्रथम दिन होता है, इसके अधिष्ठात्री देव सूर्य को माना जाता है। इस दिन जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह व्यक्ति तेजस्वी, गर्वीले और पित्त प्रकृति के होते है। इनके स्वभाव में क्रोध और ओज भरा होता है तथा ये चतुर और गुणवान होते हैं। इस दिन जन्म लेनेवाले जातक उत्साही और दानी होते हैं तथा संघर्ष की स्थिति में भी पूरी ताकत से काम करते हैं।।

रविवार को जन्म लेनेवाले जातक सुन्दर एवं गेंहूए रंग के होते हैं। इनमें तेजस्विता का गुण स्वाभाविक ही होता है। महत्वाकांक्षी होने के साथ ही प्रत्येक कार्य में जल्दबाजी करते है और सफल भी होते हैं। उत्साह इनमें कूट-कूट कर भरा होता है तथा ये परिश्रम से कभी भी घबराते नहीं हैं। ये हर कार्य में रूचि लेने वाले होते हैं परन्तु ये लोग समय के पाबंद नहीं होते। ये जातक अपना करियर किसी भी क्षेत्र में अपने कठिन परिश्रम से बनाने की क्षमता रखते हैं। इनका शुभ दिन रविवार तथा शुभ अंक 7 होता है।।

आज का सुविचार – मित्रों, गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना। क्योंकि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं। दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना किसी स्वार्थ के प्यार करते हैं। कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों में डालकर।।

Panchang 10 August 2025

सूर्य की महादशा में मंगल विजय और बुध कुष्ठ रोग देता है ।।…. आज के इस पुरे लेख को पढ़ने के लिये इस लिंक को क्लिक करें…. वेबसाईट पर पढ़ें:  & ब्लॉग पर पढ़ें:

मकर राशि वालों के मृत्यु का योग।। Makar Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“तुला राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी।। Tula Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“मिथुन राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी। Mithun Rashi Walo Ki Mrityu.

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Panchang 10 August 2025

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