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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 14 सितम्बर 2025 दिन रविवार।।
मित्रों, तारीख 14 सितम्बर 2025 दिन रविवार को अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। आज प्रदोष काल में कालाष्टमी व्रत भी किया जायेगा। आज जीवित्पुत्रिका व्रत भी मनाया जायेगा। आज ही जीमूतवाहन जी का भी पूजन किया जायेगा। जिवतिया का व्रत आज ही किया जायेगा क्योंकि सप्तमी युक्ता अष्टमी जिवतिया व्रत के लिए शुभ माना जाता है। परन्तु अष्टमी में नवमी थोड़े समय के लिए भी हो तो वह अष्टमी नवमी विद्ध कही जाती है। और वह अष्टमी जीवत्पुत्रिका व्रत करने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। आज सप्तमी सुबह 8 बजे तक ही है परन्तु कल 5 बजे से पहले ही अष्टमी समाप्त हो जा रही है। तो कल अष्टमी रहेगा ही नहीं तो जीवत्पुत्रिका व्रत क्या नवमी में मनाया जायेगा? नहीं इसलिए आज 14 जुलाई को ही जीवत्पुत्रिका व्रत को करना शास्त्रों के अनुसार प्रमाणिक है। क्योंकि महालक्ष्मी व्रत भी आज ही किया जायेगा। आज महालक्ष्मी व्रत कभी चन्द्रोदय के साथ ही मनाया जायेगा। आज प्रातः ही सातवें दिन का श्राद्ध किया जायेगा तथा अपरान्ह में अष्टमी का भी श्राद्ध किया जायेगा। गयाजी तीर्थ में भी मध्यमाष्टमी व्रत भी आज ही है। इसलिए बिना किसी संसय के जीवत्पुत्रिका व्रत आज 14 जुलाई को ही किया जायेगा। अब सप्तमी और अष्टमी का श्राद्ध आज ही किया जायेगा। अर्थात यदि आपके पिताजी का देहावसान जिस तारीख को हुआ है, किसी पंडित को वो तारीख बताकर पूछिये की उस तारीख को कौन सी तिथि थी? यदि सप्तमी और अष्टमी तिथि को हुई हो तो उनका श्राद्ध आज ही किया जायेगा। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म-तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों को जलार्पण करने, पिंडदान एवं श्राद्ध (पितरों का प्रिय भोजन किसी ब्राह्मण को करवाने) करने से उनकी आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। अपने पितरों एवं सम्पूर्ण चराचर जीवों को अपना पूर्वज मानकर एवं उनके प्रति श्रद्धा निवेदित करना चाहिए। ऐसा करना सामान्य रूप से भी मूलतः भारतीय परंपरा कितनी उदार है इसको दर्शाता है, तथा ऐसा करने से पितरों को वर्षपर्यंत सुख की प्राप्ति होती है। आप सभी सनातनियों को “जीवत्पुत्रिका व्रत एवं सातवें और आठवें दिन के श्राद्ध” की हार्दिक शुभकामनाये।।
हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।
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।। पधारने हेतु भागवत प्रवक्ता – स्वामी धनञ्जय महाराज की ओर से आपका ह्रदय से धन्यवाद। आपका आज का दिन मंगलमय हो। अपने गाँव, शहर अथवा सोसायटी में भागवत कथा के आयोजन हेतु कॉल – 9375148850 करें या इस लिंक को क्लिक करें।।
वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).
पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।

आज का पञ्चांग 14 सितम्बर 2025 दिन रविवार।।
Aaj ka Panchang 14 September 2025.
विक्रम संवत् – 2082.
संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – कालयुक्त.
शक – 1946.
अयन – याम्यायनम्.
गोल – सौम्य.
ऋतु – वर्षा.
मास – अश्विन.
पक्ष – कृष्ण.
गुजराती पंचांग के अनुसार – अश्विन कृष्ण पक्ष.

तिथि – सप्तमी 08:41 AM बजे तक उपरान्त अष्टमी तिथि है।।
नक्षत्र – रोहिणी 08:41 AM तक उपरान्त मृगशिरा नक्षत्र है।।
योग – वज्र 07:36 AM तक उपरान्त सिद्धि योग है।।
करण – बव 05:05 AM तक उपरान्त बालव 16:03 PM तक उपरान्त कौलव करण है।।
चन्द्रमा – वृषभ राशि पर 20:04 PM तक उपरान्त मिथुन राशि पर।।
सूर्य – सिंह राशि एवं पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।
मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 06:24:54
मुम्बई सूर्यास्त – सायं 18:40:21
वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 05:53:53
वाराणसी सूर्यास्त – सायं 18:07:52
राहुकाल (अशुभ) – सायं 17:09 बजे से 18:41 बजे तक।।
विजय (शुभ) मुहूर्त – दोपहर 12.22 PM से 12.46 बजे तक।।

सप्तमी तिथि विशेष – सप्तमी तिथि को आँवला त्याज्य बताया गया है। सप्तमी तिथि मित्रप्रद तिथि मानी जाती है। इतना ही नहीं यह सप्तमी तिथि एक शुभ तिथि भी मानी जाती है। इस सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्य देवता हैं। यह सप्तमी तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह सप्तमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायीनी मानी जाती है। इस सप्तमी तिथि को सुबह सर्वप्रथम स्नान करके भगवान सूर्य को सूर्यार्घ देकर उनका पूजन करना चाहिये। उसके बाद आदित्यह्रदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिये। इससे जीवन में सुख, समृद्धि, हर्ष, उल्लास एवं पारिवारिक सुखों कि सतत वृद्धि होती है। सप्तमी तिथि में भगवान सूर्य की पुजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।।
मित्रों, सोमवार और शुक्रवार कि सप्तमी विशेष रूप से शुभ फलदायी नहीं मानी जाती बाकी दिनों कि सप्तमी सभी कार्यों के लिये शुभ फलदायी मानी जाती है। सप्तमी को भूलकर भी नीला वस्त्र धारण नहीं करना चाहिये तथा ताम्बे के पात्र में भोजन भी नहीं करना चाहिये। सप्तमी को फलाहार अथवा मीठा भोजन विशेष रूप से नमक के परित्याग करने से भगवान सूर्यदेव कि कृपा सदैव बनी रहती है।।
मित्रों, ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म सप्तमी तिथि में होता है, वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। इस तिथि में जन्म लेनेवाला जातक गुणवान और प्रतिभाशाली होता है। ये अपने मोहक व्यक्तित्व से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की योग्यता रखते हैं। इनके बच्चे भी गुणवान और योग्य होते हैं। धन धान्य के मामले में भी यह व्यक्ति काफी भाग्यशाली होते हैं। ये संतोषी स्वभाव के होते हैं और इन्हें जितना मिलता है उतने से ही संतुष्ट रहते हैं।।
Panchang 14 September 2025
रोहिणी नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव:- रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति सदा दूसरों में गलतियां ढूँढता रहता है। आप कोई भी ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने देते जिसमें कि सामने वाले की त्रुटियों की चर्चा आप न करें। आप शारीरिक रूप से कमज़ोर होते हैं इसलिए कोई भी छोटी से छोटी मौसमी बदलाव के रोग भी आपको अक्सर जकड लेते हैं। आप एक ज्ञानी परन्तु स्त्रियों में आसक्ति रखने वाले होतें हैं।।
रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक सुन्दर एवं मीठा बोलने वाले होते हैं। आप घर और कार्य क्षेत्र में व्यवस्थित रहना ही पसंद करते हैं। आपको गन्दगी से बेहद नफरत होता है। घर का सामान भी आप सुव्यवस्थित ढंग से रखना पसंद करते हैं। स्वभाव से कोमल और सौन्दर्य के प्रति लगाव आपके प्रमुख गुणों में से एक होता है। रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चन्द्रमा है। इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे जातक स्त्रियों में विशेष आसक्ति रखते हैं।।
रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक कभी-कभी बहुत ही कोमल और विनम्र स्वभाव के दीखते हैं तो कभी कठोर और अभद्र। अपने प्रियजनों की मदद के लिए सदा तत्पर रहतें हैं और कठिन से कठिन परिस्तिथियों में भी पीछे नहीं हटते। यदि आपको कोई कष्ट पहुंचाए तो आप उग्र रूप ले लेते हैं और किसी को भी अपने ऊपर हावी नहीं होने देते। आप दिमाग की अपेक्षा दिल की सुनते हैं।।
आप न तो योजनाबद्ध तरीके से चलते हैं और न ही बहुत लम्बे समय तक एक ही राह पर चलना पसंद करते हैं। अपने इसी दृष्टिकोण के कारण आप जीवन में अनेकों बार कठिनाईयों को झेलते हैं। आप मानवता में विश्वास रखते हैं परन्तु अत्यधिक संवेदनशील होने के कारण आप चोट पहुंचाने वालों को कभी क्षमा नहीं करते। स्वतंत्र सोच और धैर्य की कमी के कारण जीवन में आप बहुत बार निराशा का सामना करते हैं।।
सभी प्रकार के कार्यों में भाग्य आज़माना आपके लिए संकट की स्तिथि पैदा कर सकता है। दूसरों पर आँखे बंद कर के विश्वास कर लेना आपके स्वभाव में है। परन्तु व्यवसायिक क्षेत्र में यह स्वभाव आपको बहुत हानि पहुंचाएगा। 18 से 36 वर्ष का समय आपके लिए सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य के लिए संघर्ष पूर्ण रहेगा। परन्तु 36 से 50 वर्ष तक का समय आपके लिए शुभ होगा।।
पिता की अपेक्षा माता या मातृपक्ष से आपका अधिक स्नेह रहेगा। वैवाहिक जीवन में भी उतार चढ़ाव बना रहेगा। रोहिणी नक्षत्र में जन्मी महिलाएं दुबली पतली परन्तु विशेष रूप से आकर्षक होती हैं। सदा अपने से बड़ों और माता पिता की आज्ञाकारिणी होती हैं। आप अपने रहने और खाने पीने में सदा सतर्क और सावधान रहती हैं। पति के साथ सहमति बनाए रखना आपका स्वभाव है।।
इसलिए आपके वैवाहिक सम्बन्ध मधुर ही होते हैं। आपकी संतान पुत्र और पुत्री दोनों ही होते हैं। आप एक धनवान और ऐश्वर्यशाली जीवन व्यतीत करते हैं। विशाल आँखें बहुत ही खुबसूरत एवं आकर्षण का केन्द्र होता है। ज्यादातर रोहिणी नक्षत्र के जातकों को मुंह, गले, जीभ एवं गर्दन से सम्बंधित रोग होने की संभावनायें होती हैं।।
प्रथम चरण:- रोहिणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह चन्द्रमा हैं तथा राशि स्वामी शुक्र माना जाता हैं। इसके प्रथम चरण का स्वामी ग्रह मंगल हैं। रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण में जन्म होने के कारण जातक सौभाग्यशाली होगा। चन्द्रमा और मंगल की मित्रता के कारण धन एवं ख्याति भी मिलता है। चन्द्रमा एवं मंगल की दशा-अन्तर्दशा में जातक की उन्नत्ति होगी। लग्नेश शुक्र की दशा उन्नति में विशेष सहायक होगी।।
द्वितीय चरण:- रोहिणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह चन्द्रमा हैं तथा राशि स्वामी शुक्र माना जाता हैं। इसके द्वितीय चरण का स्वामी ग्रह शुक्र हैं। रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में जन्म होने के कारण जातक को कुछ न कुछ पीड़ा बनी रहेगी। शुक्र की दशा-अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नत्ति होगी।।
तृतीय चरण:- रोहिणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह चन्द्रमा हैं तथा राशि स्वामी शुक्र माना जाता हैं। इसके तृतीय चरण का स्वामी ग्रह बुध हैं। रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्म होने के कारण जातक डरपोक और भावुक होगा। चन्द्र एवं बुध की दशा अशुभ परन्तु लग्नेश शुक्र की दशा-अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नत्ति होगी।।
चतुर्थ चरण:- रोहिणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह चन्द्रमा हैं तथा राशि स्वामी शुक्र माना जाता हैं। इसके चतुर्थ चरण का स्वामी ग्रह चन्द्रमा हैं। रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण में जन्म होने के कारण जातक सत्यवादी एवं सौन्दर्य प्रेमी होगा। चन्द्रमा की दशा शुभ फल देगी एवं शुक्र की दशा-अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नत्ति होगी।।
Panchang 14 September 2025
मित्रों, आज रविवार को सुबह भगवान सूर्य को ताम्बे के एक लोटे में लाल चन्दन, गुड़ और लाल फुल मिलाकर अर्घ्य इस मन्त्र से प्रदान करें। अथ मन्त्रः- एही सूर्य सहस्रांशो तेजो राशे जगत्पते। अनुकम्प्य मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।। अथवा गायत्री मन्त्र से भी सूर्यार्घ्य दे सकते हैं।।
इसके बाद आदित्यह्रदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिये। भोजन में मीठा भोजन करना चाहिये नमक का परित्याग करना अत्यन्त श्रेयस्कर होता है। इस प्रकार से किया गया रविवार का पूजन आपको समाज में सर्वोच्च प्रतिष्ठा एवं अतुलनीय धन प्रदान करता है। क्योंकि सूर्य धन और प्रतिष्ठा का कारक ग्रह है।।
दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।।
रविवार का विशेष – रविवार के दिन तेल मर्दन करने से ज्वर (बुखार लगता) होता हैं – (मुहूर्तगणपति)।।
रविवार को क्षौरकर्म (बाल, दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से बुद्धि और धर्म की हानि होती है। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।
विशेष जानकारी – मित्रों, रविवार के दिन, चतुर्दशी एवं अमावस्या तिथियों में तथा श्राद्ध एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास नहीं करना चाहिये। साथ ही तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना भी शास्त्रानुसार मना है अर्थात ये सब नहीं करना चाहिये।।
Panchang 14 September 2025
रविवार ध्रुव प्रकृति का दिन माना जाता है। रविवार भगवान सूर्य का दिन होता है। यह भगवान विष्णु का दिन भी माना जाता है। वैदिक सनातन धर्म में इसे सर्वश्रेष्ठ वार माना गया है। अच्छा स्वास्थ्य व तेजस्विता पाने के लिए रविवार के दिन उपवास रखना चाहिए। प्रचलन से सप्ताह का पहला वार सोमवार को माना जाता है क्योंकि रविवार को छुट्टी का नाम घोषित है। परंतु सही मायने में तो रविवार सप्ताह का प्रथम वार ही है। परंतु रविवार को कुछ ऐसे कार्य जिसे यदि आप करते हैं तो इससे आपन नुकसान उठाना पड़ सकता है।।
रविवार के दिन पश्चिम और वायव्य दिशा में यात्रा न करें। इन दिशाओं में यात्रा करना जरूरी हो तो रविवार को दलिया, घी या पान खाकर या इससे पहले पांच कदम पीछे चलकर ही इस दिशा में जाएं क्योंकि इस दिन खासकर पश्चिरम में दिशा का शूल माना जाता है। रविवार को तांबे से निर्मित चीजों को बेचने से बचना चाहिए। तांबे के अलावा सूर्य से संबंधित अन्य धातु या वस्तुएं भी ना बेचें।।
रविवार के दिन नीले, काले, कत्थई और ग्रे कलर के कपड़े नहीं पहनना चाहिए। काले या नीले से मिलते जुलते कपड़े तो कदापि ना पहनें। रविवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है। खास कर सूर्यास्त के बाद तो नमक बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए।।
रविवार को दिन में सहवास करना और मांस एवं मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शनि से संबंधित पदार्थों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। आमतौर पर लोग रविवार को ही बाल कटाते हैं परंतु इस दिन बाल कटाने से सूर्य कमजोर होता है। इस दिन शरीर में तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह सूर्य का दिन होता है और तेल शनि का होता है।।
Panchang 14 September 2025
मित्रों, रविवार सप्ताह का प्रथम दिन होता है, इसके अधिष्ठात्री देव सूर्य को माना जाता है। इस दिन जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह व्यक्ति तेजस्वी, गर्वीले और पित्त प्रकृति के होते है। इनके स्वभाव में क्रोध और ओज भरा होता है तथा ये चतुर और गुणवान होते हैं। इस दिन जन्म लेनेवाले जातक उत्साही और दानी होते हैं तथा संघर्ष की स्थिति में भी पूरी ताकत से काम करते हैं।।
रविवार को जन्म लेनेवाले जातक सुन्दर एवं गेंहूए रंग के होते हैं। इनमें तेजस्विता का गुण स्वाभाविक ही होता है। महत्वाकांक्षी होने के साथ ही प्रत्येक कार्य में जल्दबाजी करते है और सफल भी होते हैं। उत्साह इनमें कूट-कूट कर भरा होता है तथा ये परिश्रम से कभी भी घबराते नहीं हैं। ये हर कार्य में रूचि लेने वाले होते हैं परन्तु ये लोग समय के पाबंद नहीं होते। ये जातक अपना करियर किसी भी क्षेत्र में अपने कठिन परिश्रम से बनाने की क्षमता रखते हैं। इनका शुभ दिन रविवार तथा शुभ अंक 7 होता है।।
आज का सुविचार – मित्रों, गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना। क्योंकि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं। दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना किसी स्वार्थ के प्यार करते हैं। कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों में डालकर।।
Panchang 14 September 2025
सूर्य की महादशा में मंगल विजय और बुध कुष्ठ रोग देता है ।।…. आज के इस पुरे लेख को पढ़ने के लिये इस लिंक को क्लिक करें…. वेबसाईट पर पढ़ें: & ब्लॉग पर पढ़ें:
“मकर राशि वालों के मृत्यु का योग।। Makar Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.
“तुला राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी।। Tula Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.
“मिथुन राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी। Mithun Rashi Walo Ki Mrityu.
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Panchang 14 September 2025
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