पञ्चांग 18 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार।।

Panchang 05 September 2025
Panchang 05 September 2025

बालाजी वेद, वास्तु एवं ज्योतिष केन्द्र।।

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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 18 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार।।

मित्रों, तारीख 18 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। आज शीतलाष्टमी का पावन व्रत है। आज स्थायीजय योग है तथा आज सर्वार्थसिद्धियोग भी है। सभी सनातनियों को “शीतलाष्टमी के पावन व्रत” की हार्दिक शुभकामनायें।।

हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।

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वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).

पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।

नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।

Panchang 18 July 2025

आज का पञ्चांग 18 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार।।
Aaj ka Panchang 18 July 2025.

विक्रम संवत् – 2082.

संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – कालयुक्त.

शक – 1946.

अयन – सौम्यायनम्.

गोल – सौम्य.

ऋतु – ग्रीष्म.

मास – श्रावण.

पक्ष – कृष्ण.

गुजराती पंचांग के अनुसार – आषाढ़ कृष्ण पक्ष.

Panchang 18 July 2025

तिथि – अष्टमी 17:03 PM बजे तक उपरान्त नवमी तिथि है।।

नक्षत्र – रेवती 03:40 AM तक उपरान्त अश्विनी नक्षत्र है।।

योग – सुकर्मा 06:49 AM तक उपरान्त धृति योग है।।

करण – बालव 06:09 AM तक उपरान्त कौलव 17:03 PM तक उपरान्त तैतिल करण है।।

चन्द्रमा – मीन राशि पर 03:40 AM तक उपरान्त मेष राशि पर।।

सूर्य – कर्क राशि एवं मृगशिरा नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।

मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 06:09:23

मुम्बई सूर्यास्त – सायं 19:19:00

वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 05:18:39

वाराणसी सूर्यास्त – सायं 18:42:26

राहुकाल (अशुभ) – सुबह 18:06 बजे से 12:45 बजे तक।।

विजय मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12.32 बजे से 12.56 बजे तक।।

Panchang 18 July 2025

अष्टमी तिथि विशेष – अष्टमी तिथि को नारियल त्याज्य बताया गया है। अष्टमी तिथि बलवती अर्थात स्ट्रांग तिथि मानी जाती है। इसका मतलब कोई भी विकट कार्य आज आप कर-करवा सकते हैं। इतना ही नहीं अपितु अष्टमी तिथि व्याधि नाशक तिथि भी मानी जाती है। इसका मतलब आज आप कोई भी भयंकर रोगों के इलाज का प्रयत्न भगवान के नाम के साथ करेंगे-करवाएंगे तो निश्चित लाभ होगा। यह अष्टमी तिथि जया नाम से विख्यात मानी जाती है। यह अष्टमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है।।

इस अष्टमी तिथि के देवता भगवान शिव भोलेनाथ जी माने जाते हैं। इसलिये इस अष्टमी तिथि को भगवान शिव का दर्शन एवं पूजन अवश्य करना चाहिए। आज अष्टमी तिथि में कच्चा दूध, शहद, काला तिल, बिल्वपत्र एवं पञ्चामृत शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। घर में कोई रोगी नहीं होता एवं सभी मनोकामनाओं की सिद्धि तत्काल होती है।।

मंगलवार को छोड़कर बाकि अन्य किसी भी दिन की अष्टमी तिथि शुभ मानी गयी है। परन्तु मंगलवार की अष्टमी शुभ नहीं होती। इसलिये इस अष्टमी तिथि में भगवान शिव के पूजन से हर प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है। इस अष्टमी तिथि को अधिकांशतः विष्णु और वैष्णवों का प्राकट्य हुआ है। इसलिये आज अष्टमी तिथि में भगवान शिव और भगवान नारायण दोनों का पूजन एक साथ करके आप अपनी सम्पूर्ण मनोकामनायें पूर्ण कर सकते हैं।।

मित्रों, अष्टमी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह व्यक्ति धर्मात्मा होता है। मनुष्यों पर दया करने वाला तथा हरेक प्रकार के गुणों से युक्त गुणवान होता है। ये कठिन से कठिन कार्य को भी अपनी निपुणता से पूरा कर लेते हैं। इस तिथि के जातक सत्य का पालन करने वाले होते हैं यानी सदा सच बोलने की चेष्टा करते हैं। इनके मुख से असत्य तभी निकलता है जबकि किसी मज़बूर को लाभ मिले।।

Panchang 18 July 2025

अश्विनी नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव:- अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक सामान्यतः सुन्दर, चतुर, सौभाग्यशाली एवं स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं। वह पारंपरिक रूढ़ीवादी विचारधारा से विपरीत अपनी आधुनिक सोच के लिए मित्रों में प्रिसिद्ध होते हैं। आप सभी से बहुत प्रेम करने वाले होते हैं परन्तु आप अपने ऊपर किसी का भी दबाव बर्दास्त नहीं करते हैं। आपको स्वतंत्र कार्य करने एवं निर्णय लेने की आदत होती है।।

इसलिए किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप आपको पसंद नहीं होता है। आपकी उन्नति भी स्वतंत्र कार्य करने और स्वतंत्र निर्णय लेने के कारण ही होती है। आप स्वभाव से गुणी, धैर्यवान एवं प्रखर बुद्धि के स्वामी होते हैं। धन ऐश्वर्य से युक्त जीवन में आपको किसी भी प्रकार का अभाव नहीं झेलना पड़ेगा। अपने कार्य के प्रति रुझान और लगन के कारण आप कम उम्र में ही सफलता प्राप्त करते हैं एवं आपका यश और कीर्ति समाज में चारों और फैलता है।।

आप अन्तर्मुखी एवं धैर्यवान होते हैं और जल्द ही किसी की बातों का विश्वास नहीं करते। आपको अपने मनोभाव पर नियंत्रण रखने में कभी-कभी कठिनाई महसूस होती है परन्तु यह आवश्यक भी है। क्रोध आने पर आप किसी की भी नहीं सुनते। आप आत्म नियंत्रण खो बैठते हैं और क्रोध में कई बार अपनी ही हानि करा बैठते हैं। आपको क्रोध जितनी शीघ्रता से आता है उतनी ही तीव्रता से उतर भी जाता है।।

अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक अक्सर सेक्स के मामलों में उतावले होते हैं। किसी भी स्त्री से मिलने के बाद आप उसके प्रति विशेष रुझान एवं लगाव महसूस करने लगते हैं और यही आपकी सबसे बड़ी कमजोरी है। आप अपने कार्य सज्जनता की उपेक्षा लड़ाई-झगड़े से करवाने में सदा सक्षम रहते हैं। अश्वनी नक्षत्र के जातक साज-सज्जा में अधिक विश्वास रखते हैं। इसलिए सदा ही आकर्षक, महंगी और आरामदायक वस्तुओं में रूचि रखते है।।

अपने जीवन के 30 वर्ष तक आप कई प्रकार के उतार चढ़ाव झेलते हैं। उसके उपरान्त ही आपका आगे बढ़ने का रास्ता साफ़ और सुगम होता है। आप अपने परिवार से बहुत जुड़े हुए रहते हैं परन्तु कुछ परिजन आपके जिद्दीपन के कारण आपको पसंद नहीं करते। पिता की अपेक्षा आपको माता से अधिक सहयोग और प्रेम प्राप्त होता है। 26 से 30 वर्ष की आयु में विवाह संभव है। संतान में पुत्र संतति की संभावना अधिक होगी।।

इस अश्विनी नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ सुन्दर, धन-धान्य से युक्त, श्रृंगार में रूचि रखने वाली होती हैं। अश्वनी नक्षत्र में जन्मी महिलाएं मीठा बोलती हैं और बहुत अधिक सहनशील भी होती है। माता-पिता की लाडली एवं आज्ञाकारी पुत्री होने के साथ-साथ ईश्वर में भी पूरी आस्था रखती हैं। सदा बड़ों का आदर एवं गुरु का सम्मान करने वाली होती है। अश्वनी नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ मनोहर छवि वाली एवं बुद्धिशाली होती है।।

अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक समाज और मित्रों में लोकप्रिय होते हैं। अश्वनी नक्षत्र में जन्मे जातकों के दिमाग से सम्बंधित रोग, मलेरिया एवं चेचक जैसी बीमारियों से ग्रसित होने की संभावनायें अधिक होती हैं।।

प्रथम चरण:- ज्योतिष शास्त्र में अश्विनी नक्षत्र पहला नक्षत्र है। भचक्र में शून्य से 13 अंश 20 कला तक का विस्तार अश्विनी नक्षत्र के अधिकार में आता है। अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। इसके प्रथम चरण का स्वामी ग्रह मंगल हैं। प्रथम चरण में जन्मे जातकों को दूसरों की वस्तुएं उठाने की आदत होती है। जन्म नक्षत्र स्वामी केतु, लग्नेश मंगल का मित्र होने के कारण जातक की मंगल एवं केतु की दशा शुभ फल देंगी। मंगल ग्रह भी शुभ फल देता है।।

द्वितीय चरण:- अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। इसके द्वितीय चरण का स्वामी शुक्र हैं। अश्वनी के द्वितीय चरण में जन्म होने के कारण जातक कड़ी मेहनत से कतरायेगा और छोटे-छोटे अल्प अवधी वाले कार्य करने में रूचि रखेगा। जन्म नक्षत्र स्वामी केतु लग्नेश मंगल का मित्र है और नक्षत्र के चरण का स्वामी शुक्र भी केतु से मित्रता पूर्वक व्यवहार रखता है। इसलिए जातक की मंगल, शुक्र एवं केतु की दशायें भी शुभ फल ही देती हैं।।

तृतीय चरण:- अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। इसके तृतीय इस चरण का स्वामी बुध हैं। शास्त्रों के अनुसार अश्वनी नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्मा जातक सुन्दर, धनी एवं ऐश्वर्यशाली होते हैं। मंगल और केतु की दशा अति उत्तम फल देती है। परन्तु नक्षत्र चरण का स्वामी बुध केतु से शत्रु भाव रखता है। इस कारण बुध की दशा में जातक अशांत एवं विचलित रहेगा।।

चतुर्थ चरण:- अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। इसके चतुर्थ चरण का स्वामी चन्द्रमा हैं। शास्त्रों के अनुसार अश्वनी नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मे जातक भोगी एवं दीर्घायु होते है। नक्षत्र स्वामी केतु, लग्नेश मंगल का मित्र है। नक्षत्र चरण स्वामी चन्द्रमा, केतु से शत्रु भाव रखता है। अतः जातक को मंगल एवं केतु की दशा उत्तम फल देती है। परन्तु चन्द्रमा की दशा में जातक अशांत एवं उद्विग्न रहता है।।

Panchang 18 July 2025
शुक्रवार का विशेष – शुक्रवार के दिन तेल मर्दन अर्थात तेल शरीर में मालिश करने से बिघ्न बाधायें आती हैं – (मुहूर्तगणपति)।।
शुक्रवार को क्षौरकर्म (बाल दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से लाभ और यश की प्राप्ति होती है । (महाभारत अनुशासनपर्व)।।
दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो दही खाकर यात्रा कर सकते है।।

शुक्र के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए यह उपाय करना चाहिए। शुक्र की अशुभता दूर करने के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार रुई और दही किसी मंदिर में दान करना चाहिए। किसी भी स्त्री एवं अपनी पत्नी का भी कभी भी अपमान या निरादर नहीं करना चाहिए। उन्हें सदैव आदर और सम्मान देने का प्रयास करना चाहिए।।

शुक्रवार को सफ़ेद वस्त्र धारण करना चाहिए। इत्र एवं परफ्यूम लगाने से अशुभ शुक्र का दु:ष्प्रभाव दूर होता है। किसी नेत्रहीन व्यक्ति को सफ़ेद वस्त्र या मिठाई दान करने से अशुभ शुक्र का दु:ष्प्रभाव दूर होता है। दश वर्ष से कम आयु की कुवांरी कन्याओं को गाय के दूध से बने खीर खिलाने से अशुभ शुक्र का दु:ष्प्रभाव दूर होता है। मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने से अशुभ शुक्र का दु:ष्प्रभाव दूर होता है। चाँदी का कड़ा पहनने एवं श्रीसूक्त का पाठ करने से अशुभ शुक्र का दु:ष्प्रभाव दूर होता है।।

शुक्रवार का विशेष टिप्स – मित्रों, आज शुक्रवार को दक्षिणावर्ती शंख से भगवान नारायण (शालिग्राम भगवान) का अभिषेक करें। यथोपचार से पूजन करें और पूजन के उपरान्त अथवा मध्य में ही श्वेत चन्दन में केशर मिलाकर भगवान को श्रद्धापूर्वक तिलक लगायें। शुक्रवार को इस प्रकार किया गया भगवान नारायण का पूजन माता महालक्ष्मी को बलात आपके घर की ओर खिंच लाता है। आज लक्ष्मी घर में आयें इसके लिये घर के ईशान कोण में देशी गाय के घी से रुई के जगह लाल धागे की बत्ती का एक दीपक जलायें।।

Panchang 18 July 2025

शुक्रवार को भूलकर भी ये काम न करें:- हमारे वैदिक सनातन धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता का होता है। जिसके अनुसार शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी का होता है। शुक्रवार के दिन जो भक्त मां लक्ष्मी की पूजा विधिपूर्वक करते हैं, उन्हें संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में लक्ष्मी मां को धन की देवी माना गया है। मान्यता अनुसार शुक्रवार के दिन माँ की पूजा-आराधना करने से उनका आशीर्वाद सदैव बना रहता है।।

लेकिन इस दिन कुछ काम जिसे कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। दैनिक जीवन में भी कुछ ऐसे काम होते हैं, जैसे भूलकर भी कभी किसी को भी शुक्रवार के दिन धन ना दें और ना ही उधार लें। मान्यता है, कि शुक्रवार के दिन दिया गया धन वापस लौटकर नहीं आता है। इसदिन किसी को कर्ज देने से मां लक्ष्मी नाराज होती हैं और संबंध भी खराब होते हैं।।

वैसे तो आपको कभी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए, लेकिन शुक्रवार के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन भूलकर भी महिलाओं, कन्याओं और किन्नरों का अपमान नहीं करना चाहिए। उनके बारे में अपशब्द नहीं बोलने चाहिए। महिलाओं में मां लक्ष्मी का वास होता है और उनके अपमान करने से मां लक्ष्मी भी नाराज हो जाती हैं।।

शुक्रवार के दिन अगर आप व्रत-पूजन नहीं भी करते हैं तो तामसिक भोजन खासतौर पर मांसाहार और मदिरा के सेवन से परहेज रखना चाहिए। इस दिन पूर्ण सात्विक भोजन करना चाहिए। अगर संभव हो सके तो इसको आप अपनी आदत भी बना लें।।

शुक्रवार के दिन भूलकर भी किसी को भी शक्कर नहीं देनी चाहिए। क्योंकि ज्योतिष में शक्कर का संबंध शुक्र और चंद्र दोनो से हैं। इसलिए शुक्रवार के दिन शक्कर देने से आपका शुक्र कमजोर होता है और शुक्र भौतिक सुखों का स्वामी है। शुक्र के नाराज होने से भौतिक सुख-सुवधिओं में कमी आती है और आर्थिक स्थिति भी खराब होती है।।

शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के साथ नारायण की भी पूजा करनी चाहिए। लक्ष्मी के साथ नारायण की पूजा करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और दोनों का आशीर्वाद भी बना रहता है। अगर संभव हो सके तो सुबह या शाम किसी भी एक समय मीठा घर में जरूर बनाना चाहिए और उसको सबसे पहले घर की सबसे बड़ी स्त्री को देना चाहिए।।

शुक्रवार के दिन किसी से अपशब्दन न बोलें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी आप से अप्रसन्नम हो जाती हैं और फिर आपके साथ धन संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। घर में अपव्यमय बढ़ जाता है। लोग बीमार रहने लगते हैं। व्या पार धंधे में नुकसान होने लगता है।

साफ-सुथरे रसोईघर में मां लक्ष्मी का वास होता है। इससे घर में वैभव और सुख-शांति का प्रवाह निरंतर होता रहता है। भूलकर भी रात के समय किचन में गंदे बर्तन छोड़ना चाहिए, इससे लक्ष्मी माता रूठ जाती है और घर में अशांति फैल जाती है। साथ ही स्वास्थ्य के खराब रहने की आशंका बनी रहती है।।

Panchang 18 July 2025

मित्रों, जिस व्यक्ति का जन्म शुक्रवार को होता है वह व्यक्ति चंचल स्वभाव का होता है। ये सांसारिक सुखों में लिप्त रहने वाले होते हैं तथा तर्क करने में निपुण और नैतिकता में बढ़ चढ कर होते हैं। ऐसे लोग धनवान और कामदेव के गुणों से प्रभावित रहते हैं और इनकी बुद्धि अत्यन्त तीक्ष्ण होती है। ये ईश्वर की सत्ता में अंधविश्वास नहीं रखते हैं तथा कला के प्रति रूचि रखने वाले, सुन्दर एवं आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं।।

ऐसे लोग सौंदर्यप्रेमी, मधुरभाषी, यात्राओं के शौकिन, सुंदर स्थानों पर घुमने वाले एवं कलाकार स्वभाव के होते हैं। इनमें सेक्स की भावना अन्यों के मुकाबले अधिक होती है। सुन्दर कपडे़ पहनने के शौकिन तथा आभूषण अर्थात ज्वेलरी प्रिय होते हैं। इनको अपना कैरियर पर्यटन से जुडे क्षेत्र, फैशन डिजायनर, कलाकार, सेक्स विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक अथवा ज्वेलरी से सम्बन्धित व्यदवसायों में आजमाना चाहिये। इनका शुभ अंक 7 होता है तथा इनका शुभ दिन बुधवार और शुक्रवार होता है।।

आज का सुविचार – मित्रों, अगर कोई आपको नीचा दिखाना चाहता हैं तो इसका मतलब हैं आप उससे ऊपर हैं। जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती हैं वही दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे प्रभु! बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते।।

Panchang 18 July 2025

विवाह में हो रहे विलम्ब के लिये इन साधारण उपायों से अपने जीवन को रसमय बनायें।।…. आज के इस लेख को पूरा पढने के लिये इस लिंक को क्लिक करें….. वेबसाईट पर पढ़ें:  & ब्लॉग पर पढ़ें:

मकर राशि वालों के मृत्यु का योग।। Makar Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“तुला राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी।। Tula Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.

“मिथुन राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी। Mithun Rashi Walo Ki Mrityu.

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Panchang 18 July 2025

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