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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 21 जून 2025 दिन शनिवार।।
मित्रों, तारीख 21 जून 2025 दिन शनिवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष कि एकादशी तिथि है। आज कि एकादशी को योगिनी एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है। और आज की यह एकादशी व्रत सभी के लिए अर्थात स्मार्त – वैष्णव सभी भक्तों के लिए है। क्योंकि हृषीकेश एवं महावीर पञ्चांग में भी नवमी और दशमी दोनों तिथियों का मान 20 जून को ही दिया गया है। अर्थात 21 जून को दशमी तिथि प्रातः काल से पहले ही (03:43 बजे तक) समाप्त हो जाता है। केवल पञ्चांग में 22 जून को वैष्णवानाम् एकादशी व्रत लिखा है। परन्तु नाम मात्र के लिए भी है नहीं। फिर भी जिनको 22 जून को एकादशी व्रत रहना हो रह सकते हैं। श्रीदेवरहवा बाबा जी की जन्म जयन्ती आज ही मनायी जाएगी। आज विश्वयोग दिवस भी है। आज सम्पूर्ण दिवस यायीजययोग है। शास्त्रानुसार एकादशी सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वाधिक पुण्यदायी व्रत होता है। इसे हर एक व्यक्ति को अवश्य ही करना चाहिये। आप सभी सनातनियों को “श्रीदेवरहवा बाबा जी के जन्म जयन्ती, विश्वयोग दिवस एवं योगिनी एकादशी व्रत की” बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें एवं अनन्त-अनन्त बधाइयाँ।।
हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।
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वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).
पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।
आज का पञ्चांग 21 जून 2025 दिन शनिवार।।
Aaj ka Panchang 21 june 2025.
विक्रम संवत् – 2082.
संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – कालयुक्त.
शक – 1946.
अयन – उत्तरायण.
गोल – दक्षिण.
ऋतु – ग्रीष्म.
मास – आषाढ़.
पक्ष – कृष्ण.
गुजराती पंचांग के अनुसार – ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष.
Panchang 21 June 2025
तिथि – दशमी 03:43 AM बजे तक उपरान्त एकादशी तिथि है।।
नक्षत्र – अश्विनी 19:51 PM तक उपरान्त भरणी नक्षत्र है।।
योग – अतिगण्ड 20:30 PM तक उपरान्त सुकर्म योग है।।
करण – विष्टि 07:20 AM तक उपरान्त बव 17:57 PM तक उपरान्त बालव करण है।।
चन्द्रमा – मेष राशि पर।।
सूर्य – मिथुन राशि एवं मृगशिरा नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।
मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 06:00:40
मुम्बई सूर्यास्त – सायं 19:19:01
वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 05:13:39
वाराणसी सूर्यास्त – सायं 18:47:32
राहुकाल (अशुभ) – सुबह 09:20 बजे से 11:00 बजे तक।।
विजय मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12.28 बजे से 12.52 बजे तक।।
Panchang 21 June 2025
मित्रों, तारीख 21 जून 2025 दिन शनिवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष कि एकादशी तिथि है। आज कि एकादशी को योगिनी एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है। और आज की यह एकादशी व्रत सभी के लिए अर्थात स्मार्त – वैष्णव सभी भक्तों के लिए है। क्योंकि हृषीकेश एवं महावीर पञ्चांग में भी नवमी और दशमी दोनों तिथियों का मान 20 जून को ही दिया गया है। अर्थात 21 जून को दशमी तिथि प्रातः काल से पहले ही (03:43 बजे तक) समाप्त हो जाता है। केवल पञ्चांग में 22 जून को वैष्णवानाम् एकादशी व्रत लिखा है। परन्तु नाम मात्र के लिए भी है नहीं। फिर भी जिनको 22 जून को एकादशी व्रत रहना हो रह सकते हैं। श्रीदेवरहवा बाबा जी की जन्म जयन्ती आज ही मनायी जाएगी। आज विश्वयोग दिवस भी है। आज सम्पूर्ण दिवस यायीजययोग है। शास्त्रानुसार एकादशी सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वाधिक पुण्यदायी व्रत होता है। इसे हर एक व्यक्ति को अवश्य ही करना चाहिये। आप सभी सनातनियों को “श्रीदेवरहवा बाबा जी के जन्म जयन्ती, विश्वयोग दिवस एवं योगिनी एकादशी व्रत की” बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें एवं अनन्त-अनन्त बधाइयाँ।।
एकादशी तिथि विशेष – एकादशी तिथि को चावल एवं दाल नहीं खाना चाहिये तथा द्वादशी को मसूर नहीं खाना चाहिये। यह इस तिथि में त्याज्य बताया गया है। एकादशी को चावल न खाने अथवा रोटी खाने से व्रत का आधा फल सहज ही प्राप्त हो जाता है। एकादशी तिथि एक आनन्द प्रदायिनी और शुभफलदायिनी तिथि मानी जाती है। एकादशी को सूर्योदय से पहले स्नान के जल में आँवला या आँवले का रस डालकर स्नान करना चाहिये। इससे पुण्यों कि वृद्धि, पापों का क्षय एवं भगवान नारायण के कृपा कि प्राप्ति होती है।।
एकादशी तिथि के देवता विश्वदेव होते हैं। नन्दा नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ तथा कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है। एकादशी तिथि एक आनंद प्रदायिनी और शुभ फलदायी तिथि मानी जाती है। इसलिये आज दक्षिणावर्ती शंख के जल से भगवान नारायण का पुरुषसूक्त से अभिषेक करने से माँ लक्ष्मी प्रशन्न होती है एवं नारायण कि भी पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।।
एकादशी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है वो धार्मिक तथा सौभाग्यशाली होता है। मन, बुद्धि और हृदय से ऐसे लोग पवित्र होते हैं। इनकी बुद्धि तीक्ष्ण होती और लोगों में बुद्धिमानी के लिए जाने जाते है। इनकी संतान गुणवान और अच्छे संस्कारों वाली होती है, इन्हें अपने बच्चों से सुख एवं सहयोग भी प्राप्त होता है। समाज के प्रतिष्ठित लोगों से इन्हें मान सम्मान मिलता है।।
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Panchang 21 June 2025
वैदिक सनातन धर्म में एकादशी तिथि बहुत ही पुण्य फलदायी तिथि मानी जाती है। प्रत्येक मास में एकादशी तिथि दो बार आती है। इसके अनुसार प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशी तिथियां आती हैं। लेकिन अधिक मास की एकादशियों के साथ इनकी संख्या 26 हो जाती है। वैदिक पञ्चांग की ग्यारहवीं तिथि एकादशी कहलाती है। इस तिथि का नाम ग्यारस या ग्यास भी है। यह तिथि चंद्रमा की ग्यारहवीं कला है, इस कला में अमृत का पान उमा देवी करती हैं।।
एकादशी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 121 डिग्री से 132 डिग्री तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 301 से 312 डिग्री तक होता है। एकादशी तिथि के स्वामी विश्वेदेवा को माना गया है। संतान, धन-धान्य और घर की प्राप्ति के लिए इस तिथि में जन्मे जातकों को विश्वेदेवा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।।
यदि एकादशी तिथि रविवार और मंगलवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा एकादशी तिथि शुक्रवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय में किसी भी कार्य की सिद्धि प्राप्ति का योग निर्मित होता है। यदि किसी भी पक्ष में एकादशी सोमवार के दिन पड़ती है तो क्रकच योग बनाती है, जो अशुभ होता है। इसमें शुभ कार्य निषिद्ध बताये गये हैं। एकादशी तिथि नंदा तिथियों की श्रेणी में आती है। वहीं किसी भी पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है।।
Panchang 21 June 2025
अश्विनी नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव:- अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक सामान्यतः सुन्दर, चतुर, सौभाग्यशाली एवं स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं। वह पारंपरिक रूढ़ीवादी विचारधारा से विपरीत अपनी आधुनिक सोच के लिए मित्रों में प्रिसिद्ध होते हैं। आप सभी से बहुत प्रेम करने वाले होते हैं परन्तु आप अपने ऊपर किसी का भी दबाव बर्दास्त नहीं करते हैं। आपको स्वतंत्र कार्य करने एवं निर्णय लेने की आदत होती है।।
इसलिए किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप आपको पसंद नहीं होता है। आपकी उन्नति भी स्वतंत्र कार्य करने और स्वतंत्र निर्णय लेने के कारण ही होती है। आप स्वभाव से गुणी, धैर्यवान एवं प्रखर बुद्धि के स्वामी होते हैं। धन ऐश्वर्य से युक्त जीवन में आपको किसी भी प्रकार का अभाव नहीं झेलना पड़ेगा। अपने कार्य के प्रति रुझान और लगन के कारण आप कम उम्र में ही सफलता प्राप्त करते हैं एवं आपका यश और कीर्ति समाज में चारों और फैलता है।।
आप अन्तर्मुखी एवं धैर्यवान होते हैं और जल्द ही किसी की बातों का विश्वास नहीं करते। आपको अपने मनोभाव पर नियंत्रण रखने में कभी-कभी कठिनाई महसूस होती है परन्तु यह आवश्यक भी है। क्रोध आने पर आप किसी की भी नहीं सुनते। आप आत्म नियंत्रण खो बैठते हैं और क्रोध में कई बार अपनी ही हानि करा बैठते हैं। आपको क्रोध जितनी शीघ्रता से आता है उतनी ही तीव्रता से उतर भी जाता है।।
अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक अक्सर सेक्स के मामलों में उतावले होते हैं। किसी भी स्त्री से मिलने के बाद आप उसके प्रति विशेष रुझान एवं लगाव महसूस करने लगते हैं और यही आपकी सबसे बड़ी कमजोरी है। आप अपने कार्य सज्जनता की उपेक्षा लड़ाई-झगड़े से करवाने में सदा सक्षम रहते हैं। अश्वनी नक्षत्र के जातक साज-सज्जा में अधिक विश्वास रखते हैं। इसलिए सदा ही आकर्षक, महंगी और आरामदायक वस्तुओं में रूचि रखते है।।
अपने जीवन के 30 वर्ष तक आप कई प्रकार के उतार चढ़ाव झेलते हैं। उसके उपरान्त ही आपका आगे बढ़ने का रास्ता साफ़ और सुगम होता है। आप अपने परिवार से बहुत जुड़े हुए रहते हैं परन्तु कुछ परिजन आपके जिद्दीपन के कारण आपको पसंद नहीं करते। पिता की अपेक्षा आपको माता से अधिक सहयोग और प्रेम प्राप्त होता है। 26 से 30 वर्ष की आयु में विवाह संभव है। संतान में पुत्र संतति की संभावना अधिक होगी।।
इस अश्विनी नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ सुन्दर, धन-धान्य से युक्त, श्रृंगार में रूचि रखने वाली होती हैं। अश्वनी नक्षत्र में जन्मी महिलाएं मीठा बोलती हैं और बहुत अधिक सहनशील भी होती है। माता-पिता की लाडली एवं आज्ञाकारी पुत्री होने के साथ-साथ ईश्वर में भी पूरी आस्था रखती हैं। सदा बड़ों का आदर एवं गुरु का सम्मान करने वाली होती है। अश्वनी नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ मनोहर छवि वाली एवं बुद्धिशाली होती है।।
अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक समाज और मित्रों में लोकप्रिय होते हैं। अश्वनी नक्षत्र में जन्मे जातकों के दिमाग से सम्बंधित रोग, मलेरिया एवं चेचक जैसी बीमारियों से ग्रसित होने की संभावनायें अधिक होती हैं।।
प्रथम चरण:- ज्योतिष शास्त्र में अश्विनी नक्षत्र पहला नक्षत्र है। भचक्र में शून्य से 13 अंश 20 कला तक का विस्तार अश्विनी नक्षत्र के अधिकार में आता है। अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। इसके प्रथम चरण का स्वामी ग्रह मंगल हैं। प्रथम चरण में जन्मे जातकों को दूसरों की वस्तुएं उठाने की आदत होती है। जन्म नक्षत्र स्वामी केतु, लग्नेश मंगल का मित्र होने के कारण जातक की मंगल एवं केतु की दशा शुभ फल देंगी। मंगल ग्रह भी शुभ फल देता है।।
द्वितीय चरण:- अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। इसके द्वितीय चरण का स्वामी शुक्र हैं। अश्वनी के द्वितीय चरण में जन्म होने के कारण जातक कड़ी मेहनत से कतरायेगा और छोटे-छोटे अल्प अवधी वाले कार्य करने में रूचि रखेगा। जन्म नक्षत्र स्वामी केतु लग्नेश मंगल का मित्र है और नक्षत्र के चरण का स्वामी शुक्र भी केतु से मित्रता पूर्वक व्यवहार रखता है। इसलिए जातक की मंगल, शुक्र एवं केतु की दशायें भी शुभ फल ही देती हैं।।
तृतीय चरण:- अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। इसके तृतीय इस चरण का स्वामी बुध हैं। शास्त्रों के अनुसार अश्वनी नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्मा जातक सुन्दर, धनी एवं ऐश्वर्यशाली होते हैं। मंगल और केतु की दशा अति उत्तम फल देती है। परन्तु नक्षत्र चरण का स्वामी बुध केतु से शत्रु भाव रखता है। इस कारण बुध की दशा में जातक अशांत एवं विचलित रहेगा।।
चतुर्थ चरण:- अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। इसके चतुर्थ चरण का स्वामी चन्द्रमा हैं। शास्त्रों के अनुसार अश्वनी नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मे जातक भोगी एवं दीर्घायु होते है। नक्षत्र स्वामी केतु, लग्नेश मंगल का मित्र है। नक्षत्र चरण स्वामी चन्द्रमा, केतु से शत्रु भाव रखता है। अतः जातक को मंगल एवं केतु की दशा उत्तम फल देती है। परन्तु चन्द्रमा की दशा में जातक अशांत एवं उद्विग्न रहता है।।
Panchang 21 June 2025
शनिवार को जूते-चप्पल, लोहे की बनी वस्तुयें, नया अथवा पुराना भी वाहन नहीं खरीदना चाहिये एवं नए कपड़े न खरीदना और ना ही पहली बार पहनना चाहिये।।
शनिवार का विशेष – शनिवार के दिन तेल मर्दन “मालिश” करने से हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती हैं – (मुहूर्तगणपति)।।
शनिवार को क्षौरकर्म (बाल दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से आयुष्य की हानि होती है। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।
शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पीपल के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी ग्रह दोषों की निवृति हो जाती है।।
दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो अदरख एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।।
Panchang 21 June 2025
जिस व्यक्ति का जन्म शनिवार को होता है उस व्यक्ति का स्वभाव कठोर होता है। ये पराक्रमी एवं परिश्रमी होते हैं तथा इनके ऊपर दु:ख भी आये तो ये उसे भी सह लेना जानते हैं। ये न्यायी एवं गंभीर स्वभाव के होते हैं तथा सेवा करना इन्हें काफी पसंद होता है।।
शनिवार को जन्म लेनेवाले जातक कुछ सांवले रंग के, साहसी, मैकेनिक अथवा चिकित्सक होते हैं। इनमें से कुछ अपने कार्य में सुस्त भी होते हैं, जैसे देर से जागना, देर तक सोना भी इनकी आदतों में शुमार होता है। पारिवारिक जिम्मेदारियां भी शुद्ध रहती है इसलिये ये एक मेहनतकश इंसान होते हैं। सफलता के मार्ग में रूकावटों का भी सामना करना पड़ता है।।
शनिवार को जन्मलेनेवाले जातकों के स्वभाव में साहस लक्षित होता है। सफलता के मार्ग में लाख रुकावटें आए, लेकिन ये इसे पार करके ही रहते हैं। ऐसे लोग अधिकांशतः सांवले रंग के होते हैं। इन जातकों को अपने कैरियर के लिये डॉक्टपर, इंजीनियर तथा मैकेनिक के क्षेत्र का चयन करना चाहिये। इनका शुभ अंक 3, 6 और 9 तथा इनका शुभ दिन शनिवार और मंगलवार होता है।।
आज का सुविचार – मित्रों, रात लम्बी और काली हो सकती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता कि सुबह होगी ही नहीं। ठीक उसी तरह असफलता का दौर लम्बा हो सकता है, लेकिन इसका यह मतलब ये कतई नहीं होता कि आपको अब कभी सफलता मिलेगी ही नहीं।।
Panchang 21 June 2025
शनि देव मेहरबान हों तो इंजीनियर और चार्टर्ड एकाउंटेंट बनाते है।।…. आज के इस पुरे लेख को पढ़ने के लिये इस लिंक को क्लिक करें…. वेबसाईट पर पढ़ें: & ब्लॉग पर पढ़ें:
योगिनी एकादशी व्रत कथा एवं पूजा विधि:: Read more.
एकादशी व्रत विधि एवं कामहात्म्य कथा:: Read more.
“मकर राशि वालों के मृत्यु का योग।। Makar Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.
“तुला राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी।। Tula Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.
“मिथुन राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी। Mithun Rashi Walo Ki Mrityu.
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Panchang 21 June 2025
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