बालाजी वेद, वास्तु एवं ज्योतिष केन्द्र।।
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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 23 अक्टूबर 2025 दिन गुरुवार।।
मित्रों, तारीख 23 अक्टूबर 2025 दिन गुरुवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है। आज काशी में गोवर्धन पूजन किया जायेगा। आज भैयादूज का पावन व्रत भी है। पद्म पुराण में कहा गया है, कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है)। दीपावली के तीसरे दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन यमराज के पूजन का बहुत महत्व होता है। इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस पर्व पर बहन अपने भाई को तिलक करती है और यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है। आज भाइयों को अपने बहन के यहाँ ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।उसके उपरान्त बहन को वस्त्रादि भेंट स्वरुप प्रदान करना चाहिए। आज यम पूजन के उपरान्त यम तर्पण भी करना चाहिए। आज से यम पंचक की निवृत्ति हो जाती है। आज रवियोग एवं सर्वार्थसिद्धियोग भी है। आप सभी सनातनियों को “भैया दूज के पावन पर्व” की हार्दिक शुभकामनायें।।
हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।
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।। पधारने हेतु भागवत प्रवक्ता – स्वामी धनञ्जय महाराज की ओर से आपका ह्रदय से धन्यवाद। आप का आज का दिन मंगलमय हो। अपने गाँव, शहर अथवा सोसायटी में भागवत कथा के आयोजन हेतु कॉल – 9375238850 करें या इस लिंक को क्लिक करें।।
वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).
पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।
आज का पञ्चांग 23 अक्टूबर 2025 दिन गुरुवार।।
Aaj ka Panchang 23 October 2025.
विक्रम संवत् – 2082.
संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – कालयुक्त.
शक – 1946.
अयन – याम्यायनम्.
गोल – सौम्य.
ऋतु – वर्षा.
मास – कार्तिक.
पक्ष – शुक्ल.
गुजराती पंचांग के अनुसार – कार्तिक शुक्ल पक्ष.
Panchang 23 October 2025
तिथि – द्वितीया 22:47 PM बजे तक उपरान्त तृतीया तिथि है।।
नक्षत्र – स्वाति 01:52 AM तक उपरान्त विशाखा नक्षत्र है।।
योग – प्रीति 04:06 AM तक उपरान्त आयुष्मान योग है।।
करण – बालव 09:32 AM तक उपरान्त कौलव 22:47 PM तक उपरान्त तैतिल करण है।।
चन्द्रमा – तुला राशि पर 22:06 PM तक उपरान्त वृश्चिक राशि पर।।
सूर्य – तुला राशि एवं चित्रा नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।
मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 06:37:17
मुम्बई सूर्यास्त – सायं 18:07:03
वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 06:22:39
वाराणसी सूर्यास्त – सायं 17:38:45
राहुकाल (अशुभ) – सुबह 13:49 बजे से 15:15 बजे तक।।
विजय मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12.10 बजे से 12.34 बजे तक।।
Panchang 23 October 2025
द्वितीया तिथि विशेष – द्वितीया तिथि को कटेरी फल का तथा तृतीया तिथि को नमक का दान और भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। द्वितीया तिथि सुमंगला और कार्य सिद्धिकारी तिथि मानी जाती है। इस द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्माजी को बताया गया है। यह द्वितीया तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह द्वितीया तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायिनी होती है।।
प्रजापति व्रत दूज को ही किया जाता है तथा किसी भी नये कार्य की शुरुआत से पहले एवं ज्ञान प्राप्ति हेतु ब्रह्माजी का पूजन अवश्य करना चाहिये। वैसे तो मुहूर्त चिंतामणि आदि ग्रन्थों के अनुसार द्वितीया तिथि अत्यन्त शुभ फलदायिनी तिथि मानी जाती है। परन्तु श्रावण और भाद्रपद मास में इस द्वितीया तिथि का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिये श्रावण और भाद्रपद मास कि द्वितीया तिथि को कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिये।।
पंचाग की दूसरी तिथि द्वितीया कही जाती है। इस तिथि को सुमंगला भी कहा जाता है क्योंकि यह तिथि मंगल करने वाली होती है। इसे हिंदी में दूज, दौज, बीया और बीज भी कहते हैं। यह तिथि चंद्रमा की दूसरी कला है, इस कला में कृष्ण पक्ष के दौरान भगवान सूर्य अमृत पीकर खुद को ऊर्जावान रखते हैं और शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को वह चंद्रमा को लौटा देते हैं। द्वितीया तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 13 डिग्री से 24 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 193 से 204 डिग्री अंश तक होता है। द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्मा जी माने गए हैं। इस तिथि में जन्मे लोगों को ब्रह्मा जी का पूजन अवश्य करना चाहिए।।
यदि द्वितीया तिथि सोमवार या शुक्रवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इसके अलावा किसी माह में यदि द्वितीया तिथि दोनों पक्षों में बुधवार के दिन पड़ती है तो यह सिद्धिदा कहलाती है। ऐसे समय शुभ कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होता है। पञ्चांग के अनुसार भाद्रपद माह की द्वितीया शून्य होती है। वहीं शुक्ल पक्ष की द्वितीया में भगवान शिव माता पार्वती के समीप होते हैं। ऐसे में शिवजी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। दूसरी ओर कृष्ण पक्ष की द्वितीया में भगवान शिव का पूजन करना उत्तम नहीं माना जाता है।।
द्वितीया तिथि में जन्मे जातक दूसरे लिंग के विपरीत बहुत जल्दी आकर्षित हो जाते हैं। यह भावनात्मक तौर पर बहुत कमजोर होते हैं। इन लोगों को लंबी यात्रा करना बहुत पसंद होता है। ये जातक प्रियजनों से ज्यादा परायों के प्रति अपना प्रेम दर्शाते हैं। ये जातक काफी मेहनती होते हैं और उन्हें समाज में मान सम्मान भी प्राप्त होता है। इन जातकों का अपनों के साथ हमेशा मतभेद बना रहता है। इनके पास मित्रों की अधिकता होती है जिसकी वजह से कभी कभार ये बुरी संगति में भी पड़ जाते हैं।।
कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि में यात्रा, विवाह, संगीत, विद्या एवं शिल्प आदि कार्य करना लाभप्रद होता है। इसके विपरीत शुक्ल पक्ष की द्वितीया में आप शुभ कार्य नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा किसी भी पक्ष की द्वितीया को नींबू का सेवन करना वर्जित होता है। साथ ही उबटन लगाना भी शुभ नहीं माना गया है। दीपावली के तीसरे दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन यमराज के पूजन का भी महत्व होता है। इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस पर्व पर बहन अपने भाई को तिलक करती है और यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है।।
पद्म पुराण में कहा गया है, कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है)। द्वितीया तिथि को अशुन्यशयना तिथि भी होता है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से स्त्री विधवा नहीं होती और स्त्री पुरुष का परस्पर वियोग भी नहीं होता। क्षीर सागर में लक्ष्मी के समान भगवान विष्णु के शयन करने के समय यह व्रत होता है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया के दिन लक्ष्मी के साथ श्रीवत्सधारी भगवान श्री विष्णु का पूजन कर हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए।।
मित्रों, ज्योतिषशास्त्र कहता है, द्वितीया तिथि में जिस व्यक्ति का जन्म होता है, उस व्यक्ति का हृदय साफ नहीं होता है। इस द्वितीया तिथि में जन्मे जातक का मन किसी की खुशी को देखकर आमतौर पर खुश नहीं होता, बल्कि उनके प्रति ग़लत विचार रखता है। इनके मन में कपट और छल का घर होता है, ये अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए किसी को भी धोखा दे सकते हैं। इनकी बातें बनावटी और सत्य से बहुत दूर होती हैं। इनके हृदय में दया की भावना बहुत ही कम होती है तथा यह किसी की भलाई भी तभी करते हैं, जबकि उससे अपना भी कुछ लाभ हो। ये परायी स्त्री से अत्यधिक लगाव रखने वाले होते हैं जिसके वजह से कई बार इन्हें अपमानित भी होना पड़ता है।।
Panchang 23 October 2025
विशाखा नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव:- यदि आपका जन्म विशाखा नक्षत्र में हुआ है तो आप शारीरिक श्रम के स्थान पर मानसिक कार्यों को अधिक वरियता देते हैं। शारीरिक श्रम करना आपके बस की बात नहीं होगा और इससे आपका भाग्योदय भी नहीं होगा। मानसिक रूप से आप सक्षम व्यक्ति होंगे और कठिन से कठिन कार्य को भी अपनी सूझ-बूझ से शीघ्र ही निपटा लेते हैं।।
ऐसे लोग स्वभाव से ईर्ष्यालु परन्तु बोल चाल से अपना काम निकलवाने का गुण अपमें स्वाभाविक रूप से ही होगी। वाक् पटुता आपका सहज गुण होगा। मार्केटिंग और सेल्स मैन शिप का कार्य आपके लिए विशेष लाभप्रद होगा। ब्लैक मार्केटिंग से भी आपका सम्बन्ध हो सकता है। आपका व्यक्तित्व सुंदर एवं आकर्षक होगा इसलिए लड़के/लड़कियां हमेश ही आपकी और खिचे चले आयेंगे। जिसका आप लाभ उठाने से नहीं चुकेंगे।।
विशाखा नक्षत्र में जन्मे जातक सेक्स के मामले में बहुत ही रंगीले व्यक्ति होते हैं। ऐसे जातक को क्रोध शीघ्र ही आ जाता है। विपरीत बात आपसे सहन नहीं होती है और बिना सोचे समझे या परिणाम की चिंता किये बिना आप सामने वाले से टकरा जाते हैं। हालाँकि मन ही मन घबराते भी हैं। परन्तु अपनी घबराहट बाहर प्रकट नहीं होने देते हैं। क्रोधित होने पर अपशब्द कहना और बाद में पछताना आपके व्यवहार में होगा।।
यदि आपका जन्म 17 अक्टूबर से 13 नवम्बर के बीच हुआ है तो आपका आत्मबल बेहद कमज़ोर होगा। हालाँकि दिमाग में रात दिन कुछ न कुछ चलता रहता है या यूँ कहे ख्याली पुलाव पकते रहते हैं। आप कला और विज्ञान के क्षेत्र में भी रूचि रखते हैं। बचपन से ही पिता के साथ आपका मन मुटाव चलता रहता है। किशोरावस्था तक जीवन में लापरवाही रहती है। एवं उद्देश्य की कमी के कारण भटकाव भी होते हैं।।
विशाखा नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ धार्मिक प्रवृत्ति की होती हैं। विशाखा नक्षत्र की जातिका उद्यमी परन्तु स्वभाव की कोमल एवं नम्र ह्रदय की होती हैं। धन, ऐश्वर्ययुक्त एवं सत्य का साथ देने वाली होती हैं। अपने इन्ही गुणों के कारण विशाखा नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ समाज में मान सम्मान तथा पूजनीय स्थान प्राप्त करती हैं।।
विशाखा नक्षत्र में जन्मे जातक ज्यादातर ईर्ष्यालु प्रवृत्ति के होते हैं। ऐसे लोग चमड़ी के रोग, मधुमेह, पेशाब और स्त्रियों में गर्भाशय से सम्बंधित रोग, टी. बी. इत्यादि जैसे रोगों से ग्रसित होते हैं।।
प्रथम चरण:- विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी मंगल होता है। इस नक्षत्र चरण में जन्मा जातक तर्कशील एवं नीतिशास्त्र में निपुण होता है। लग्न नक्षत्र स्वामी गुरु एवं नक्षत्र चरण स्वामी मंगल में परस्पर शत्रुता होने से गुरु एवं धनेश मंगल दोनों की दशाएं अशुभ फल ही देंगी।।
द्वितीय चरण:- विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी शुक्र होता है। गुरु व् शुक्र के प्रभाव से जातक धार्मिक शास्त्रों का ज्ञाता, दार्शनिक एवं शास्त्रवेत्ता होता है। गुरु एवं शुक्र की परस्पर शत्रुता के कारण गुरु की दशा अशुभ फल देती है। गुरु में शुक्र या शुक्र में गुरु का अन्तर भी अशुभ फल ही देगा।।
तृतीय चरण:- विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी बुध होता है। गुरु ज्ञान एवं बुध तर्क का प्रतीक ग्रह माना जाता है। ऐसे जातक में वाद-विवाद और तर्क करने की प्रखरता देखी जा सकती है। शुक्र की दशा माध्यम फल देगी। गुरु एवं बुध में शत्रुता होने से गुरु एवं बुध दोनों की ही दशा अशुभ फल देती है।।
चतुर्थ चरण:- विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी चन्द्र होता है। चन्द्र, मंगल तथा बृहस्पति दोनों का ही मित्र है। फलतः चन्द्रमा की दशा में जातक का भाग्योदय होगा। मंगल की दशा भी शुभ फल देगी। जातक लग्न बलि एवं चेष्टावान होगा। विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण में जन्म लेने वाला जातक लम्बी आयु भोगने वाला होता है।।
Panchang 23 October 2025
गुरुवार शॉपिंग के लिये अच्छा दिन माना जाता है।।
गुरुवार का विशेष – गुरुवार के दिन तेल मर्दन करने से धन एवं यश की हानि होती है – (मुहूर्तगणपति)।।
गुरुवार को क्षौरकर्म (बाल दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से तथा सर के बाल धोना, कपड़े धुलना अथवा धोबी के घर डालना, घर-आँगन की गोबर आदि से लिपाई करना इस प्रकार के कार्य नहीं करने चाहियें इससे धन एवं पूण्य की हानी होती है और लक्ष्मी घर छोड़कर चली जाती है।। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।
महिलाओं की जन्मकुंडली में बृहस्पति पति का कारक ग्रह होता है। साथ ही बृहस्पति ही संतान का कारक ग्रह भी होता है। इसलिये बृहस्पति ग्रह अकेले ही स्त्री के संतान और पति दोनों के जीवन को प्रभावित करता है। अतः बृहस्पतिवार को सिर धोना बृहस्पति को कमजोर बनाता है जिससे कि बृहस्पति के शुभ प्रभाव में कमी आती है। इसी कारण से इस दिन बाल धोना या कटवाना भी नहीं चाहिए। इसका असर संतान और पति के जीवन पर पड़ता है और उनकी उन्नति बाधित होती है।।
वास्तु अनुसार घर के ईशान कोण का स्वामी गुरु होता है। ईशान कोण का संबंध परिवार के नन्हे सदस्यों यानी कि बच्चों से होता है। साथ ही घर के पुत्र संतान का संबंध भी इसी कोण से ही होता है। ईशान कोण धर्म और शिक्षा की दिशा है इसलिये घर में शुद्ध वजन वाले कपड़ों को धोना, कबाड़ घर से बाहर निकालना, घर को धोना या पोछा लगाना इत्यादि घर के ईशान कोण को कमजोर करता है। उससे घर के बच्चों, पुत्रों, घर के सदस्यों की शिक्षा, धर्म आदि पर गुरु का शुभ प्रभाव कम होता है।।
Panchang 23 October 2025
गुरुवार भगवान लक्ष्मी नारायण का दिन होता है। इसलिये इस दिन लक्ष्मी और नारायण का एक साथ पूजन करने से जीवन में अपार खुशियाँ आती है। इस दिन लक्ष्मी और नारायण का एक साथ पूजन करने से पति-पत्नी के बीच कभी दूरियाँ नहीं आती है साथ ही धन की वृद्धि भी होती है। जन्मकुंडली में गुरु ग्रह के प्रबल होने से उन्नति के रास्ते आसानी से खुलते हैं। परन्तु यदि गुरु ग्रह को कमजोर करने वाले कार्य किए जाए तो प्रमोशन होने में भी रुकावटें आती है।।
गुरुवार को गुरु ग्रह को कमजोर किए जाने वाले काम करने से धन की वृद्धि रुक जाती है। जैसे – सिर के बाल धोना, भारी कपड़े धोना, बाल कटवाना, शेविंग करवाना, शरीर के बालों को साफ करना, फेशियल करवाना, नाखून काटना, घर से मकड़ी के जाले साफ करना, घर के उन कोनों की सफाई करना जिन कोनों की रोज सफाई नहीं की जाती हो। ये सभी काम गुरुवार को करने से धन हानि होता है तथा तरक्की रुक जाती है।।
दिशाशूल – गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो दही खा कर यात्रा कर सकते है।।
गुरुवार के दिन ये विशेष उपाय करें – गुरु धन एवं प्रतिष्ठा का कारक ग्रह होता है। जिस व्यक्ति पर गुरु की कृपा होती है उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है। गुरुवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान ध्यान करें और घी का दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें बिगड़े काम भी बन जायेंगे।।
Panchang 23 October 2025
बृहस्पतिवार को जिनका जन्म होता है, वह व्यक्ति विद्या एवं धन से युक्त होता है अर्थात ये ज्ञानी और धनवान होते हैं। ये विवेकशील होते हैं और शिक्षण को अपना पेशा बनाते हैं। ये लोगों के सम्मुख आदर और सम्मान के साथ प्रस्तुत होते हैं तथा उच्च स्तर के सलाहकार भी होते हैं। गुरुवार में जन्मे जातक सभ्य, खिलते रंग के, सुशील एवं मधुर स्वभाव के होते हैं तथा धर्म के प्रति सचेत होते हैं।।
ये सभी सद्गुणों से संपन्न होने के वजह से किसी के साथ विश्वासघात नहीं करते हैं। ऐसे लोग किसी का हक नहीं मारते तथा न्याय के प्रति सजग होते हैं। यह सफल राजनीतिज्ञ, न्यायधीश, क्लर्क, प्रकाशक एवं धर्मगुरु आदि के रूप में सफल होते हैं। गुरुवार को जन्मं लेने वाले व्यसक्ति बेहद मिलनसार और मधुर स्वभाव के होते हैं। ये जीवन को उत्सफव की तरह जीते हैं इसलिए हमेशा खिले-खिले रहते हैं।।
ऐसे व्यक्ति धर्म में विशेष रुचि रखने वाले होते हैं। धार्मिक प्रवृत्ति के कारण ये कभी किसी के साथ विश्वाससघात नहीं कर सकते हैं। यह किसी का हक भी नहीं मारते, न्याय के प्रति सजग होते हैं। इनको अपने जीवन में सफलता हेतु धर्मगुरु, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, प्रकाशक एवं न्यायधीश आदि के क्षेत्र में भाग्य आजमाना चाहिये। इनका शुभ दिन मंगलवार और बृहस्पितिवार तथा शुभ अंक 4 होता है।।
आज का विचार – मित्रों, हम अपनी पिछली गलतियों से सबक लेकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। परन्तु याद रहे कि होशियार लोग अपनी गलती से लेते हैं, जबकि ज्यादा होशियार लोग दूसरों की गलतियों से गलतियों को दुहराना सीखते हैं। इसलिये अपनी गलतियों को सुधारना ही व्यक्ति में इंसानियत लाता है।।
Panchang 23 October 2025
जन्मकुण्डली के अनुसार आपके जीवन में धन कैसे और कब आयेगा ?।।…. आज के इस लेख को पूरा पढने के लिये इस लिंक को क्लिक करें….. वेबसाईट पर पढ़ें: & ब्लॉग पर पढ़ें:
“मकर राशि वालों के मृत्यु का योग।। Makar Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.
“तुला राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी।। Tula Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.
“मिथुन राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी। Mithun Rashi Walo Ki Mrityu.
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Panchang 23 October 2025
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