पितरों के तर्पण में अंगूठे की भूमिका।।

Pitaro Ka Tarpan Vidhi
Pitaro Ka Tarpan Vidhi

पितरों के तर्पण में अंगूठे की भूमिका।। Pitaro Ka Tarpan Anguthe Se Kyon.

मित्रों, क्या आप जानते हैं, कि पितरों का तर्पण करते समय अंगूठे का प्रयोग क्यों किया जाता है? अंगूठे के माध्यम से ही जलांजलि का जल जमीन पर क्यों छोड़ा जाता है? इस विषय को स्पष्टता से आज हम आपलोगों को बताते हैं।।

वैदिक सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष को बहुत ही पवित्र समय माना जाता है। पितृपक्ष 30 सितंबर 2023 से प्रारंभ हो रहा है। श्राद्ध पक्ष से कई परंपराएं भी जुड़ी रही हैं। लेकिन इन परंपराओं के पीछे का कारण बहुत कम लोग जानते हैं।।

आज हम आपको श्राद्ध से जुड़ी एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बता रहे हैं। जो हम बचपन से देखते आ रहे हैं। लेकिन उसके पीछे के कारण से अनजान हैं। वो परंपरा है तर्पण करते समय अंगूठे के माध्यम से जल जमीन पर छोड़ना।।

इसलिए तर्पण करते समय अंगूठे से ही जल भूमि पर छोड़ा जाता हैं। श्राद्ध कर्म करते समय पितरों का तर्पण करने का विधान है। अर्थात पिंडों पर अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है। ऐसी मान्यता है, कि अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।।

इसके पीछे के ज्योतिषीय कारण कि बात करें तो हस्तरेखा से जुड़ा है। हस्तरेखा के अनुसार, पंजे के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है। इसीलिए अंगूठे से जल चढ़ाया जाता है। जल पितृ तीर्थ से होता हुआ पिंडों तक जाता है।।

ऐसी मान्यता है, कि पितृ तीर्थ से होता हुआ जल जब अंगूठे के माध्यम से पिंडों तक पहुंचता है तो पितरों को पूर्ण तृप्ति का अनुभव होता है। यही कारण है, कि हमारे विद्वान पूर्वजों ने पितरों का तर्पण करते समय अंगूठे के माध्यम से जल देने की परंपरा बनाई है।।

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