कुण्डली में पितृदोष या प्रेतदोष को कैसे पहचानें ? Pitridosh Ya Pretdosh.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, मैंने अपने पहले के दो आर्टिकल्स में कुण्डली में पितृदोष कैसे और किन-किन ग्रहों के वजह से बनाता है ? और इसके निवारण का सरल उपाय क्या है ? ये सब मैंने विस्तार पूर्वक बताया है ।।
मूलतः कुण्डली में पितृदोष का सृजन दो ग्रहों सूर्य एवं मंगल के पीड़ित होने से बनता है । जिसे क्रमशः सुर्यकृत पितृदोष और मंगलकृत पितृदोष के नाम से जाना जाता है ।।
क्योंकि सूर्य का संबंध पिता से और मंगल का संबंध रक्त से होता है । सूर्य के लिए पाप ग्रह शनि राहु और केतु माने जाते हैं । अतः जब सूर्य का इन ग्रहों के साथ दृष्टि या युति संबंध बनाता है तो सूर्यकृत पितृदोष का निर्माण होता है ।।
इसी प्रकार मंगल यदि राहु या केतु के साथ किसी भी प्रकार से सम्बन्ध बनाये या इनसे दृष्ट सम्बन्ध भी हो तो मंगलकृत पितृ दोष का निर्माण होता है ।।
सामान्यतः यह देखा जाता है, कि सूर्यकृत पितृदोष किसी जातक की कुण्डली में हो तो जातक के विचार अपने परिवार या कुंटुंब के अपने से बड़े व्यक्तियों से कदापि नहीं मिलते ।।
वहीं मंगलकृत पितृदोष हो तो जातक के अपने परिवार या कुटुम्ब में अपने छोटे व्यक्तियों से विचार नहीं मिलते । सूर्य एवं मंगल की राहु से युति अत्यन्त विषम स्थिति पैदा कर देती है ।।
क्योंकि राहु एक पृथकताकारी या विभक्तिकारक स्वाभाव का ग्रह है । ऐसे में यह राहू, सूर्य और मंगल को उनके कारकों से पृथक कर देता है ।।
कुंडली में पितृदोष हो और साथ ही ग्रहों की अवस्था इस प्रकार हो तो भी भूत-प्रेत बाधा के योग निर्मित होते हैं । जैसे यदि कुंडली में चंद्रमा अथवा लग्न या लग्नेश पर राहु केतु का प्रभाव हो तो उस जातक पर ऊपरी हवा, जादू-टोने इत्यादि का असर अति शीघ्र होता है ।।
जन्म कुंडली में सप्तम भाव में अथवा अष्टम भाव में क्रूर ग्रह राहु-केतु, मंगल, शनि यदि पीड़ित अवस्था में हों तो ऐसा जातक भूत-प्रेत, जादू-टोने तथा ऊपरी हवा आदि जैसी परेशानियों से अति शीघ्र प्रभावित होता है ।।
ज्योतिष के सभी पहलू पर विस्तृत समझाकर बताया गया बहुत सा हमारा विडियो हमारे YouTube के चैनल पर देखें । इस लिंक पर क्लिक करके हमारे सभी विडियोज को देख सकते हैं – Click Here & Watch My YouTube Channel.
इस तरह की अन्य बहुत सारी जानकारियों, ज्योतिष के बहुत से लेख, टिप्स & ट्रिक्स पढने के लिये हमारे ब्लॉग एवं वेबसाइट पर जायें तथा हमारे फेसबुक पेज को अवश्य लाइक करें, प्लीज – My facebook Page.
वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
वापी ऑफिस:- शॉप नं.- 101/B, गोविन्दा कोम्प्लेक्स, सिलवासा-वापी मेन रोड़, चार रास्ता, वापी।।
वापी में सोमवार से शुक्रवार मिलने का समय: 10:30 AM 03:30 PM शनिवार एवं रविवार बंद है.
सिलवासा ऑफिस:- बालाजी ज्योतिष केन्द्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा।।
प्रतिदिन सिलवासा में मिलने का समय: 05: PM 08:30 PM
WhatsAap & Call: +91 – 8690 522 111.
E-Mail :: [email protected]