रुद्राक्ष के प्रयोग से काला जादू, ग्रह दोष एवं टोन-टोटके हटायें।। Rudraksh Se Jadu tone hatayen.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, हमारे पूर्वज ऋषियों ने सभी मानव जाती के कल्याण हेतु अपने अनुभव के रूप में शास्त्र प्रदान किये हैं । ये ऋषिजन किसी एक के नहीं अपितु लगभग सभी मानव जाती के थे । यह विद्या भी सिर्फ किसी एक जाती की नहीं है अपितु सभी मनुष्यों के लिये है ।।
हमारे ऋषियों ने बहुत गहराई से विचार किया कि हमारी आने वाली पीढ़ियां कैसे सुखी जीवन व्यतीत कर सकती हैं । तब जाकर इस प्रकार की विद्या हमें प्राप्त हुई ।।
मित्रों, आज हम इस विषय पर विचार करेंगे कि हमारे ही समाज के कुछ दुष्ट लोग हमारे ऋषियों की विद्या का गलत प्रयोग करके किसी को परेशान करते हैं । जैसे काला जादू वगैरह-वगैरह इनको हटाने के उपाय के विषय में ।।
मनुष्य जब भूत-प्रेत अथवा नजर-टोना, किसी की हाय या किसी दुष्ट आत्मा के जाल में फंस जाता है । तब उसकी समस्या का समाधान करना दुष्कर कार्य होता है ।।
ऐसे में बाधित व्यक्तियों को ज्योतिषीय सामग्रियों के धारण या पूजन से अवश्य लाभ मिलता है । जैसे नजर सुरक्षा लॉकेट, स्वास्थ्यवर्द्धक लॉकेट और जीवन की बाधाओं को हटाने वाला लॉकेट आदि-आदि ।।
इस प्रकार के लॉकेट या यन्त्र किसी के निजी साधना का परिणाम अगर हो तो बुरी नजर, काला जादू, तंत्र-मंत्र-जादू, टोने आदि के दुष्प्रभाव को अवश्य ही काटता है ।।
इतना ही नहीं बल्कि शनि दोष, साढ़ेसाती, ढैय्या की अवधि में भी ये विशेष रूप से शुभ फलदायी सिद्ध होता है । इन सबको पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से धारण करने पर धारक की सभी पराबाधाओं का निवारण होता है ।।
इसके चमत्कारिक प्रभाव से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी वृद्धि होती है । साथ ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार धारक को आशा और उन्नति की ओर लेकर जाता है ।।
एक बाधामुक्ति कवच होता है, जो कि पांचमुखी, तेरहमुखी तथा गणेश रुद्राक्ष के संयुक्त मेल से बनाया जाता है । तेरह मुखी रुद्राक्ष विश्वेश्वर का प्रतीक होने के कारण सभी बाधाओं को नष्ट कर देता है ।।
पांचमुखी रुद्राक्ष, महारुद्र स्वरूप है और पाप, ताप आदि अशुभ बाधाओं से रक्षा करता है । गणेश रुद्राक्ष विघ्नेश्वर का स्वरूप होने के कारण जीवन में आने वाली सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करता है ।।
ग्यारहमुखी रुद्राक्ष साक्षात रुद्र माना जाता है । यह 11 रुद्रों एवं भगवान शंकर के ग्यारहवें अवतार संकटमोचन महावीर बजरंगबली का प्रतीक होता है । इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सांसारिक ऐश्वर्य और संतान सुख प्राप्त होता है और उसकी सारी ऊपरी बाधाएं दूर हो जाती हैं ।।
तेरहमुखी रुद्राक्ष साक्षात इंद्र का स्वरूप होता है। यह कार्तिकेय के समान हर प्रकार का ऐश्वर्य देता है और कामनाओं की पूर्ति करता है। इसे धारण करने से व्यक्ति सभी प्रकार की धातुओं एवं रसायनों की सिद्धि का ज्ञाता हो जाता है।।
कुछ विद्वानों के अनुसार कामदेव को भी तेरहमुखी रुद्राक्ष का देवता माना जाता है। इसका प्रभाव शुक्र ग्रह के समान होता है। यह निःसंतानों को संतति प्रदान करने वाला, काम सुख, शांति, सफलता एवं आर्थिक समृद्धि प्रदान करनेवाला रुद्राक्ष है।।
पंद्रहमुखी रुद्राक्ष भगवान पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है। यह धारक के आर्थिक एवं आध्यात्मिक स्तर को उठाकर उसे सुख, संपदा, मान-सम्मान-प्रतिष्ठा एवं शांति प्रदान करता है।।
पंद्रहमुखी रूद्राक्ष विशेष रूप से नजर दोष और भूत-प्रेत आदि बाधा से मुक्ति प्राप्ति के लिए धारण किया जाता है। बीसमुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप कहा गया है। इसे धारण करने से भूत-पिशाच आदि का भय नहीं रहता।।
साथ ही क्रूर ग्रहों का अशुभ प्रभाव भी नहीं पड़ता है । बीसमुखी रूद्राक्ष को श्रद्धा से यदि धारण करें तो विशेष सफलता प्रदान करता है। धारक को सर्पादि विषधारी प्राणियों का भी भय नहीं होता है।।
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