कुण्डली में गुरू वक्री हो तो कैसा फल देते हैं।।

Vakri Guru ka fal
Vakri Guru ka fal

कुण्डली में गुरू ग्रह वक्री हो तो शुभ या अशुभ कैसा फल देता है।। kundali Me Vakri Guru ka fal.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, आज हम वक्री गुरु के शुभाशुभ फल के विषय में विस्तृत बात करेंगे। सामान्यतः बृहस्पति विद्या और बुद्धि के स्वामी ग्रह माने जाते हैं। इस गुरु बृहस्पति ग्रह से संबंधित लोग अध्ययन, अध्यापन, स्वर्ण के व्यवसाय, आध्यात्म, राजनीति, प्रबंधन, मुद्रा क्रय-विक्रय, चिकित्सा, इंजिनियरिंग, कूटनीतिक सलाहकार, राजदूत इत्यादि क्षेत्रों में आसानी से सफलता प्राप्त कर लेते हैं।।

जिस स्त्री जातक की कुण्डली में बृहस्पति शुभ स्थान और शुभ प्रभाव में होता है। उसे सामाजिक मान-सम्मान तथा ऊँचे पद-प्रतिष्ठा और सांसारिक सुख सहजता से प्राप्त हो जाता है। परंतु यही गुरू जब वक्री होता है तब उसके शुभ या अशुभ फल देने के स्वभाव में कोई अंतर नहीं आता। किसी कुण्डली में सामान्य रूप से शुभ फल देने वाले गुरू वक्री होने की स्थिति में भी उस कुंडली में शुभ फल ही देते हैं।।

साथ ही किसी कुण्डली में सामान्य रूप से अशुभ फल देने वाले गुरू वक्री होने की स्थिति में भी उस जातक को अशुभ फल ही देते हैं। किन्तु वक्री होने से गुरू के व्यवहार में कुछ बदलाव अवश्य आ जाता है। वक्री होने की स्थिति में गुरू कई बार शुभ या अशुभ फल देने में भी देरी करते हैं। गुरु ग्रह जब वक्री हो तो ऐसा जातक दूसरों को बिना मांगी सलाह या उपदेश देने की आदत बना लेता है।।

ऐसे लोगों को बहुत बार अपने ज्ञान का इस्तेमाल करने की सही दिशा का पता नहीं लगता। इसी आदत के चलते ऐसे लोग कई बार अपने आस पास के लोगों को व्यर्थ में ही उपदेश देना शुरू कर देते हैं। इन बदलावों के अतिरिक्त आम तौर पर वक्री गुरू अपने सामान्य स्वभाव की तरह ही आचरण करते हैं। अगर आपकी कुण्डली में बैठा गुरु आपको अशुभ फल दे रहा हो तो आप हमारे वेबसाइट पर अन्य लेखों में लिखे उपायों को करके शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।।

बृहस्पति कमजोर हो तो आपको अपने माता-पिता की विशेष सेवा करनी चाहिए। अपने सभी गुरुओं, जिससे छोटा या बड़ा किसी भी तरह का ज्ञान आपने प्राप्त किया है, उसके लिए उनका शक्रगुजार होना चाहिए। साथ ही यदि वे आपको कोई आज्ञा दें, तो उनका पालन भी आपको करना चाहिए। इससे आपके उपर पड़नेवाला बृहस्पति का बुरा प्रभाव कम होता है। पीले रंग की वस्तु का भूलकर भी दान नहीं करना चाहिए।।

जैसा की मैंने आपलोगों को ऊपर बताया कि वक्री होने पर गुरू के शुभ या अशुभ फल देने के स्वभाव में कोई अंतर नहीं आता। किन्तु वक्री होने से गुरू के व्यवहार में कुछ बदलाव अवश्य आ जाते हैं। वक्री होने की स्थिति में गुरू कई बार पर शुभ या अशुभ फल देने में काफी देर भी कर देते हैं। इसलिए घबराना नहीं चाहिए बल्कि उपाय करना चाहिए।।

Hamara Jivan And Grahon Ka Khel

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