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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 12 जुलाई 2025 दिन शनिवार।।
मित्रों, तारीख 12 जुलाई 2025 दिन शनिवार को ही श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। आज अशून्यशयन 2 का (चंदोदय – रा.08:16 PM) पावन त्यौहार है। आज भगवान श्रीविष्णु को शय्या पर शयन किये हुए ही माता लक्ष्मी के साथ में पूजन करने से अक्षय धन-सम्पदा एवं दाम्पत्य सुख की भी प्राप्ति होती है। आज सर्वार्थसिद्धि योग एवं पूर्वत्रिपुष्कर योग भी है। आप सभी सनातनियों को “शय्या पर शयन किये भगवान श्रीविष्णु सहित माता लक्ष्मी के पूजन” की हार्दिक शुभकामनायें एवं अनन्त-अनन्त बधाइयां।।
हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।
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।। पधारने हेतु भागवत प्रवक्ता – स्वामी धनञ्जय महाराज की ओर से आपका ह्रदय से धन्यवाद। आप का आज का दिन मंगलमय हो। अपने गाँव, शहर अथवा सोसायटी में भागवत कथा के आयोजन हेतु कॉल – 9375288850 करें या इस लिंक को क्लिक करें।।
वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).
पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।
आज का पञ्चांग 12 जुलाई 2025 दिन शनिवार।।
Aaj ka Panchang 12 july 2025.
विक्रम संवत् – 2082.
संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – कालयुक्त.
शक – 1946.
अयन – सौम्यायनम्.
गोल – सौम्य.
ऋतु – ग्रीष्म.
मास – श्रावण.
पक्ष – कृष्ण.
गुजराती पंचांग के अनुसार – आषाढ़ कृष्ण पक्ष.
Panchang 12 July 2025
तिथि – प्रतिपदा 02:09 AM बजे तक उपरान्त द्वितीया तिथि है।।
नक्षत्र – उत्तराषाढ़ा 06:37 AM तक उपरान्त श्रवण नक्षत्र है।।
योग – विष्कुम्भ 19:32 PM तक उपरान्त प्रीति योग है।।
करण – कौलव 02:09 AM तक उपरान्त तैतिल 14:01 PM तक उपरान्त गर करण है।।
चन्द्रमा – मकर राशि पर।।
सूर्य – मिथुन राशि एवं मृगशिरा नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।
मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 06:07:09
मुम्बई सूर्यास्त – सायं 19:20:05
वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 05:16:39
वाराणसी सूर्यास्त – सायं 18:44:32
राहुकाल (अशुभ) – सुबह 09:26 बजे से 11:05 बजे तक।।
विजय मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12.32 बजे से 12.56 बजे तक।।
Panchang 12 July 2025
द्वितीया तिथि विशेष – द्वितीया तिथि को कटेरी फल का तथा तृतीया तिथि को नमक का दान और भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। द्वितीया तिथि सुमंगला और कार्य सिद्धिकारी तिथि मानी जाती है। इस द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्माजी को बताया गया है। यह द्वितीया तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह द्वितीया तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायिनी होती है।।
प्रजापति व्रत दूज को ही किया जाता है तथा किसी भी नये कार्य की शुरुआत से पहले एवं ज्ञान प्राप्ति हेतु ब्रह्माजी का पूजन अवश्य करना चाहिये। वैसे तो मुहूर्त चिंतामणि आदि ग्रन्थों के अनुसार द्वितीया तिथि अत्यन्त शुभ फलदायिनी तिथि मानी जाती है। परन्तु श्रावण और भाद्रपद मास में इस द्वितीया तिथि का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिये श्रावण और भाद्रपद मास कि द्वितीया तिथि को कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिये।।
पंचाग की दूसरी तिथि द्वितीया कही जाती है। इस तिथि को सुमंगला भी कहा जाता है क्योंकि यह तिथि मंगल करने वाली होती है। इसे हिंदी में दूज, दौज, बीया और बीज भी कहते हैं। यह तिथि चंद्रमा की दूसरी कला है, इस कला में कृष्ण पक्ष के दौरान भगवान सूर्य अमृत पीकर खुद को ऊर्जावान रखते हैं और शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को वह चंद्रमा को लौटा देते हैं। द्वितीया तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 13 डिग्री से 24 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 193 से 204 डिग्री अंश तक होता है। द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्मा जी माने गए हैं। इस तिथि में जन्मे लोगों को ब्रह्मा जी का पूजन अवश्य करना चाहिए।।
यदि द्वितीया तिथि सोमवार या शुक्रवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इसके अलावा किसी माह में यदि द्वितीया तिथि दोनों पक्षों में बुधवार के दिन पड़ती है तो यह सिद्धिदा कहलाती है। ऐसे समय शुभ कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होता है। पञ्चांग के अनुसार भाद्रपद माह की द्वितीया शून्य होती है। वहीं शुक्ल पक्ष की द्वितीया में भगवान शिव माता पार्वती के समीप होते हैं। ऐसे में शिवजी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। दूसरी ओर कृष्ण पक्ष की द्वितीया में भगवान शिव का पूजन करना उत्तम नहीं माना जाता है।।
द्वितीया तिथि में जन्मे जातक दूसरे लिंग के विपरीत बहुत जल्दी आकर्षित हो जाते हैं। यह भावनात्मक तौर पर बहुत कमजोर होते हैं। इन लोगों को लंबी यात्रा करना बहुत पसंद होता है। ये जातक प्रियजनों से ज्यादा परायों के प्रति अपना प्रेम दर्शाते हैं। ये जातक काफी मेहनती होते हैं और उन्हें समाज में मान सम्मान भी प्राप्त होता है। इन जातकों का अपनों के साथ हमेशा मतभेद बना रहता है। इनके पास मित्रों की अधिकता होती है जिसकी वजह से कभी कभार ये बुरी संगति में भी पड़ जाते हैं।।
कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि में यात्रा, विवाह, संगीत, विद्या एवं शिल्प आदि कार्य करना लाभप्रद होता है। इसके विपरीत शुक्ल पक्ष की द्वितीया में आप शुभ कार्य नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा किसी भी पक्ष की द्वितीया को नींबू का सेवन करना वर्जित होता है। साथ ही उबटन लगाना भी शुभ नहीं माना गया है। दीपावली के तीसरे दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन यमराज के पूजन का भी महत्व होता है। इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस पर्व पर बहन अपने भाई को तिलक करती है और यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है।।
पद्म पुराण में कहा गया है, कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है)। द्वितीया तिथि को अशुन्यशयना तिथि भी होता है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से स्त्री विधवा नहीं होती और स्त्री पुरुष का परस्पर वियोग भी नहीं होता। क्षीर सागर में लक्ष्मी के समान भगवान विष्णु के शयन करने के समय यह व्रत होता है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया के दिन लक्ष्मी के साथ श्रीवत्सधारी भगवान श्री विष्णु का पूजन कर हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए।।
मित्रों, ज्योतिषशास्त्र कहता है, द्वितीया तिथि में जिस व्यक्ति का जन्म होता है, उस व्यक्ति का हृदय साफ नहीं होता है। इस द्वितीया तिथि में जन्मे जातक का मन किसी की खुशी को देखकर आमतौर पर खुश नहीं होता, बल्कि उनके प्रति ग़लत विचार रखता है। इनके मन में कपट और छल का घर होता है, ये अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए किसी को भी धोखा दे सकते हैं। इनकी बातें बनावटी और सत्य से बहुत दूर होती हैं। इनके हृदय में दया की भावना बहुत ही कम होती है तथा यह किसी की भलाई भी तभी करते हैं, जबकि उससे अपना भी कुछ लाभ हो। ये परायी स्त्री से अत्यधिक लगाव रखने वाले होते हैं जिसके वजह से कई बार इन्हें अपमानित भी होना पड़ता है।।
Panchang 12 July 2025
श्रवण नक्षत्र के जनकों का गुण एवं स्वभाव:- यदि आपका जन्म श्रवण नक्षत्र में हुआ है तो आप एक माध्यम कद काठी परन्तु प्रभावी और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होंगे। आपमें बचपन से ही सीखने की लालसा होने के कारण आप आजीवन ज्ञान प्राप्त करते रहेंगे। साथ ही समाज के बुद्धिजीवियों में आप की गिनती होती है। आप एक स्थिर सोच वाले निश्छल और पवित्र व्यक्ति होंगे।।
मानवता ही आपकी प्राथमिकता होगी और आपका दृष्टिकोण सदा ही सकारात्मक रहेगा। आप दूसरों के प्रति बहुत अधिक स्नेह की भावना रखेंगे। इसलिए औरों से भी उतना ही स्नेह एवं सम्मान प्राप्त करेंगे। श्रवण नक्षत्र के जातक एक अच्छे वक्ता होते हैं। एकान्तप्रिय होते हुए भी आपके मित्र अधिक होते हैं। आपके शत्रुओं की संख्या भी कुछ कम नहीं होती परन्तु अंत में शत्रुओं पर विजय आपकी ही होती हैं।।
आप एक इमानदार और सच्चाई के रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति होंगे। झूठ और कपट न तो आपको आता है और न ही जीवन में कभी आप इसका सहारा लेते हैं। आप अपने जीवन में कई बार दूसरों द्वारा किये गये धोखे का शिकार होते हैं। फिर भी आप अपने आदर्शों पर ही चलना पसंद करेंगे। आप बहुत मृदुभाषी और कोमल हृदयी व्यक्ति होंगे और अपनी हर चीज़ सुव्यवस्थित और साफ़ ही पसंद करेंगे।।
गन्दगी और अवव्स्था के कारण ही आपको बहुत अधिक क्रोध आ जाता है। साथ ही आप अपने मूल स्वभाव को भी भूल जाते हैं। आप दिखने में सीधे-सादे परन्तु आकर्षक व्यक्ति होंगे। आप प्राकृतिक रूप से सुंदर होते हैं। आप अपना सारा जीवन ज्ञान प्राप्ति में ही व्यतीत करते हैं। अतः आप एक अच्छे सलाहकार भी होते हैं। किसी भी विवाद या समस्या को न्यायिक दृष्टि से देखने की क्षमता आपमें होती है।।
जीवन में अनेक समस्याओं से जूझते हुए और अपना दायित्व निभाते हुए आप आगे बढ़ते रहेंगे और संतुलित एवं संतुष्ट जीवन व्यतीत करेंगे। श्रवण नक्षत्र के जातक अधिक ज्ञान अर्जन के कारण अपने जीवन में करियर के चुनाव में परेशानी नहीं झेलते हैं। 30 वर्ष तक कुछ उथल पुथल सहते हुए 45वें वर्ष तक अपने कार्यक्षेत्र में चमकने लगते हैं।।
65 वर्ष के बाद भी यदि कार्यरत हों तो अपने करियर की ऊंचाईयों को छूते हैं। वैसे तो सभी प्रकार के कार्यों के लिए सक्षम होंगे। परन्तु तकनीकी और मशीनरी कार्य, , इंजीनियरिंग, तेल और पेट्रोलियम सम्बंधित क्षेत्र आपके लिए विशेष लाभदायक होगा। आपके वैवाहिक जीवन द्वारा आपके जीवन की शरुआती मुश्किलों और अस्थिरता समाप्त होगी। एक आज्ञाकारी और आपसे बहुत प्रेम करने वाली पत्नी के कारण आप सुखमय दाम्पत्य जीवन का अनुभव करेगे।।
श्रवण नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ भी विनम्र और सदाचारी होती हैं। अपने इन्ही गुणों के कारण श्रवण नक्षत्र की जातिकाएं परिवार और समाज में आदर प्राप्त करती हैं। श्रवण नक्षत्र के जातक विनम्र व्यक्ति के रूप में ख्याति प्राप्त करते हैं। इन जातकों को चमड़ी के रोग तथा अपच आदि की बीमारियाँ होने की संभावनायें बनी रहती है।।
प्रथम चरण:- श्रवण नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता भगवान विष्णु है और स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। इस नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी मंगल हैं। श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा जातक मान सम्मान का इच्छुक एवं आशावादी होता है। श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी मंगल, शनि का शत्रु है परन्तु चन्द्र का मित्र अतः चन्द्र और मंगल की दशा शुभ फलदायी होती है। शनि की दशा उन्नतिदायक और धन के मामले में सहायक होती है।।
द्वितीय चरण:- श्रवण नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता भगवान विष्णु है और स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। इस नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी शुक्र हैं। श्रवण नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्मा जातक गुणी एवं सकारात्मक सोच वाला होता है। श्रवण नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र, शनि और चन्द्र दोनों का शत्रु है। अतः शुक्र को जितना शुभ फल देना चाहिए उतना नहीं दे पायेगा। शनि की दशा-अन्तर्दशा में जातक उन्नति करेगा। धन अर्जित करेगा एवं स्वस्थ रहेगा।।
तृतीय चरण:- श्रवण नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता भगवान विष्णु है और स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। इस नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी बुध हैं। श्रवण नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्मा जातक समाज के विद्वान् व्यक्तियों में गिना जाता है। श्रवण नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी बुध, शनि और चन्द्रमा दोनों का शत्रु है। अतः बुध को जितना शुभ फल देना चाहिए उतना नहीं दे पायेगा। शनि की दशा-अन्तर्दशा में जातक को मान सम्मान मिलेगा एवं प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होगी।।
चतुर्थ चरण:- श्रवण नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता भगवान विष्णु है और स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। इस नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी चन्द्र हैं। श्रवण नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मा जातक धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्ति का होता है। श्रवण नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी और नक्षत्र स्वामी भी चन्द्र है। अतः चन्द्रमा की दशा अशुभ फल नहीं देती है। शनि की दशा-अन्तर्दशा में जातक उन्नति करेगा एवं धन अर्जित करेगा तथा स्वस्थ रहेगा।।
Panchang 12 July 2025
शनिवार को जूते-चप्पल, लोहे की बनी वस्तुयें, नया अथवा पुराना भी वाहन नहीं खरीदना चाहिये एवं नए कपड़े न खरीदना और ना ही पहली बार पहनना चाहिये।।
शनिवार का विशेष – शनिवार के दिन तेल मर्दन “मालिश” करने से हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती हैं – (मुहूर्तगणपति)।।
शनिवार को क्षौरकर्म (बाल दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से आयुष्य की हानि होती है। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।
शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पीपल के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी ग्रह दोषों की निवृति हो जाती है।।
दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो अदरख एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।।
Panchang 12 July 2025
जिस व्यक्ति का जन्म शनिवार को होता है उस व्यक्ति का स्वभाव कठोर होता है। ये पराक्रमी एवं परिश्रमी होते हैं तथा इनके ऊपर दु:ख भी आये तो ये उसे भी सह लेना जानते हैं। ये न्यायी एवं गंभीर स्वभाव के होते हैं तथा सेवा करना इन्हें काफी पसंद होता है।।
शनिवार को जन्म लेनेवाले जातक कुछ सांवले रंग के, साहसी, मैकेनिक अथवा चिकित्सक होते हैं। इनमें से कुछ अपने कार्य में सुस्त भी होते हैं, जैसे देर से जागना, देर तक सोना भी इनकी आदतों में शुमार होता है। पारिवारिक जिम्मेदारियां भी शुद्ध रहती है इसलिये ये एक मेहनतकश इंसान होते हैं। सफलता के मार्ग में रूकावटों का भी सामना करना पड़ता है।।
शनिवार को जन्मलेनेवाले जातकों के स्वभाव में साहस लक्षित होता है। सफलता के मार्ग में लाख रुकावटें आए, लेकिन ये इसे पार करके ही रहते हैं। ऐसे लोग अधिकांशतः सांवले रंग के होते हैं। इन जातकों को अपने कैरियर के लिये डॉक्टपर, इंजीनियर तथा मैकेनिक के क्षेत्र का चयन करना चाहिये। इनका शुभ अंक 3, 6 और 9 तथा इनका शुभ दिन शनिवार और मंगलवार होता है।।
आज का सुविचार – मित्रों, रात लम्बी और काली हो सकती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता कि सुबह होगी ही नहीं। ठीक उसी तरह असफलता का दौर लम्बा हो सकता है, लेकिन इसका यह मतलब ये कतई नहीं होता कि आपको अब कभी सफलता मिलेगी ही नहीं।।
Panchang 12 July 2025
शनि देव मेहरबान हों तो इंजीनियर और चार्टर्ड एकाउंटेंट बनाते है।।…. आज के इस पुरे लेख को पढ़ने के लिये इस लिंक को क्लिक करें…. वेबसाईट पर पढ़ें: & ब्लॉग पर पढ़ें:
“मकर राशि वालों के मृत्यु का योग।। Makar Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.
“तुला राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी।। Tula Rashi Walo Ki Mrityu.” – My Latest video.
“मिथुन राशि वालों की मृत्यु किस उम्र में होगी। Mithun Rashi Walo Ki Mrityu.
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Panchang 12 July 2025
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