पञ्चांग 13 अप्रैल 2024 दिन शनिवार।।

Panchang 13 April 2024
Panchang 13 April 2024

बालाजी वेद, वास्तु एवं ज्योतिष केन्द्र।।

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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 13 अप्रैल 2024 दिन शनिवार।।

मित्रों, तारीख 13 अप्रैल 2024 दिन शनिवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष कि पंचमी तिथि है। आज चैत्र मास के वासंतिय नवरात्र का पांचवा दिवस है। आज माता स्कंदमाता देवी के दर्शन एवं पूजन का बहुत पुण्य होता है। आज माता स्कंदमाता की उपासना का दिन है। इनके लिए लिखा है – “पंचम्याम् अंगरागन्च एवं शक्त्यालंकरणानि च” अर्थात आज माता के भक्तों को चाहिए कि वो आज माता को अंगराग एवं अपने सामर्थ्य के अनुसार माता का अलंकार से शृंगार करें। आज उपांग ललिता व्रत भी है। आज श्रीरामराज्य महोत्सव एवं माता श्रीमहालक्ष्मी के पूजन का भी विधान बताया गया है। आज भगवान श्रीसूर्यनारायण देवता रेवती नक्षत्र को छोडकर अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि में (रात्री 23:17 PM पर) प्रवेश कर जाएंगे। अर्थात आज मेष की संक्रान्ति भी है। आज ही पंजाब में वैशाखी का पर्व मनाया जाता है। उड़ीसा में मेष संक्रान्ति, बंगाल में चड़क पुजा, मणिपुर में चेईरोबा तथा केरल में विषु का त्यौहार मनाया जाता है। आज पूरे दिन रवियोग भी है। आप सभी सनातनियों को “माता स्कंदमाता के उपासना, मेष संक्रान्ति, वैशाखी, चड़क पुजा, चेईरोबा तथा विषु के त्यौहार” की हार्दिक शुभकामनायेँ।।

हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।

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वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).

पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।

नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।

Panchang 13 April 2024

आज का पञ्चांग 13 अप्रैल 2024 दिन शनिवार।।
Aaj ka Panchang 13 April 2024.

विक्रम संवत् – 2081.

संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – पिङ्गल.

शक – 1946.

अयन – उत्तरायण.

गोल – दक्षिण.

ऋतु – बसन्त.

मास – चैत्र.

पक्ष – शुक्ल.

गुजराती पंचांग के अनुसार – चैत्र शुक्ल पक्ष.

Panchang 13 April 2024

तिथि – पञ्चमी 15:55 PM बजे तक उपरान्त षष्ठी तिथि है।।

नक्षत्र – मृगशिरा 28:34 PM तक उपरान्त आर्द्रा नक्षत्र है।।

योग – सौभाग्य 05:46 PM तक उपरान्त शोभन योग है।।

करण – बालव 12:05 PM तक उपरान्त कौलव 23:49 PM तक उपरान्त तैतिल करण है।।

चन्द्रमा – वृषभ राशि पर 12:44 PM तक उपरान्त मिथुन राशि पर।।

सूर्य – मीन राशि एवं रेवती नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।

मुम्बई सूर्योदय – प्रातः 13:22:39

मुम्बई सूर्यास्त – सायं 18:54:36

वाराणसी सूर्योदय – प्रातः 05:43:39

वाराणसी सूर्यास्त – सायं 18:17:32

राहुकाल (अशुभ) – सुबह 09:31 बजे से 11:05 बजे तक।।

विजय मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12.27 बजे से 12.51 बजे तक।।

Panchang 13 April 2024

पञ्चमी तिथि विशेष – पञ्चमी को बिल्वफल एवं षष्ठी तिथि को तैल कर्म अर्थात शरीर में तेल मालिश करना या करवाना त्याज्य बताया गया है। पञ्चमी तिथि को खट्टी वस्तुओं का दान और भक्षण दोनों त्याज्य है। पञ्चमी तिथि धनप्रद एवं शुभ तिथि मानी जाती है। इसके स्वामी नागराज वासुकी हैं तथा पूर्णा नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ और कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायीनी मानी जाती है।।

इस तिथि में शिव जी का पूजन सभी कामनाओं की पूर्ति करता है। आज नाग देवता का पूजन करके उन्हें बहती नदी में प्रवाहित करने से भय और कष्ट की निवृत्ति हो जाती है यहाँ तक की कालसर्प दोष तक की शान्ति हो जाती है। अगर भूतकाल में किसी की मृत्यु सर्पदंश से हुई हो तो उसके नाम से सर्प पूजन से उसकी भी मुक्ति तक हो जाती है।।

मित्रों, पञ्चमी तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति गुणवान होता है। इस तिथि में जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह माता पिता की सेवा को ही सर्वश्रेष्ठ धर्म समझता है। इनके व्यवहार में उत्तम श्रेणी का एक सामाजिक व्यक्ति दिखाई देता है। इनके स्वभाव में उदारता और दानशीलता स्पष्ट दिखाई देती है। ये हर प्रकार के सांसारिक भोग का आनन्द लेते हैं और धन धान्य से परिपूर्ण जीवन का आनंद उठाते हैं।।

Panchang 13 April 2024

मित्रों, माता जगतजननी, जगदम्बा भवानी माता दुर्गा देवी के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है। इन्हें स्कन्द कुमार कार्तिकेय की जननी के वजह से स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। कार्तिकेय को पुराणों में कुमार, शौर, शक्तिधर आदि के नाम से भी इनके शौर्य का वर्णन किया गया है। इनका वाहन मयूर है अतः इन्हें मयूरवाहन के नाम से भी जाना जाता है। इन्हीं भगवान स्कन्द की माता होने के कारण दुर्गा के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता कहा जाता है।।

नवरात्रि के नव दिनों तक व्रत और उपवास करनेवाले साधक का मन इस दिन अर्थात पांचवें दिन विशुद्ध चक्र में होता है। क्योंकि माता स्कन्दमाता की पूजा नवरात्रि में पांचवें दिन की जाती है। इनके विग्रह में स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे रहते हैं। स्कन्द मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजायें हैं। ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कन्द को गोद में पकड़े हैं। और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को उठी है, उसमें कमल का फुल पकड़ा हुआ है।।

माता का वर्ण पूर्णतः शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इसी वजह से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। परन्तु मूल रूप में इनका भी वाहन सिंह ही है। स्कन्द माता की पूजा भक्तों को उनके माता के वात्सल्य से भर देता है। एकाग्रभाव से मन को पवित्र करके माँ की स्तुति करने से समस्त दुःखों से मुक्ति मिलती है। तथा व्यक्ति का मोक्ष का मार्ग भी सुलभ हो जाता है।।

रूप और सौंदर्य की अद्वितिय आभा लिए हुए माता अभय मुद्रा में कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। पद्मासना देवी, विद्यावाहिनी दुर्गा तथा सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी यही स्कन्दमाता ही हैं। इनकी उपासना से साधक अलौकिक तेज प्राप्त कर लेता है। क्योंकि यही हिमालय की पुत्री पार्वती भी हैं। इन्हें ही माहेश्वरी और गौरी के नाम से जाना जाता है। जो अपने पुत्रों से अत्यधिक प्रेम करती हैं।।

इनको अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना अच्छा लगता है। जो भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा करते है मां उस पर अपने पुत्र के समान ही स्नेह लुटाती हैं। स्कंदमाता की पूजा उसी प्रकार से करना चाहिए जैसे अन्य सभी देवियों का पूजन किया जाता है। शुद्ध चित से देवी का स्मरण करना चाहिए। तथा पंचोपचार, षोडशोपचार या फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार स्कन्दमाता की पूजा करने के पश्चात भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए।।

जो भक्त देवी स्कन्द माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करते हैं उसे देवी की सम्पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि सदैव बनी रहती है। वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। कुमार कार्तिकेय की माता के रूप में इनकी पूजा करने से माता पूर्णत: वात्सल्य लुटाती हुई नज़र आती हैं। और नि:संतानों की गोद भी अनायास ही भर देती हैं।।

नि:सन्तानों की गोद भरनेवाली स्कन्दमाता का विशेष भोग एवं पूजा-विधि।। पूरा लेख यहाँ इस लिंक को क्लिक करके पढ़ें:

Panchang 13 April 2024

मृगशिरा नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव:- यदि आपका जन्म मृगशिरा नक्षत्र में हुआ है तो आप स्वभाव से चतुर एवं चंचल होते हैं। आप अध्ययन में अधिक रूचि रखते हैं। माता पिता के आज्ञाकारी और सदैव साफ़ सुथरे आकर्षक वस्त्र पहनने वाले होते हैं। आपको श्वेत रंग अत्यधिक प्रिय है। मृगशिरा नक्षत्र में पैदा हुए जातकों का चेहरा बहुत ही आकर्षक एवं सुन्दर होता है।।

आपका झुकाव विपरीत लिंग की ओर सामान्यतः अधिक होता है। आपका मन सौम्य परन्तु कामातुर होता है। भ्रमण करना आपको प्रिय है। आपका अधिकतर जीवन विलासितापूर्ण एवं ऐश्वर्यशाली होता है। आप आर्धिक रूप से धनि होने के साथ-साथ बहुत ही सोच समझ कर धन खर्च करने वाले होते हैं। अपने इसी स्वभाव के कारण मित्रों में आप कन्जूस भी कहलाते हैं।।

आपकी प्रगति में निरंतर बाधाएं आती रहती हैं तथा जीवन परिवर्तनशील रहता है। आप भी इस परिवर्तन को झेलते हुए जीवन में कई बार कार्य क्षेत्र बदलते हैं। आप किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले उसके हर एक पहलु पर अच्छी तरह सोच विचार कर लेते हैं। स्वभाव से अक्सर गंभीर और शांत रहने वाले होते हैं। मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातक क्रोध कम करते हैं।।

मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातक यदि क्रोधित हो भी जाएँ तो शांत होने पर पश्चाताप भी करते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातकों का गायन वाद्य आदि कलाओं में अधिक रूचि होती है। मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातकों का जीवन बाधा रहित वैभव शाली होता है। पेट और पाचन से सम्बन्धी रोग, कन्धों में दर्द और जीवन में कोई विशेष दुर्घटना की संभावना सदैव बनी रहती है।।

प्रथम चरण:- मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। इसके प्रथम चरण का स्वामी ग्रह सूर्य है। सूर्य और मंगल, दोनों ग्रहों का संयोग राजयोग देता है। फलस्वरूप ऐसा जातक राजतुल्य बनता है। उसके पास राजा के समान ठाट-बाट की सभी वस्तुएं रहती हैं। मंगल और सूर्य में मित्रता के कारण सूर्य और मंगल दोनों की दशाएं शुभ जायेंगी और शुक्र की दशा-अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नति होगी।।

द्वितीय चरण:- मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। इसके द्वितीय चरण का स्वामी ग्रह बुध हैं। अतः बुध और मंगल में शत्रुता के कारण जातक में झूठ बोलने एवं स्वर्ण चोरी के लक्षण देखे जाते हैं अर्थात जातक स्वर्णकार होगा। कुछ छिपाने की, चोरी की आदत स्वभाव में ही होती है। शुक्र की दशा-अन्तर्दशा में जातक की उन्नति तो होगी परन्तु विशेष भाग्योदय करने में सहायक नहीं होगी।।

तृतीय चरण:- मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। इसके तृतीय चरण का स्वामी ग्रह शुक्र हैं। जो विलासप्रिय एवं भोगी होते हैं। अतः मृगशिरा नक्षत्र के तृतीय चरण में पैदा होने वाला जातक ऐश्वर्य प्रिय, भोगी एवं कुटिल बुद्धि वाला होगा। लग्नेश की दशा शुभ फल देगी।।

चतुर्थ चरण:- मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। इसके चतुर्थ चरण का स्वामी ग्रह मंगल हैं। अतः मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरण में पैदा होने वाले जातक पर मंगल का प्रभाव अधिक रहेगा। जातक का जीवन धन-धान्य से युक्त रहेगा एवं सदा लक्ष्मियुक्त रहेगा। लग्नेश बुध और मंगल की दशा उत्तम फल देगी।।

Panchang 13 April 2024
शनिवार को जूते-चप्पल, लोहे की बनी वस्तुयें, नया अथवा पुराना भी वाहन नहीं खरीदना चाहिये एवं नए कपड़े न खरीदना और ना ही पहली बार पहनना चाहिये।।
शनिवार का विशेष – शनिवार के दिन तेल मर्दन “मालिश” करने से हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती हैं – (मुहूर्तगणपति)।।
शनिवार को क्षौरकर्म (बाल दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से आयुष्य की हानि होती है। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।

शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पीपल के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी ग्रह दोषों की निवृति हो जाती है।।

दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो अदरख एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।।
Panchang 13 April 2024

जिस व्यक्ति का जन्म शनिवार को होता है उस व्यक्ति का स्वभाव कठोर होता है। ये पराक्रमी एवं परिश्रमी होते हैं तथा इनके ऊपर दु:ख भी आये तो ये उसे भी सह लेना जानते हैं। ये न्यायी एवं गंभीर स्वभाव के होते हैं तथा सेवा करना इन्हें काफी पसंद होता है।।

शनिवार को जन्म लेनेवाले जातक कुछ सांवले रंग के, साहसी, मैकेनिक अथवा चिकित्सक होते हैं। इनमें से कुछ अपने कार्य में सुस्त भी होते हैं, जैसे देर से जागना, देर तक सोना भी इनकी आदतों में शुमार होता है। पारिवारिक जिम्मेदारियां भी शुद्ध रहती है इसलिये ये एक मेहनतकश इंसान होते हैं। सफलता के मार्ग में रूकावटों का भी सामना करना पड़ता है।।

शनिवार को जन्मलेनेवाले जातकों के स्वभाव में साहस लक्षित होता है। सफलता के मार्ग में लाख रुकावटें आए, लेकिन ये इसे पार करके ही रहते हैं। ऐसे लोग अधिकांशतः सांवले रंग के होते हैं। इन जातकों को अपने कैरियर के लिये डॉक्टपर, इंजीनियर तथा मैकेनिक के क्षेत्र का चयन करना चाहिये। इनका शुभ अंक 3, 6 और 9 तथा इनका शुभ दिन शनिवार और मंगलवार होता है।।

आज का सुविचार – मित्रों, रात लम्बी और काली हो सकती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता कि सुबह होगी ही नहीं। ठीक उसी तरह असफलता का दौर लम्बा हो सकता है, लेकिन इसका यह मतलब ये कतई नहीं होता कि आपको अब कभी सफलता मिलेगी ही नहीं।।

Panchang 13 April 2024

शनि देव मेहरबान हों तो इंजीनियर और चार्टर्ड एकाउंटेंट बनाते है।।…. आज के इस पुरे लेख को पढ़ने के लिये इस लिंक को क्लिक करें…. वेबसाईट पर पढ़ें:  & ब्लॉग पर पढ़ें:

“क्या बाबा के सर सज रही है, UP का ताज? क्या बाबा फिर CM बन सकते हैं।।” – My Latest video.

“क्या कहती है अखिलेश यादव की कुंडली? क्या मिलेगी सत्ता?।।” – My Latest video.

“शुक्र की महादशा में सूर्य अन्तर्दशा फलम्” – My Latest video.

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