कूटनीति ग्रह राहु का बारहों घरों में फल।।

Rahu Ka Dwadash Bhavon Me fal
Rahu Ka Dwadash Bhavon Me fal

राहु कूटनीति ग्रह है आइये जानें बारह घरों में बैठे राहू का शुभाशुभ फल ।। Kutnitik Grah Rahu And Dwadash Bhavon Me Rahu Ka fal.

हैल्लो फ्रेंड्सzzz,

मित्रों, ज्योतिष शास्त्रानुसार राहु कूटनीति का सबसे बडा ग्रह माना जाता है । राहु जहां बैठता है, शरीर के ऊपरी भाग को अपनी गंदगी से भर देता है । अर्थात दिमाग को खराब करने में अपनी पूरी ताकत लगा देता है ।।

दांतों के रोग देता है, शादी अगर किसी प्रकार से राहु की दशा अन्तर्दशा में कर दी जाती है तो वह शादी किसी प्रकार से चल नही पाती है । अचानक कोई बीच वाला आकर उस शादी के प्रति दिमाग में फ़ितूर भर देता है ।।

ऐसे में इन फालतू बातों के वजह से शादी टूट जाती है । कोर्ट केश चलते है, जातिका या जातक को गृहस्थ सुख नही मिल पाता है । इस प्रकार राहू जातक के पूर्व कर्मो को उसी रूप से प्रायश्चित कराकर उसको शुद्ध कर देता है ।।

मित्रों, अब आइये बात करते हैं, कि राहू कुण्डली के द्वादश भावों में से किस घर में बैठकर क्या फल देता है ? अगर राहु प्रथम भाव में बैठे तो शत्रुनाशक, अल्प संतति, मस्तिष्क रोगी, स्वार्थी एवं सेवक प्रवृत्ति का बनाता है ।।

यदि राहु दूसरे भाव में बैठे तो कुटुम्ब नाशक, अल्प संतति, मिथ्या भाषी, कृपण और शत्रु हन्ता बनाता है । राहु तीसरे भाव में बैठा हो तो जातक को विवेकी, बलिष्ठ, विद्वान और व्यवसायी बनाता है ।।

मित्रों, राहु चौथे भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक स्वभाव से क्रूर, कम बोलने वाला, असंतोषी और माता को कष्ट देने वाला होता है । राहु पंचम भाव में भाग्यवान, कर्मठ, कुलनाशक और जीवन साथी को सदा कष्ट देने वाला होता है ।।

राहु छठे भाव में बैठा हो तो जातक को बलवान, धैर्यवान, दीर्घवान, अनिष्टकारक और शत्रुहन्ता बनाता है । राहु सप्तम भाव में हो तो जातक चतुर, लोभी, वातरोगी, दुष्कर्म में प्रवृत्त, एक से अधिक विवाह और बेशर्म बनाता है ।।

राहु आठवें भाव में बैठकर जातक को कठोर परिश्रमी, बुद्धिमान, कामी एवं गुप्त रोगी बनाता है । राहु नवें भाव में हो तो सदगुणी, परिश्रमी, लेकिन भाग्य में अंधकार देने वाला होता है ।।

मित्रों, राहु दसवें भाव में व्यसनी, शौकीन, सुन्दरियों पर आसक्त एवं नीच कर्म करने वाला बनाता है । राहु ग्यारहवें भाव में मंदमति, लाभहीन, परिश्रम करने वाला, अनिष्ट्कारक और सतर्क रहने वाला बनाता है ।।

राहु यदि बारहवें भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक मंदमति, विवेकहीन एवं दुर्जनों की संगति करने वाला होता है । यहाँ बैठा राहू जेल और बन्धन का कारक भी होता है ।।

मित्रों, राहु का बारहवें घर में बैठना बडा अशुभ होता है । क्योंकि यह जेल और बन्धन का कारक हो जाता है । १२ वें घर में बैठ कर यह अपनी महादशा-अन्तर्दशा में या तो पागलखाने या अस्पताल में या जेल में बिठा देता है ।।

परन्तु कोई धार्मिक व्यक्ति हो और सत्यता तथा दूसरे के हित के लिये अपना भाव रखता हो तो एक बन्द कोठरी में भी रहे तो उसकी पूजा करवाता है । घर बैठे सभी साधन लाकर देता है ।।

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